AJL Allotment Case में हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा को अंतरिम राहत, हाई कोर्ट ने की CBI की अर्जी खारिज

AJL Allotment Case पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एजेएल भूमि आवंटन मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को अंतरिम राहत जारी रखी है। हाई कोर्ट ने मामले में सीबीआइ की अर्जी को खारिज कर दिया है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Fri, 10 Sep 2021 07:03 PM (IST) Updated:Fri, 10 Sep 2021 07:03 PM (IST)
AJL Allotment Case में हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा को अंतरिम राहत, हाई कोर्ट ने की CBI की अर्जी खारिज
हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की फाइल फोटो।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। AJL Allotment Case: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा व एजेएल को अंतरिम राहत जारी रखते हुए सीबीआइ की उस अर्जी को खारिज कर दिया है जिसमें सीबीआइ ने पंचकूला कोर्ट में इस मामले की कार्रवाई पर लगी रोक हटाने का आग्रह किया था। पंचकूला की विशेष सीबीआइ अदालत द्वारा अप्रैल माह में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) भूखंड के पुन: आवंटन मामले में आरोप तय किए थे।

सीबीआइ अदालत ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा और गांधी परिवार के एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) के खिलाफ आइपीसी की धारा 120 बी और 420 और धारा 13 (आई) (डी) और 13 (2) के तहत आरोप तय किए थे। इन आरोप को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। याचिका में कहा गया है कि विशेष सीबीआइ अदालत ने इस मामले में महत्वपूर्ण तथ्यों को अनदेखा किया। ट्रायल कोर्ट निर्णय की त्रुटि और भ्रष्ट इरादे के बीच अंतर करने में विफल रही है। इसके बाद हाई कोर्ट ने पंचकूला सीबीआइ कोर्ट में चल रही सुनवाई पर रोक लगा दी थी।

क्या है मामला

आरोप है कि वर्ष 2005 में नियमों का उल्लंघन कर प्लाट का आवंटन पुरानी दर पर एजेएल को कर दिया गया। उस समय भूपेंद्र सिंह हुड्डा हरियाणा के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री होने के नाते प्राधिकरण के पदेन अध्यक्ष भी थे। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भी मामले की जांच की तथा पंचकूला में एजेएल को जमीन आवंटन में कथित अनियमितताओं के मामले में अपना आरोपपत्र दायर किया था। आरोप था कि पंचकूला में एक औद्योगिक भूखंड को अवैध रूप से एजेएल को फिर से आवंटित किया गया। बताया गया कि इसे कथित तौर पर यंग इंडिया लिमिटेड के माध्यम से गांधी परिवार सहित वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं द्वारा नियंत्रित किया जाता है।

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