उत्तराखंड में तैनात ITBP के आइजीपी हरियाणा पुलिस से परेशान, हाई कोर्ट पहुंचा केस, जानें क्या है मामला
उत्तराखंड में आइटीबीपी में तैनात एक वरिष्ठ अधिकारी ने हाई कोर्ट में अपनी गिरफ्तारी की आशंका जाहिर की है। मामले में हाई कोर्ट ने कहा कि अगर हरियाणा पुलिस उन्हें गिरफ्तार करती है तो 15 दिन पहले नोटिस देना होगा।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के पुलिस महानिरीक्षक (आइजीपी) रैंक के एक अधिकारी द्वारा दायर याचिका पर यमुनानगर पुलिस को नोटिस जारी किया है। हाई कोर्ट ने यमुनानगर पुलिस को यह भी आदेश दिया कि अगर वह आइजी को गिरफ्तार करती है तो उसे 15 दिन का अग्रिम नोटिस देना होगा। हाई कोर्ट के जस्टिस हरनरेश सिंह गिल ने यह आदेश एसबी शर्मा, आइजी, ITBP और वर्तमान में उत्तराखंड के औली, जोशीमठ में प्रतिष्ठित पर्वतारोहण और स्कीइंग संस्थान के निदेशक के तौर पर कार्यरत की याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किए।
आइजी के खिलाफ यमुनानगर शहर पुलिस स्टेशन में एक आपराधिक मामला दर्ज किया गया है। आइजी ने हाई कोर्ट से इस मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए पंद्रह दिन का नोटिस देने की मांग की थी। यमुनानगर निवासी आइजी शर्मा ने हाई कोर्ट में दायर याचिका में बताया है कि उनकी मौसी अविवाहित है और वह उनकी बुढ़ापे में देखभाल कर रहे हैं। मौसी ने उनको अपनी संपत्ति की पावर आफ अटार्नी दी हुई है। इसी के तहत उन्होंने मौसी की संपति से अतिक्रमण हटाया था।
यमुनानगर पुलिस ने संपत्ति में अतिक्रमण करने के आरोप में उनके खिलाफ मामला दर्ज किया था। शिकायतकर्ता उसके भतीजे के परिवार के सदस्य हैं, लेकिन पुष्पा के स्वामित्व वाली संपत्ति में उनका कोई कानूनी अधिकार नहीं है। हाई कोर्ट को जानकारी दी गई कि उनकी मौसी पुष्पा ने भी उनके पक्ष में पावर आफ अटार्नी दी हुई है । आइजी ने हाई कोर्ट को बताया कि इस मामले में दर्ज एफआइआर की जांच में शामिल होने के लिए 23 और 24 जुलाई को जांच अधिकारी एएसआइ दल सिंह के पास पहुंचे, लेकिन जांच अधिकारी ने उन्हें जांच में शामिल नहीं किया।
याचिकाकर्ता के वकील, गगनदीप सिंह वासु ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता पहले ही मामले के जांच अधिकारी के सामने दो बार पेश हो चुके हैं, लेकिन जानबूझकर याचिकाकर्ता को औपचारिक रूप से जांच में शामिल नहीं किया जा रहा है। याची एक महत्वपूर्ण पद पर तैनात हैं। जांच अधिकारी उन्हें तंग करने के लिए जांच में शामिल नहीं कर रहे। याचिकाकर्ता का 34 वर्षों का बेदाग सेवा रिकार्ड है। 2019 में उल्लेखनीय सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस सहित विभिन्न पुलिस पदक और स्मृति प्रमाण पत्र उन्हें प्राप्त है।
याचिकाकर्ता ने छत्तीसगढ़ और जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियान में सराहनीय काम किया है। यूएनओ की तरफ से वह बोस्निया समेत कई देशों में शांति सेना में जा चुके हैं। सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने जांच अधिकारी की मंशा पर सवाल उठाया। कोर्ट ने सरकारी वकील से पूछा कि जब आइजी दो बार जांच में शामिल होने के लिए पेश हो चुके हैं तो कोर्ट में यह कैसे जानकारी दी गई कि वह जांच में शामिल नहीं हो रहे। हाई कोर्ट ने एसपी यमुनानगर, एसएचओ व जांच अधिकारी को नोटिस जारी कर जवाब देने का भी आदेश दिया।