हरियाणा में शहरी निकायों के मेयर व अध्यक्ष के सीधे चुनाव को है कानूनी मान्यता, बदलाव आसान नहींं
हरियाणा में शहरी निकायों के अध्यक्ष व मेयर के सीधे चुनाव को कानूनी मान्यता है। अब अप्रत्यक्ष चुनाव के लिए कानून में बदलाव करना होगा और यह आसान नजर नहीं आता है।
चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा में नगर निगमों के मेयर और नगर पालिकाओं व परिषदों के अध्यक्ष पद के लिए सीधे चुनाव को संवैधानिक मान्यता है। यदि सरकार सीधे चुनाव नहीं कराना चाहती तो उसे दोबारा कानून में बदलाव करना होगा, जिसकी संभावना बिल्कुल भी नहीं है। जिला परिषदों व पंचायत समितियों के चेयरमैन के सीधे चुनाव कानूनन संभव नजर नहीं आ रहे हैैं।
अप्रत्यक्ष चुनाव कराने के लिए दोबारा से करना होगा कानून में बदलाव
बीते कुछ दिनों से मुख्यमंत्री मनोहर लाल और गृह व शहरी स्थानीय निकाय मंत्री अनिल विज के बीच नगर निगमों, नगर परिषदों और नगर पालिकाओं के मेयर/अध्यक्ष पद के लिए सीधे चुनाव को लेकर जुबानी जंग चल रही है। विज निकाय प्रमुखों के सीधे चुनावों को लोकतंत्र के सिद्धांतों के विरूद्ध बताकर बीते सालों में किए गए कानूनी प्रावधानों की समीक्षा की मांग कर रहे हैं, जबकि मनोहर लाल करनाल, पानीपत, हिसार, यमुनानगर और रोहतक में नगर निगमों के मेयर के दिसंबर 2018 में सीधे चुनाव करा चुके तथा अब इन्हें सफल बनाकर आगे भी इसी व्यवस्था को बहाल करने का समर्थन कर रहे हैैं।
जिला परिषदों और पंचायत समितियों के चेयरमैन का सीधा चुनाव कानूनन संभव नहीं
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार के अनुसार मेयर व अध्यक्ष के सीधे मतदान के जरिये चुनाव के लिए सर्वप्रथम सितंबर 2018 में हरियाणा नगर निगम कानून 1994 और फिर अगस्त 2019 में हरियाणा नगरपालिका कानून 1973 में संशोधन विधेयक पारित किया गया था।
राज्यपाल की स्वीकृति मिलने के बाद और उन दोनों के हरियाणा सरकार के गजट में प्रकाशित होते ही इस व्यवस्था को औपचारिक कानूनी मान्यता मिल चुकी है। अब पुरानी प्रणाली फिर से विधानसभा द्वारा संशोधन विधेयक पारित करवाकर अथवा तत्काल रूप से राज्यपाल से अध्यादेश जारी करवाकर ही लागू हो सकती है, जिसे भी हालांकि बाद में विधानसभा से पास करवाना होगा, जो इतनी आसान नहीं है।
नगर निगम के मेयर के लिए सीधे चुनाव करवाने की सिफारिश प्रदेश के राज्य चुनाव आयोग द्वारा मई 2017 में की गई थी, जिसमे उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड का भी उदाहरण दिया गया था। इसके बाद भाजपा सरकार ने हरियाणा नगर निगम कानून में इस संबंध में उपयुक्त संशोधन किया एवं इसी को आधार बनाकर गत वर्ष नगर पालिकाओं और नगर परिषदों के अध्यक्षों के भी सीधे चुनाव के लिए हरियाणा म्युनिसिपल कानून में संशोधन किया गया।
भारत के संविधान के अनुच्छेद 243 आर (2)(बी) का हवाला देते हए एडवोकेट हेमंत ने बताया की इसमें स्पष्ट उल्लेख है कि राज्य विधानमंडल अपने प्रदेश में नगर निकायों के प्रमुखों के चुनाव के तौर-तरीके पर कानून बनाने के लिए सक्षम हैं। अप्रत्यक्ष चुनाव में नगर निकायों के प्रमुख का चुनाव चुने गए पार्षदों द्वारा एवं अपने बीच में से ही किया जाता है जबकि प्रत्यक्ष चुनाव में उनका चुनाव सीधे नगर या शहर क्षेत्र के मतदातातों द्वारा किया जाता है। हर मतदाता चुनावों में दो वोट डालता है। एक अपने वार्ड के पार्षद के लिए और दूसरा अपने नगर के मेयर को चुनने के लिए।
हरियाणा की जिला परिषदों और पंचायत समितियों के चेयरमैन का सीधा चुनाव कानूनन संभव नहीं है, क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 243 सी (5) (बी) के अनुसार ऐसा नहीं हो सकता एवं इन दोनों संस्थाओ के चेयरमैन के चुनाव अप्रत्यक्ष तौर पर ही करवाए जा सकते हैैं। हालांकि गांव के सरपंच का चुनाव प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप दोनों में से किसी भी प्रकार से करवाने के लिए राज्य सरकार विधानसभा में कानून बना सकती है।