हरियाणा में आस्टीज कोटे के तहत प्लाट अलाटमेंट करने की HSVP की नीति को हाई कोर्ट में चुनौती

आस्टीज कोटे के तहत प्लाट अलाटमेंट मामले को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि आस्टीज कोटे के तहत प्लाट आवंटन को लेकर एचएसवीपी की नीति एक समान नहीं है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sat, 31 Jul 2021 01:00 PM (IST) Updated:Sat, 31 Jul 2021 04:44 PM (IST)
हरियाणा में आस्टीज कोटे के तहत प्लाट अलाटमेंट करने की HSVP की नीति को हाई कोर्ट में चुनौती
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की फाइल फोटो।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। आस्टीज कोटे (जमीन अधिग्रहण के बदले प्लाट आवंटन) के तहत प्लाट अलाटमेंट करने के लिए हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) की कोई एक समान नीति नहीं है। एचएसवीपी के अधिकारियों की मनमानी व भेदभावपूर्ण नीति को लेकर कोई कोर्ट में चुनौती दी गई है। पंचकूला निवासी सुशील गुप्ता व अन्य ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया कि एचएसवीपी अधिकारी आस्टीज कोटे के तहत उसको प्लाट जारी नहीं कर रहे व नियमों के खिलाफ मनमाने दाम मांग रहे हैं।

याची के वकील संदीप शर्मा ने बेंच को बताया कि याची की जमीन का पंचकूला के सेक्टर 2-3-6, अर्बन इस्टेट व अन्य के लिए हरियाणा सरकार ने 2003 में अधिग्रहण किया था। उसके बदले सरकार ने उसे आस्टीज कोटे के तहत प्लाट जारी करना था। इसके लिए सरकार ने साल 2012 में आस्टीज कोटे के प्लाट देने के लिए आवेदन मांगे। याची ने भी प्लाट के लिए आवेदन किया, आवेदन के साथ उसने दस प्रतिशत राशि भी जमा करवा दिए।

एचएसवीपी ने 129 आवेदन में से याची समेत 49 को योग्य पाया, लेकिन हैरानी की बात यह है कि अधिकारियों ने केवल 13 लोगों को ही प्लाट अलाट किया। बाकी को मनमाने ढंग से इन्कार कर दिया गया। इसके बाद उसने प्लाट लेने के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की, उसका निपटारा करते हुए हाई कोर्ट ने उसके मांग पत्र पर विचार करने का आदेश दिया।

एचएसवीपी ने साल 2018 में दोबारा आस्टीज कोटे के प्लाट देने के लिए आवेदन मांगे। एचएसवीपी ने याची को कहा कि वो दोबारा नए सिरे से आवेदन करे। इस पर याची ने एचएसवीपी अधिकारियों को कहा कि वह 2012 से आवेदन कर रहा है। एचएसवीपी की तरफ से उसको बताया गया कि अब वह नए रेट के अनुसार आवेदन करे। इस पर याची ने कहा कि साल 2012 में प्लाट का रेट लगभग 22,000 रुपये प्रति वर्ग मीटर था, लेकिन 2018 के आवेदन में उसका रेट लगभग 66,000 रुपये प्रति वर्ग मीटर रखा गया है।

याची के वकील ने बेंच को बताया कि याची को पुराने रेट के अनुसार प्लाट मिलना चाहिए, लेकिन विभाग उसे नए रेट के अनुसार प्लाट दे रहा है। याचिकाकर्ता ने कहा कि पानीपत के इसी तरह के एक मामले में एचएसवीपी ने नए रेट पर प्लाट देने का निर्णय लिया था, लेकिन मुख्यमंत्री के आदेश पर आवेदनकर्ता को पुराने आवेदन के समय तय रेट के अनुसार प्लाट दिए। याची के अनुसार एचएसवीपी के अलग-अलग शहर में अलग-अलग नीति नहीं हो सकती। जब पानीपत में सीएम के आदेश पर पुराने रेट के अनुसार प्लाट दिए जा सकते हैं तो उसे क्यों नहीें। हाई कोर्ट के जस्टिस टीएस ढींडसा पर आधारित बेंच ने याची के वकील की दलील सुनने के बाद हरियाणा सरकार व एचएसवीपी के मुख्य प्रशासक व एचएसवीपी पंचकूला के प्रशासक को नोटिस जारी कर इस बाबत जवाब देने का आदेश दिया है।

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