हरियाणा में किसी दल को रास नहीं आई मायावती के हाथी की सवारी, जानें बसपा के कब-कब टूटे गठजाेड़

उत्‍तर प्रदेश की पूर्व मुख्‍यमंत्री मायावती की पार्टी बसपा के हाथी की सवारी हरियाणा में अब तक किसी दल को नही रास आई है। बसपा का हरियाणा में किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन ज्‍यादा नहीं चला। राज्‍य में बसपा का अब तक पांच बार गठबंधन टूट चुका है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Sun, 13 Jun 2021 06:00 AM (IST) Updated:Sun, 13 Jun 2021 07:50 AM (IST)
हरियाणा में किसी दल को रास नहीं आई मायावती के हाथी की सवारी, जानें बसपा के कब-कब टूटे गठजाेड़
दुष्‍यंत चौटाला, अभय चौटाला और मायावती की फाइल फोटो।

चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। पंजाब में भाजपा के साथ मिलकर सरकार चलाने वाले शिरोमणि अकाली दल और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के नेतृत्व वाली बहुजन समाज पार्टी के बीच राजनीतिक गठजोड़ का असर हरियाणा की राजनीति पर भी पड़ सकता है। हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए अभी हालांकि तीन साल का वक्त है, लेकिन पंजाब चुनाव के बाद यहां अकाली दल, बसपा और इनेलो मिलकर साझा राजनीतिक मंच तैयार कर सकते हैं। हरियाणा में किसी भी दल को अब तक मायावती के हाथी की सवारी नहीं भाया है।

 राज्य में अब तक पांच बार गठबंधन कर चुकी बसपा, हर बार खुद ही तोड़ डाला

शिरोमणि अकाली दल और भाजपा के राजनीतिक रिश्ते पूरी तरह स. खत्म हो चुके हैं, लेकिन इनेलो के साथ अकाली दल की चासनी अभी भी बरकरार है। राजनीतिक गलियारों में इनेलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला व शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल को पगड़ी बदल भाई माना जाता है।

पंजाब चुनाव के बाद अकाली, बसपा व इनेलो के बीच नए गठजोड़ की संभावना

इनेलो और बसपा के बीच भी यहां पूर्व में दो बार गठबंधन रह चुका है। ऐसे में शिरोमणि अकाली दल, बसपा और इनेलो के बीच भविष्य में राजनीतिक खिचड़ी पकने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। इसके विपरीत हरियाणा में बहुजन समाज पार्टी का राजनीतिक इतिहास बहुत अच्छा नहीं है। यहां बसपा सुप्रीमो मायावती के हाथी की सवारी किसी भी राजनीतिक दल को रास नहीं आई है।

हरियाणा में जिस भी दल ने बसपा सुप्रीमो मायावती के हाथी की सवारी की, वह ज्यादा दूरी तक नहीं चल पाया। 1998 में बसपा का सबसे पहला गठबंधन इनेलो के साथ लोकसभा चुनाव में हुआ। तब इनेलो ने चार और बसपा ने एक लोकसभा सीट जीती। उसके बाद विधानसभा चुनाव में दोनों दलों का गठबंधन टूट गया।

2009 में कांग्रेस से अलग होकर हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजकां) बनाने वाले कुलदीप बिश्नोई ने मायावती के हाथी की सवारी की, लेकिन बसपा और हजकां का गठबंधन ज्यादा दिन नहीं चल पाया। अब कुलदीप बिश्नोई कांग्रेस में हैं। मई 2018 में बसपा और इनेलो के बीच दूरियां अचानक नजदीकियों में बदल गई। इनेलो व बसपा गठबंधन ने जींद उपचुनाव मिलकर लड़ा, लेकिन करारी शिकस्त के बाद बसपा ने इनेलो से नाता तोड़ लिया।

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बसपा ने चौटाला परिवार में पड़ी राजनीतिक फूट को आधार बनाते हुए इनेलो से दूरियां बना ली। इसके बाद भाजपा के बागी सांसद राजकुमार सैनी की लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी के साथ मायावती का हाथी कुछ दिनों तक चला। यह गठबंधन भी ज्यादा दूरी तक नहीं कर पाया। इनेलो से अलग हुई जननायक जनता पार्टी के संरक्षक दुष्यंत चौटाला की बसपा नेता सतीश मिश्रा के साथ मुलाकात हुई, जिसने बसपा व जजपा गठबंधन की नींव तैयार की।

बसपा ने 11 अगस्त 2019 को जननायक जनता पार्टी (जजपा) के साथ गठबंधन किया। यह गठबंधन एक महीने से अधिक समय तक नहीं चल पाया और छह सितंबर 2019 को जजपा से भी बसपा ने नाता तोड़ लिया। तब बसपा ने अकेले ही विधानसभा चुनाव लड़ा। अब बसपा हालांकि स्वयं के बूते चुनाव लड़ने का दावा कर रही है, लेकिन जिस तरह पंजाब में शिरोमणि अकाली दल व बसपा की दोस्ती परवान चढ़ी है, उसके मद्देनजर राज्य में नए चुनावी समीकरण बनने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता।

बसपा के आज तक पांच विधायक बने, सबने बदली निष्ठाएं

प्रदेश में बसपा का वोट प्रतिशत 2014 के विधानसभा चुनाव में 4.4 प्रतिशत रहा था। 2009 में 6.74 प्रतिशत और 1996 व 2000 में क्रमश: 5.44 व 5.74 प्रतिशत वोट पार्टी को मिले थे। बसपा का हर विधानसभा क्षेत्र में वोट बैंक है और पार्टी उम्मीदवार किसी भी बड़े दल के प्रत्याशी का चुनावी गणित बिगाड़ देते हैं। इस बार भी बसपा ने सभी विधानसभा सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे। हर बार के चुनाव में बसपा खास करिश्मा नहीं कर पाई, लेकिन आज तक हरियाणा में उसके कुल एक सांसद और पांच विधायक चुनाव जीतकर आए हैं।

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यह विधायक आखिर में कभी भी बसपा के नहीं रहे और पार्टियां बदलते रहे। नारायणगढ़ से सुरजीत कुमार, जगाधरी से डा. बिशन लाल, छछरौली से अर्जन सिंह, जगाधरी से अकरम खान और पृथला से टेकचंद शर्मा बसपा के टिकट पर चुनाव जीते, जिन्होंने बाद में अपनी निष्ठाएं बदल ली।

चुनाव दर चुनाव बसपा का प्रदर्शन

        वर्ष          कितनी सीटों पर लड़े            कितनी जीती       मत प्रतिशत 1991              26                                 1                     2.32 1996              67                                  0                    5.44 2000              83                                  1                     5.74 2005              84                                   1                     3.22 2009              86                                   1                     6.74 2014               90                                  1                     4.40 2019              90                                    0                     2.6 

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