हरियाणा में खेल नीति के तहत नियुक्तियों में पक्षपात पर हाई कोर्ट सख्त, विभाग के प्रधान सचिव से जवाब तलब
हाई कोर्ट ने पूछा कि खेल नीति के तहत कितने खिलाडिय़ों को क्या मापदंड अपनाकर नौकरी दी है। इस पर खेल विभाग के प्रधान सचिव से जवाब मांगा गया है। यह आदेश विश्व कप कबड्डी-2004 में स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ी की याचिका पर आदेश जारी किया गया है।
जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हरियाणा सरकार की खेल नीति के तहत नियुक्तियों में पक्षपात के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हरियाणा खेल विभाग के प्रधान सचिव को आदेश दिया है कि वह हाई कोर्ट में हलफनामा दायर कर बताएंं कि राज्य ने उत्कृष्ट खिलाड़ियों के लिए अपनी खेल नीति के तहत कितने खिलाडिय़ों को नौकरी दी है और नियुक्तियों के लिए क्या मापदंड अपनाया गया।
हाई कोर्ट के जस्टिस अनिल खेतरपाल ने यह आदेश अंतरराष्ट्रीय कबड्डी फेडरेशन आफ इंडिया द्वारा आयोजित विश्व कप कबड्डी -2004 में स्वर्ण पदक विजेता रोहतक निवासी जगपाल द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए। इस मामले में याची ने आरोप लगाया कि खेल विभाग खेल नीति के तहत केवल अपने चहेते लोगों को नियुक्तियां देता है, हालांकि, याचिकाकर्ता जैसे व्यक्तियों को जो खेल नीति के तहत नौकरी पाने के योग्य है उनको अनदेखा किया जाता है।
याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट से 5 सितंबर, 2018 की अधिसूचना के अनुसार राज्य की खेल नीति के तहत उसे राज्य में ग्रुप-ए पद पर नियुक्ति देने के आदेश देने की मांग की है। याचिकाकर्ता के वकील ने हाई कोर्ट के समक्ष दलील दी कि एमेच्योर कबड्डी फेडरेशन आफ इंडिया ने राज्य द्वारा अपनाई गई नीति के तहत उनके मामले पर विचार करने के लिए याचिकाकर्ता के दावे पर पहले ही हस्ताक्षर कर दिया है, लेकिन एमेच्योर कबड्डी फेडरेशन आफ इंडिया की अनुशंसा के बाद राज्य के अधिकारियों ने गलत रवैया अपनाते हुए कहा कि याचिकाकर्ता ने उनसे नौकरी के लिए संपर्क नहीं किया।
याची के वकील तर्क दिया कि राज्य सरकार खेल नीति के तहत नियुक्तियां देने में पिक एंड चूज की नीति अपना रही है। जिस कारण योग्य खिलाडिय़ों को लाभ नहीं मिल रहा। हाई कोर्ट ने सरकार को 5 फरवरी के लिए नोटिस जारी कर मांगी गई जानकारी देने का आदेश दिया है।