श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर इस बार बन रहा वृद्धि योग, जानें व्रत रखना कब रहेगा शुभ

Krishna Janmashtami 2020 हरियाणा के मंदिरों में 11 अगस्त को जन्माष्टमी का व्रत रखने तथा 12 अगस्त को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाने की तैयारियां चल रही हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sun, 09 Aug 2020 02:16 PM (IST) Updated:Mon, 10 Aug 2020 12:12 PM (IST)
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर इस बार बन रहा वृद्धि योग, जानें व्रत रखना कब रहेगा शुभ
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर इस बार बन रहा वृद्धि योग, जानें व्रत रखना कब रहेगा शुभ

जेएनएन, चंडीगढ़। Krishna Janmashtami 2020: हरियाणा में भगवान श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाने की तैयारियां आरंभ हो गई हैं। प्रदेश के मंदिरों में हालांकि बड़े आयोजन नहीं होंगे, लेकिन श्रद्धालु अपनी श्रद्धा के अनुसार व्रत रखकर भगवान श्रीकृष्ण की आराधना करेंगे। प्रदेश में 11 अगस्त को जन्माष्टमी का व्रत रखने तथा 12 अगस्त को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाने की तैयारियां चल रही हैं।

गायत्री ज्योतिष अनुसंधान संस्थान कुरुक्षेत्र के संचालक डॉ. रामराज कौशिक के अनुसार जन्माष्टमी का त्योहार हर साल दो दिन होता है। मथुरा में रात 12 बजे अष्टमी तिथि रोहिणी नक्षत्र में भगवान का जन्म हुआ था, जिस कारण रात में अष्टमी तिथि का महत्व हुआ, लेकिन गोकुल में अगले दिन सुबह जन्म का पता लगा तो अगले दिन जन्मोत्सव मनाया जाने लगा।

कृष्ण जन्म की तिथि और नक्षत्र एक साथ नहीं मिल रहे

भगवान कृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था, लेकिन कई बार ऐसी स्थिति बन जाती है कि अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र दोनों एक ही दिन नहीं होते। इस बार भी कृष्ण जन्म की तिथि और नक्षत्र एक साथ नहीं मिल रहे हैं। 11 अगस्त को सुबह 9 बजकर 7 मिनट के बाद अष्टमी तिथि का आरंभ हो जाएगा, जो 12 अगस्त को 11 बजकर 17 मिनट तक रहेगी। वहीं, रोहिणी नक्षत्र का आरंभ 13 अगस्त को भोर में 3 बजकर 27 मिनट से 5 बजकर 22 मिनट तक रहेगा।

डॉ. रामराज के अनुसार शास्त्रों में इस तरह की उलझनों के लिए एक आसान सा उपाय बताया गया है कि गृहस्थों को उस दिन व्रत रखना चाहिए जिस रात को अष्टमी तिथि लग रही है। पंचांग के अनुसार 11 अगस्त दिन मंगलवार को गृहस्थ आश्रम के लोगों को जन्माष्टमी का पर्व मनाना सही रहेगा, क्योंकि 11 की रात को अष्टमी है। गृहस्थ लोग रात में चंद्रमा को अर्घ्य दें, दान और जागरण कीर्तन करें और 12 अगस्त को व्रत करें और कृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाएं, जो कि श्रेष्ठ एवं उत्तम रहेगा। वहीं, जो लोग वैष्णव व साधु संत हैं, वे 12 अगस्त को व्रत रख सकते हैं। 12 अगस्त को सुबह 11 बजकर 17 मिनट तक अष्टमी तिथि रहेगी और उसके बाद नवमी तिथि लग जाएगी।।

जन्माष्टमी पर बन रहा वृद्धि योग

पंचांग के अनुसार, इस साल जन्माष्टमी पर कृतिका नक्षत्र लग रहा है और सूर्य कर्क और चंद्रमा मेष राशि में रहेगा। इस संयोग से वृद्धि योग भी बन रहा है। कृष्ण जन्माष्टमी को मनाने वाले दो अलग-अलग संप्रदाय के लोग होते हैं, स्मार्त और वैष्णव। इनके विभिन्न मतों के कारण दो तिथियां बनती हैं। स्मार्त वह भक्त होते हैं जो गृहस्थ आश्रम में रहते हैं। यह अन्य देवी-देवताओं की जिस तरह पूजा-अर्चना और व्रत करते हैं, उसी प्रकार कृष्ण जन्माष्टमी का धूमधाम से उत्सव मनाते हैं। उसी प्रकार वैष्णव वह भक्त होते हैं जो अपना संपूर्ण जीवन भगवान कृष्ण को अर्पित कर देते हैं। उन्होंने गुरु से दीक्षा भी ली होती है और गले में कंठी माला भी धारण करते हैं। जितने भी साधु-संत और वैरागी होते हैं वे वैष्णव धर्म में आते हैं।

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