हरियाणा पानी की बर्बादी रोकने व प्रबंधन के लिए बनाएगा अपना कानून, सजा व जुर्माने का भी होगा प्रावधान

Water Management Law जल संसाधनों के संरक्षण प्रबंधन और विनियमन के लिए पहली बार हरियाणा राज्य का अलग प्राधिकरण बनेगा। प्राधिकरण को सिविल कोर्ट की शक्तियां मिलेंगी। आदेशों के उल्लंघन पर सजा और जुर्माना का प्रावधान होगा।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Tue, 20 Oct 2020 05:23 PM (IST) Updated:Tue, 20 Oct 2020 05:29 PM (IST)
हरियाणा पानी की बर्बादी रोकने व प्रबंधन के लिए बनाएगा अपना कानून, सजा व जुर्माने का भी होगा प्रावधान
हरियाणा पानी की बर्बादी रोकने व प्रबंधन के लिए बनाएगा अपना कानून। सांकेतिक फोटो

चंडीगढ़ [सुधीर तंवर]। हरियाणा में प्राकृतिक संसाधनों के दुरुपयोग के चलते भू-जलस्तर लगातार गिरता जा रहा है। जल संरक्षण के लिए कई योजनाएं चला रही प्रदेश सरकार अब पानी की बर्बादी रोकने के लिए थोड़ी सख्ती भी बरतेगी। इसके लिए केंद्रीय भूजल प्राधिकरण पर निर्भरता को छोड़ प्रदेश स्तर पर प्राधिकरण गठित करने का रास्ता साफ कर दिया गया है।

दरअसल, नदियों और बरसात के पानी, भूजल और संशोधित व्यर्थ पानी सहित जल संसाधनों के संरक्षण, प्रबंधन और विनियमन के लिए प्रदेश में खुद का कोई प्रभावी कानून नहीं है। संविधान के अनुसार जल आपूर्ति, सिंचाई एवं नहरें, ड्रेनेज एवं तटबंध, जलभंडारण एवं पनबिजली राज्यों का विषय हैं। अपना खुद का प्राधिकरण नहीं होने का खामियाजा यह हुआ कि पानी के अनियंत्रित और अंधाधुंध उपयोग के कारण कई क्षेत्रों में भू-जलस्तर खतरनाक स्थिति में पहुंच गया है।

जल संकट और पानी के अत्यधिक दोहन की स्थिति से निपटने के लिए अब पानी की सुरक्षा, संरक्षण, नियंत्रण एवं उपयोग को नियमित करने के लिए विधेयक विधानसभा में लाया जाएगा। हरियाणा जल संसाधन (संरक्षण, प्रबंधन और विनियमन) प्राधिकरण विधेयक के प्रारूप पर कैबिनेट भी मुहर लगा चुकी है। नया कानून वंचित क्षेत्रों में पानी उपलब्ध कराना सुनिश्चित करेगा।

जल संसाधनों के संरक्षण, प्रबंधन और विनियमन के लिए प्रदेश सरकार ने प्राधिकरण गठित करने की ओर कदम बढ़ा दिया है। प्राधिकरण में अध्यक्ष सहित पांच सदस्य शामिल होंगे, जिनका कार्यकाल तीन साल का होगा। प्राधिकरण का अपना खुद का स्टाफ रहेगा। प्राधिकरण के पास सिविल कोर्ट की शक्तियां होंगी। इसके आदेशों या निर्देशों का पालन नहीं करने पर सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। प्राधिकरण अपनी वाॢषक रिपोर्ट तैयार करेगा जिसका आडिट महालेखाकार से कराया जाएगा।

मुख्य सचिव की अगुवाई वाली समिति करेगी नियुक्तियां

प्राधिकरण के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति के लिए मुख्य सचिव की अगुवाई में समिति बनाई जाएगी। सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के प्रशासनिक सचिव इसके सदस्य सचिव होंगे। इसके अलावा जल संसाधनों के प्रबंधन या जल संसाधनों से संबंधित विज्ञान, प्रौद्योगिकी या इंजीनियरिंग के क्षेत्रों में ज्ञान रखने वाले इसके दो अन्य सदस्य होंगे। प्राधिकरण हर तीन वर्ष बाद प्रत्येक जिला के लिए तैयार जल योजनाओं के आधार पर एकीकृत राज्य जल योजना तैयार करेगा और इसे सरकार से अनुमोदित कराएगा।

उद्योगों को भी मिलेगी राहत

वर्तमान में बड़ी संख्या में उद्योगों को भूजल दोहन की वर्तमान अनुमति को जारी रखने के लिए केंद्रीय भूजल प्राधिकरण से अनुमति प्राप्त करने के लिए कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। नियमों की अनदेखी से राष्ट्रीय हरित ब्यूरो (एनजीटी) द्वारा इन उद्योगों पर जुर्माना लगाया जाता रहा है। प्राधिकरण ऐसे मामलों में शीघ्र स्वीकृतियां दिलाने में मदद करेगा।

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