Haryana Politics: ताऊ देवीलाल के गढ़ में चौधर की जंग, हरियाणा की राजनीति के चौथे लाल बने मनोहर लाल

Haryana Politics ऐलनाबाद उपचुनाव में ताऊ देवीलाल के परिवार के साथ-साथ ओमप्रकाश चौटाला अभय सिंह चौटाला भूपेंद्र सिंह हुड्डा कुमारी सैलजा मुख्यमंत्री मनोहर लाल उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Wed, 06 Oct 2021 09:58 AM (IST) Updated:Wed, 06 Oct 2021 05:25 PM (IST)
Haryana Politics: ताऊ देवीलाल के गढ़ में चौधर की जंग, हरियाणा की राजनीति के चौथे लाल बने मनोहर लाल
हरियाणा की राजनीति के चौथे लाल बन गए हैं मनोहर। फाइल

पंचकूला, अनुराग अग्रवाल। हरियाणा की राजनीति में अक्सर तीन लालों का जिक्र होता है। देवीलाल, बंसीलाल और भजनलाल। इन तीनों लालों ने अपने दमखम के बूते न केवल प्रदेश, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में खूब नाम कमाया। पिछले सात साल से हरियाणा की बागडोर संभाल रहे मनोहर लाल ने भी राजनीति के चौथे लाल के रूप में अपनी पहचान बनाई है। हरियाणा के इन चारों लालों का यूं तो पूरे देश में दबदबा रहा है, लेकिन उन्हें यह पहचान अपने-अपने गढ़ से बाहर निकलकर राजनीति करने पर मिली है। देवीलाल की शुरुआती पहचान उनके सिरसा जिले से होती है। बंसीलाल का गढ़ भिवानी जिला रहा है और भजनलाल का इलाका हिसार माना जाता है।

मनोहर लाल यूं तो रोहतक जिले के रहने वाले हैं, लेकिन करनाल से दो बार चुनाव लड़ चुके तो दोनों जिलों के गढ़ में उनकी पूरी पैठ है। लालों की इस राजनीति के बीच पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की पकड़ भी कम नहीं है। राजनीति के इन दिग्गजों का जिक्र यहां इसलिए करना पड़ रहा है, क्योंकि सिरसा जिले की ऐलनाबाद विधानसभा सीट पर 30 अक्टूबर को उपचुनाव होने वाला है। ताऊ देवीलाल के पौत्र और इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला के छोटे बेटे अभय सिंह चौटाला द्वारा तीन कृषि कानूनों के विरोध में इस्तीफा देने से ऐलनाबाद सीट खाली हुई थी।

हरियाणा में भाजपा एवं जजपा गठबंधन की सरकार के दो साल के कार्यकाल में यह दूसरा उपचुनाव हो रहा है। इससे पहले सोनीपत जिले की बरौदा विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ था। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा अपने इस गढ़ में कांग्रेस के उम्मीदवार इंदुराज नरवाल को जिताने में कामयाब रहे थे। कांग्रेस ने तब भाजपा-जजपा गठबंधन के प्रत्याशी पहलवान योगेश्वर दत्त को पराजित कर दिया था। अब ऐलनाबाद का रण सभी राजनीतिक दलों के सामने है। यह ताऊ देवीलाल परिवार की परंपरागत सीट ही है। देवीलाल के परिवार में राजनीतिक फूट पड़ने की वजह से पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के नेतृत्व वाली इनेलो विघटन का शिकार हुई और जननायक जनता पार्टी के रूप में अलग दल सामने आया, जिसकी बागडोर देवीलाल के बड़े पोते अजय सिंह चौटाला और प्रपौत्र दुष्यंत चौटाला संभाल रहे हैं। वे भाजपा के साथ सरकार में साझीदार हैं।

ऐलनाबाद सीट पर आज तक जितने भी चुनाव हुए, उनमें से दो को छोड़कर सारे देवीलाल के परिवार के सदस्यों ने जीते। लेकिन 2021 का यह उपचुनाव कुछ अलग तरह का है। देवीलाल की राजनीतिक विरासत पर ओमप्रकाश चौटाला और उनके बेटे अभय सिंह चौटाला का दावा है तो साथ ही अजय सिंह चौटाला एवं उनके पुत्र दुष्यंत चौटाला की दावेदारी भी कम नहीं है। इनेलो अकेले तो जजपा भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है। इनेलो की ओर से अभय सिंह चौटाला को उम्मीदवार घोषित किया जा चुका है, जबकि कांग्रेस की ओर से पवन बैनीवाल को टिकट दिया जा सकता है। पवन बैनीवाल भाजपा के टिकट पर दो बार ऐलनाबाद से विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन इस बार कांग्रेस में शामिल हो गए। भरत बैनीवाल को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का आशीर्वाद हासिल है तो पवन बैनीवाल के सिर पर कुमारी सैलजा का हाथ है।

भाजपा-जजपा ने कभी हुड्डा सरकार में गृह राज्य मंत्री रह चुके गोपाल कांडा के भाई गोबिंद कांडा को टिकट देने का फैसला लगभग-लगभग कर लिया है। गोबिंद कांडा अपने भाई गोपाल कांडा की हरियाणा लोकहित पार्टी में उपाध्यक्ष थे और तीन दिन पहले ही भाजपा में शामिल हुए हैं। ऐलनाबाद में 47 फीसद जाट और 53 फीसद गैर जाट मतदाता हैं। तीन कृषि कानूनों के विरोध के बीच हो रहे इस उपचुनाव को गोपाल कांडा एवं गोबिंद कांडा के हवाले कर गठबंधन ने उन्हें अभय चौटाला से भिड़ने का पूरा मौका दे दिया है। ऐलनाबाद उपचुनाव में ताऊ देवीलाल के परिवार के साथ-साथ ओमप्रकाश चौटाला, अभय सिंह चौटाला, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी सैलजा, मुख्यमंत्री मनोहर लाल, उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।

2019 के चुनाव नतीजों पर एक नजर : 2019 के विधानसभा चुनाव में इनेलो उम्मीदवार के रूप में अभय सिंह चौटाला को डेढ़ लाख वोटों में से 57 हजार वोट (38 प्रतिशत) मिले थे। वह चुनाव जीत गए थे। भाजपा के पवन बैनीवाल (अब कांग्रेस में) को 45 हजार (30 प्रतिशत), जबकि कांग्रेस से भरत बैनीवाल को 35 हजार (23 प्रतिशत) वोट हासिल हुए थे। जजपा के ओपी सिहाग को साढ़े छह हजार वोट मिले थे, जो साढ़े चार प्रतिशत से भी कम थे। कांग्रेस ने अंतिम बार यह सीट 1991 के चुनाव में जीती थी एवं 1996 से आज तक यहां से देवीलाल-चौटाला की पार्टी का उम्मीदवार ही जीतता रहा है। वर्ष 2007-08 के परिसीमन से पहले ऐलनाबाद सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होती थी। वर्तमान में इस सीट पर 1.85 लाख मतदाता हैं।

[स्टेट ब्यूरो चीफ, हरियाणा]

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