खेल ग्रेडेशन प्रमाण पत्रों की वैधता में उलझी हरियाणा के सैकड़ों कर्मचारियों की नौकरी, जानें पूरा मामला
Haryana Jobs हरियाणा के 1518 कर्मचारियों की नौकरी का मामला उलझ गया है। इन कर्मचारियों का मामला खेल ग्रेडेशन प्रमाण पत्रों की वैधता में फंस गया है। इन कर्मचारियों काे हरियाणा सरकार ने जनवरी में बर्खास्त कर दिया था।
चंडीगढ़, राज्य ब्यूरो। हरियाणा में खेल ग्रेडेशन प्रमाण पत्रों की वैधता में 1518 कर्मचारियों की नौकरी उलझ गई है। इन कर्मचारियों को सरकार जनवरी में बर्खास्त कर चुकी। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल व खेल राज्य मंत्री संदीप सिंह को पत्र लिखकर 1993 की खेल ग्रेडेशन नीति के तहत प्राप्त ग्रेडेशन प्रमाण पत्रों को मान्यता प्रदान करने की मांग की है। संघ ने कहा है कि इन प्रमाण पत्रों को मान्यता देने के बाद ग्रुप डी जनवरी माह में बर्खास्त कर्मचारियों को रिक्त पड़े पदों पर समायोजित किया जाए, ताकि बर्खास्त कर्मियों के सैकड़ों परिवार आर्थिक संकट से बाहर निकल सकें।
हरियाणा सरकार जनवरी में कर चुकी इन कर्मचारियों को बर्खास्त
सर्व कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुभाष लांबा व महासचिव सतीश सेठी ने बताया कि हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने अप्रैल 2018 में ग्रुप डी के 18 हजार 218 पदों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था। इसमें 1518 खेल कोटे के पद थे। खेल कोटे के पदों के लिए हरियाणा की खेल ग्रेडेशन नीति के तहत प्रमाण पत्र होना आवश्यक था। सभी आवश्यक औपचारिकताएं पूरी करने और लिखित परीक्षा देने के उपरांत कर्मचारी चयन आयोग ने 18 हजार 218 ग्रुप डी के अभ्यार्थियों का चयन किया।
1993 की खेल ग्रेडेशन नीति के तहत प्रमाण पत्र वैध करने की मांग उठी
उन्होंने बताया कि चयन आयोग द्वारा दस्तावेजों की जांच के उपरांत खेल कोटे में चयनित कर्मचारियों ने जनवरी 2019 में विभिन्न विभागों में नौकरी ज्वाइन कर ली। ज्वाइनिंग के समय भी दस्तावेजों की जांच की गई, लेकिन ज्वानिंग के छह माह बाद ही मुख्य सचिव के निर्देश पर खेल कोटे में भर्ती हुए कर्मचारियों को 25 मई 2018 की खेल ग्रेडेशन नीति के तहत प्रमाण पत्र देने के नोटिस जारी किया गया। ऐसा न करने वाले कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त करने की चेतावनी दी गई।
सुभाष लांबा ने बताया कि इन आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने कर्मियों के पक्ष में फैसला दिया, लेकिन सरकार ने इस फैसले को हाईकोर्ट की डबल बेंच ने चुनौती दी। डबल बेंच से सरकार के पक्ष में फैसला आ गया।
उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि एक महीने के अंदर 25 मई 2018 की खेल ग्रेडेशन नीति के तहत प्रमाण पत्र जमा करवाने का अवसर दिया जाए और इसमें विफल रहने वाले कर्मचारियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाए। इस फैसले के खिलाफ पीड़ित कर्मचारियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की, लेकिन वह खारिज हो गई। इसके बाद सरकार ने 1993 की खेल ग्रेडेशन नीति के तहत प्रमाण पत्र देने वाले कर्मचारियों को नोटिस देकर 25 मई 2018 की नीति के अनुसार ग्रेडेशन प्रमाण पत्र देने को कहा।
सुभाष लांबा के अनुसार जुगाड़बाजी कर आधे से ज्यादा कर्मचारियों ने प्रमाण पत्र बनवा कर जमा करवा दिए। इस फर्जीवाड़े की अब जांच भी हो रही है। ऐसा न करने वाले कर्मचारियों को जनवरी 2021 में नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। भर्ती के विज्ञापन में केवल खेल ग्रेडेशन नीति के तहत प्रमाण पत्र का उल्लेख किया गया था।
उन्होंने कहा कि विज्ञापन में यह बिल्कुल स्पष्ट नहीं था कि 25 मई 2018 की नीति के तहत ग्रेडेशन प्रमाण पत्र होना चाहिए। इसलिए 1993 की नीति के तहत प्राप्त ग्रेडेशन प्रमाण पत्र को अपलोड किया गया और उसी की वेरीफिकेशन करने के बाद ज्वाइनिंग दी गई। उन्होंने कहा कि अब सरकार के पाले में गेंद है, अगर सरकार चाहे तो 1993 की नीति के तहत प्राप्त ग्रेडेशन प्रमाण पत्र को मान्यता देकर बर्खास्त कर्मचारियों की रिज्वाइनिंग करवा सकती है।