Haryana, Baroda Byelection 2020: जातिगत कार्ड तो रद होगी उम्मीदवारी, होगी जेल भी

Haryana Baroda Byelection 2020 में जाति कार्ड खेलने पर कड़ी कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। उपचुनाव में जातीय कार्ड खेलने वाले की उम्‍मीदवारी खारिज होगी। इसके साथ ही ऐसे उम्‍मीदवारों और लोगों को छह माह से दो साल तक की जेल भी हो सकती है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Sat, 31 Oct 2020 08:21 AM (IST) Updated:Sat, 31 Oct 2020 09:27 AM (IST)
Haryana, Baroda Byelection 2020: जातिगत कार्ड तो रद होगी उम्मीदवारी, होगी जेल भी
बरोदा उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्‍यायाी इंदराज नरवाल व भाजपा प्रत्‍याशी योगेश्‍वर दत्‍त।

चंडीगढ़, जेएनएन। Haryana, Baroda Byelection 2020: बरोदा उपचुनाव में जीत के लिए विभिन्न उम्मीदवारों और उनके प्रचार में लगे नेताओं द्वारा की जा रही जातिगत टिप्पणियों पर चुनाव आयोग की नजर टेढ़ी हो गई है। अगर किसी भी प्रत्याशी पर जातिवाद या धर्म के इस्तेमाल का आरोप साबित हुआ तो उसकी उम्मीदवारी खत्म हो सकती है। दोष साबित होने पर छह महीने से दो साल तक के लिए जेल की हवा भी खानी पड़ेगी।

चुनाव प्रचार में जातिगत टिप्पणियों की शिकायतों पर संज्ञान लेते हुए चुनाव आयोग ने बढ़ाई निगरानी

उपचुनाव में प्रचार के दौरान की जा रही जातिगत टिप्पणियों की शिकायतों पर संज्ञान लेते हुए चुनाव आयोग ने ऐसे नेताओं की निगरानी बढ़ा दी है। कहीं भी जाति, धर्म, नस्ल, समुदाय या भाषा के आधार पर कोई प्रत्याशी या राजनेता मतदाताओं को प्रभावित करता दिखा तो इसे आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा।

दोष साबित होने पर छह महीने से दो साल तक के लिए जेल भी संभव

जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 123 (3) के तहत किसी उम्मीदवार का दोष साबित होने पर निर्वाचन आयोग चुनाव तक रद कर सकता है। इसके अलावा आयोग संबंधित उम्मीदवार पर भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) के तहत आपराधिक मामला भी दर्ज कराएगा जिसके तहत दो साल तक की सजा का प्रावधान है।

इतना ही नहीं, अगर कोई उम्मीदवार किसी धर्म गुरु को अपने पक्ष में धर्म, भाषा, जाति इत्यादि के आधार पर वोट मांगने के लिए सहमति देता है तो चुनाव आयोग उस पर एक्शन ले सकता है। उम्मीदवार का दोष साबित होने पर आयोग को चुनाव तक रद करने का अधिकार है।

इसके साथ ही अगर कोई उम्मीदवार जाति, धर्म, नस्ल, समुदाय या भाषा के आधार पर वोट मांगता है तो कोई भी व्यक्ति इसका वीडियो बनाकर चुनाव आयोग को भेज सकता है। जिला निर्वाचन अधिकारी के पास भी आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायत की जा सकती है। इस पर तुरंत एक्शन होगा।

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