नारनौल, रेवाड़ी, पलवल व मेवात सहित हरियाणा में डीएपी को लेकर मारामारी, कालाबाजारी से बढ़ी मुश्किलें
हरियाणा में डीएपी खाद के लिए मारामारी है। दक्षिण हरियाणा में सबसे ज्यादा दिक्कत है। यहां अब अधिक स्टाक वाले जिलों से खाद पहुंचाई जाएगी। डीएपी की कालाबाजारी रोकने के लिए पंजाब व राजस्थान की सीमाओं पर गश्त बढ़ाने के निर्देश दिए हैं।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में डीएपी खाद को लेकर किसानों में मारामारी कम होने का नाम नहीं ले रही। खासकर दक्षिणी हरियाणा व जीटी रोड बेल्ट में समस्या ज्यादा है। लिहाजा स्थिति से निपटने के लिए कृषि महकमे ने इन जिलों में आसपास के जिलों से अतिरिक्त खाद मुहैया कराने के निर्देश दिए हैं। साथ ही पंजाब व राजस्थान की सीमाओं पर गश्त बढ़ाने की हिदायत दी है, ताकि डीएपी की कालाबाजारी को रोका जा सके।
अक्टूबर में फसलों की बुआई के लिए प्रदेश में एक लाख 10 हजार टन डीएपी की मांग होती है। केंद्र सरकार की ओर से प्रदेश को 58 हजार 650 टन डीएपी मिला है। वर्तमान में प्रदेश में 42 हजार 730 टन खाद उपलब्ध है। सबसे ज्यादा 5138 टन का स्टाक यमुनानगर में है तो सबसे कम पंचकूला में 152 टन स्टाक है। कृषि मंत्री जेपी दलाल का दावा है कि खाद की कोई किल्लत नहीं है।
किसानों को मांग के अनुसार खाद उपलब्ध कराई जा रही है। इसके उलट दक्षिणी हरियाणा में सरसों की बुआई के लिए डीएपी की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। आलम यह है कि खरीद केंद्रों पर सुबह चार बजे ही लंबी लाइनें लगनी शुरू हो रही हैं। नारनौल, रेवाड़ी, पलवल व मेवात में डीएपी की किल्लत ज्यादा है। वहीं, कृषि मंत्री जेपी दलाल ने दोहराया कि प्रदेश में डीएपी की कोई समस्या नहीं है। किसानों को सुगमता के साथ खाद मिल रही है। खाद किल्लत का भ्रम कालाबाजारी की देन है। सख्ती करने से किसान नहीं, बल्कि कालाबाजारी परेशान हैं।
वहीं, किसानों का कहना है कि खाद न मिलने के लिए उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है। लंबी-लंबी लाइनों में लगने के बाद भी उन्हें खाद उपलब्ध नहीं हो पा रही है। किसानों ने सरकार से मांग की है कि खाद की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए, ताकि उन्हें परेशानी न झेलनी पड़े।