अफसर करा रहे किरकिरी, सरकार को भेजी कच्चे कर्मचारियों की गलत जानकारी

फसरशाही सुधरने का नाम नहीं ले रही। सरकार जानकारी कुछ मांगती है और जवाब मिलता है कुछ और। ताजा मामला विधानसभा में पूछे सवाल से जुड़ा है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sun, 23 Sep 2018 02:16 PM (IST) Updated:Mon, 24 Sep 2018 09:09 AM (IST)
अफसर करा रहे किरकिरी, सरकार को भेजी कच्चे कर्मचारियों की गलत जानकारी
अफसर करा रहे किरकिरी, सरकार को भेजी कच्चे कर्मचारियों की गलत जानकारी

जेएनएन, चंडीगढ़। अफसरशाही सुधरने का नाम नहीं ले रही। सरकार जानकारी कुछ मांगती है और जवाब मिलता है कुछ और। ताजा मामला विधानसभा में पूछे सवाल से जुड़ा है जिसमें विभिन्न महकमों में आउटसोर्सिंग पॉलिसी पार्ट-2 के तहत काम कर रहे कर्मचारियों का ब्योरा मांगा गया था। अंग्रेजी का कम ज्ञान कहें या मातहतों पर जिम्मेदारी डालने की प्रवृत्ति, ज्यादातर विभागों ने आउटसोर्सिंग पॉलिसी पार्ट-1 के तहत लगे कर्मचारियों का रिकॉर्ड सरकार के पास भिजवा दिया।

मामला संज्ञान में आने के बाद मुख्य सचिव ने प्रशासनिक सचिवों से जवाब तलब करते हुए नए सिरे से अपेक्षित जानकारी मांगी है। लिखित आदेशों में बाकायदा दोनों पॉलिसियों का अंतर समझाते हुए ग्रुप-सी और डी के पदों पर आउटसोर्सिंग पॉलिसी-दो के आधार पर लगे कर्मचारियों का रिकॉर्ड पूरी सावधानी से तैयार कर सरकार के पास भेजने की नसीहत दी गई है। इस पॉलिसी के तहत वर्ष 2015 से अभी तक लगे सभी कर्मचारियों का ब्योरा तुरंत प्रभाव से भेजना होगा।

दरअसल, इनेलो विधायक रणबीर सिंह गंगवा ने बजट सत्र में आउटसोर्सिंग भर्ती में आरक्षण का मुद्दा उठाते हुए अनुबंध पर लगे सभी कर्मचारियों का ब्योरा मांगा था। इसे विधानसभा सचिवालय ने तारांकित सवाल नंबर 2490 के तहत कार्यवाही में शामिल कर लिया। सरकार ने सभी विभागों से आउटसोर्सिंग पॉलिसी पार्ट-दो के तहत लगे कर्मचारियों का ब्योरा तलब किया था।

कई महकमों ने गलत आंकड़े मुख्य सचिव कार्यालय को सौंप दिए। इसके चलते विधानसभा में सरकार सवाल का जवाब नहीं दे पाई और जवाब आगे के लिए टालना पड़ा। विपक्ष के हंगामे पर खुद मुख्यमंत्री मनोहर लाल को सदन को सफाई देनी पड़ी कि पहले भी सरकारें किसी सवाल का जवाब बाद में देती रही हैं। हालांकि रिकॉर्ड तैयार नहीं होने के चलते मानसून सत्र में भी सरकार इस सवाल का जवाब नहीं दे पाई।

आउटसोर्सिंग पॉलिसी पार्ट-1 व पार्ट-दो में अंतर

सरकारी महकमों में अस्थायी भर्तियों में ठेकेदारी सिस्टम को खत्म करने के लिए आउटसोर्सिंग पॉलिसी बनाई गई है। आउटसोर्सिंग पॉलिसी पार्ट वन में उन विभागों में नियुक्तियां की जाती हैं जहां काम का बोझ है, लेकिन पद स्वीकृत नहीं। आउटसोर्सिंग पॉलिसी पार्ट टू में विभागों में स्वीकृत रिक्त पदों पर अस्थायी भर्तियां की जाती हैं।

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