हरियाणा में चुनावी मौसम में दल बदलने वाले कई पूर्व MLA तलाश रहे नई राह, कई विकल्प मौजूद
हरियाणा में पिछले साल चुनावी मौसम में दलबदल करने वाले पूर्व विधायक अब नया सियासी ठिकाना और रास्ता तलाशने में जुट गए हैं। इन नेताओं को अपनी वर्तमान पार्टियों में अपना सियासी भविष्य धूमिल दिखाई दे रहा है।
चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले टिकट की चाह में भाजपा में शामिल हुए कई पूर्व विधायक पार्टी में खुद को अलग-थलग महसूस कर रहे हैं। उस समय भाजपा में इनेलो व कांग्रेस के करीब दो दर्जन विधायक भाजपा में शामिल हुए थे। कुछ पूर्व विधायकों को भाजपा ने टिकट दे दिए तो अधिकतर टिकट से वंचित रह गए। अब टिकट से वंचित पूर्व विधायकों को महसूस हो रहा कि न तो उनके काम हो रहे और न ही उन्हें पार्टी की बैठकों में समुचित सम्मान मिल रहा है। ऐसे में इन पूर्व विधायकों के समर्थकों ने उन पर कामों का दबाव बढ़ा दिया।
रामपाल माजरा, परमिंदर ढुल, दौलतपुरिया, श्याम राणा, भाग सिंह और बूटा सिंह ने की बैठक
टिकट से वंचित और भाजपा में कोने में पड़े करीब 12 पूर्व विधायक अब अपनी नई राजनीतिक राह चुनने की ताक में हैं। इसके लिए उन्होंने केंद्र सरकार के तीन कृषि विधेयकों में खामियां गिनाते हुए और बेरोजगारी को आधार बनाया है। बुधवार को आधा दर्जन पूर्व विधायक पंचकूला के जिमखाना क्लब में अपने खास समर्थकों के साथ इकट्ठा हुए तथा भविष्य की राजनीतिक संभावनाओं पर चर्चा की।
इन पूर्व विधायकों का नेतृत्व चौटाला सरकार में मुख्य संसदीय सचिव रह चुके रामपाल माजरा कर रहे हैं। बैठक में इन पूर्व विधायकों ने कहा कि कार्यकर्ता और समर्थक उन पर काम का दबाव बना रहे हैं, लेकिन भाजपा ने उन्हें न तो टिकट दिए और न ही उनके काम हो रहे हैं। यहां अब वह खुद को आइसोलेट महसूस कर रहे हैं। इसलिए उन्हें एक मंच पर आने की जरूरत है।
भाजपा में रहकर सम्मान की लड़ाई लड़ने समेत इन पूर्व विधायकों के सामने चार नए विकल्प
बैठक में पूर्व विधायक परमिंदर सिंह ढुल, भाग सिंह, श्याम सिंह राणा, बलवान सिंह दौलतपुरिया और बूटा सिंह समेत करीब दो दर्जन रणनीतिकार मौजूद रहे। श्याम सिंह राणा भाजपा के टिकट पर रादौर से चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन उनका टिकट कट गया था। ढुल, दौलतपुरिया, बूटा सिंह और भाग सिंह इनेलो के पूर्व विधायक हैं। रामपाल माजरा का दावा है कि करीब दो दर्जन पूर्व विधायक उनके संपर्क में हैं, जो किसी भी नई राजनीतिक दिशा की संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं। इनमें कुछ पूर्व विधायक भाजपा, कुछ कांग्रेस और कुछ इनेलो के हैं।
पूर्व विधायकों के सामने यह हैं चार विकल्प
दूसरी तरफ महम के निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने भी भाजपा व जजपा के कई मौजूदा विधायकों की नाराजगी का दावा किया है, लेकिन भाजपा व जजपा नेता इससे साफ इन्कार करते हैं। इन पूर्व विधायकों के सामने अब चार विकल्प हैं। पहला यह कि भाजपा उन्हें अपनी पार्टी में पूरी तरह से आत्मसात करते हुए सम्मान दे तथा उनके काम कराए जाएं।
दूसरा विकल्प यह है कि वह भाजपा में रहकर ही अपनी समानांतर गतिविधियों को अंजाम दें, जो कि ज्यादा दिन चल पाना संभव नहीं है। तीसरा विकल्प खुद का मोर्चा गठित करने का है, जबकि चौथा विकल्प अपने-अपने राजनीतिक दलों में वापस लौट जाने का है। यदि ऐसा होता है तो यह गठबंधन के लिए अच्छा संकेत नहीं है। भाजपा के रणनीतिकारों को उम्मीद है कि इन पूर्व विधायकों को शांत कर लिया जाएगा।
नाराज पूर्व विधायकों को रास नहीं आएगी जजपा
इन पूर्व विधायकों ने साफ संकेत दिए हैं कि यदि उन्हें अपने दलों में वापस लौटना भी पड़ा तो जजपा उनकी पहली पसंद किसी सूरत मेें नहीं बनने वाली है। यदि पूर्व विधायक अपनी रणनीति में कामयाब हो गए तो जननायक जनता पार्टी के उन आधा दर्जन विधायकों को भी खुलकर अपनी आंखें दिखाने का मौका मिल जाएगा, जो अभी तक कभी-कभी तैश में आ जाते हैं, लेकिन प्यार की झप्पी के बाद उनका गुस्सा शांत हो जाता है। ऐसे कुछ विधायक भाजपा में भी बताए जाते हैं।
कांग्रेस भी अपने विधायकों की इस अंदरूनी लड़ाई से अछूती नहीं है। कांग्रेस हाईकमान ने यदि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ कोई ऐसा व्यवहार किया, जो उनके विधायकों को पसंद न आया तो ऐसे में उनके पास अलग राह चुनने के भी विकल्प हो सकते हैं। इसके लिए कांग्रेस विधायक तैयार बैठे हैं।