मुस्लिम व्यक्ति बिना तलाक कर सकता है दूसरी शादी, महिला को अधिकार नहीं, नूंह के एक मामले पर हाई कोर्ट ने दिया पर्सनल ला का हवाला

मुस्लिम व्यक्ति यदि दूसरी शादी करता है तो उसे तलाक लेने की अनिवार्यता नहीं है जबकि महिला दूसरी शादी करती है तो उसे तलाक लेना जरूरी है। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने यह बात नूंह के एक प्रेमी जोड़े की याचिका पर कही।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Mon, 08 Feb 2021 03:59 PM (IST) Updated:Mon, 08 Feb 2021 08:31 PM (IST)
मुस्लिम व्यक्ति बिना तलाक कर सकता है दूसरी शादी, महिला को अधिकार नहीं, नूंह के एक मामले पर हाई कोर्ट ने दिया पर्सनल ला का हवाला
प्रेमी जोड़े की याचिका पर हाई कोर्ट की महत्वपूर्ण टिप्पणी।

चंडीगढ़ [दयानंद शर्मा]। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने साफ कर दिया कि एक मुस्लिम व्यक्ति अपनी पहली पत्नी को तलाक दिए बिना एक से अधिक बार यानी दूसरी शादी कर सकता है, लेकिन मुस्लिम महिला पर यह नियम लागू नहीं होगा। अगर एक मुस्लिम महिला को दूसरी शादी करनी है तो उसे मुस्लिम पर्सनल ला के तहत या मुस्लिम विवाह अधिनियम 1939 के तहत अपने पहले पति से तलाक लेना पड़ेगा।

हाई कोर्ट की जस्टिस अलका सरीन ने यह फैसला मेवात (नूंह) के एक मुस्लिम प्रेमी जोड़े की सुरक्षा की मांग की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुनाया। प्रेमी जोड़े ने हाई कोर्ट को बताया कि वे दोनों पूर्व में विवाहित हैं। मुस्लिम महिला का आरोप था कि उसकी शादी उसकी इच्छा के खिलाफ की गई थी, इसलिए अब वह अपने प्रेमी से शादी कर रह रही है।

हाई कोर्ट को बताया गया कि दोनों के पारिवारिक सदस्य उनकी शादी के खिलाफ हैं और दोनों को जान से मारने तथा संपत्ति से बेदखल करने की धमकी दे रहे हैं। सुनवाई के दौरान प्रेमी जोड़े के वकील ने बेंच को बताया कि प्रेमी जोड़ा मुस्लिम है और मुस्लिम धर्म के अनुसार उनको एक से ज्यादा विवाह करने की छूट है। इस पर बेंच ने सवाल उठाते हुए कहा कि इस जोड़े की शादी गैर कानूनी है, क्योंकि एक मुस्लिम व्यक्ति अपनी पहली पत्नी को तलाक दिए बिना एक से अधिक बार शादी कर सकता है, लेकिन अगर एक मुस्लिम महिला को दूसरी शादी करनी है तो उसे मुस्लिम पर्सनल ला के तहत या मुस्लिम विवाह अधिनियम 1939 के तहत अपने पहले पति से तलाक लेना पड़ेगा।

इस मामले में महिला ने अपने पहले पति से तलाक नहीं लिया है। ऐसे में हाई कोर्ट उनको कैसे कपल मानकर सुरक्षा का आदेश दे सकता है। कोर्ट ने कहा कि यह कपल कानूनी तौर पर विवाह के आधार पर सुरक्षा की मांग नहीं कर सकता। कोर्ट ने कहा कि वो इस बाबत कोई आदेश जारी नहीं करेगा। काेर्ट ने कहा कि याची सुरक्षा के लिए संबंधित जिले के एसपी से संपर्क कर सकते हैं, जो जीवन के लिए किसी भी खतरे के मामले में लोगों के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करने के लिए बाध्य हैं।

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