Haryana Reservation Policy: हरियाणा में आरक्षण चाहिए तो देना होगा क्रीमीलेयर में न होने का प्रमाणपत्र

Haryana Reservation Policy हरियाणा में माता-पिता के प्रथम या द्वितीय श्रेणी अधिकारी होने पर आश्रितों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा। हरियाणा सचिवालय में तैनात कर्मचारियों को मुख्य सचिव की ओर से जाति प्रमाण पत्र जारी किए जाएंगे।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 12:10 PM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 06:33 PM (IST)
Haryana Reservation Policy: हरियाणा में आरक्षण चाहिए तो देना होगा क्रीमीलेयर में न होने का प्रमाणपत्र
हरियाणा में आरक्षण के लिए नीति तैयार। सांकेतिक फोटो

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग व अन्य पिछड़ा वर्ग के सरकारी कर्मचारियों को अगर अपने बेटे-बेटियों या आश्रितों को आरक्षण का लाभ दिलाना है तो उन्हें सरकार को शपथपत्र देना होगा। अन्य पिछड़ा वर्ग कर्मचारियों को बताना होगा कि वह क्रीमी लेयर में नहीं हैं। माता-पिता में से अगर कोई भी प्रथम श्रेणी या द्वितीय श्रेणी अधिकारी है तो उनके आश्रितों को आरक्षण नहीं दिया जा सकता।

हरियाणा सिविल सचिवालय में तैनात एससी-बीसी और ओबीसी कर्मचारियों के लिए जाति प्रमाणपत्र मुख्य सचिव की ओर से जारी किए जाएंगे। मुख्य सचिव की स्थापना शाखा ने जाति प्रमाणपत्र की खातिर आवेदन पत्र का अलग-अलग प्रारूप तैयार कर दिया है। जाति प्रमाणपत्र लेने के इच्छुक सभी कर्मचारियों को इसे भरकर मुख्य सचिव कार्यालय में भेजना होगा।

अनुसूचित और पिछड़ा वर्ग कर्मचारियों को आवेदन में बताना होगा कि वह कब से नौकरी में है और किस विभाग में है। स्थाई आवास कहां है और किस जाति से है। वहीं, अन्य पिछड़ा वर्ग के कर्मचारियों को यह शपथपत्र भी देना होगा कि वह खुद या उनका जीवन साथी केंद्र या प्रदेश सरकार की प्रथम श्रेणी और द्वितीय श्रेणी की नौकरी में नहीं है। वह क्रीमी लेयर में नहीं आते। इन कर्मचारियों को निर्धारित प्रपत्र में अचल संपत्ति की भी जानकारी देनी होगी। झूठे शपथपत्र पर धोखाधड़ी सहित अन्य धाराओं में कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

क्रीमी लेयर में शामिल ओबीसी कर्मचारियों के बच्चे नहीं ले सकते आरक्षण का लाभ

क्रीमी लेयर ओबीसी की वह कैटेगरी है जिसे एडवांस माना जाता है। इस कैटेगरी के बच्चों को नौकरी और शिक्षा में 27 फीसद आरक्षण नहीं मिलता। मौजूदा नियमों के अनुसार आठ लाख रुपये या इससे अधिक की सालाना आय वाले परिवारों को क्रीमी लेयर की कैटेगरी में रखा जाता है। हालांकि इस राशि को अब बढ़ाकर 12 लाख रुपये करने की तैयारी है। सेलरी और खेती से आय इसमें शामिल नहीं होते।

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