तबादलाें पर मंत्रियों को मिला बड़ी शक्ति, ऑनलाइन नीति नहीं बनाने से अफसरों पर सीएम सख्त
मंत्रियों को कर्मियों के तबादले पर बड़ी शक्ति मिली है। वे एक पखवाड़े तक विभागों में कर्मचारियों के तबादले कर सकेंगे। विभागों में ऑनलाइन तबादला नीति नहीं बनने से सीएम नाराज हैं।
चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा के सरकारी विभागों द्वारा आनलाइन तबादला नीति तैयार करने संबंधी राज्य सरकार के आदेशों की अनदेखी की जा रही है। दो दर्जन से ज्यादा विभाग ऐसे हैैं, जिन्होंने अभी तक अपने कर्मचारियों की आनलाइन तबादला नीति तैयार नहीं की है। कुछ विभाग हालांकि इस प्रक्रिया में जुटे हैैं, लेकिन उनकी प्रगति संतोषजनक नहीं है। इससे मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने सख्त रुख दिखाया है। उन्होंने इसके लिए एक माह का समय दिया हैै। दूसरी ओर, नई सरकार का गठन होने के साथ ही मंत्रियों को अधिकारियों व कर्मचारियों के तबादले करने की शक्ति मिल गई है। उनके पास यह पावर सिर्फ एक पखवाड़े के लिए होगी। इस अवधि में मंत्री किसी भी द्वितीय श्रेणी, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के अधिकारियों व कर्मचारियों के तबादले कर सकेंगे।
चीफ सेक्रेटरी के आदेश की अनदेखी के बाद सीएम एक्शन के मूड में, नीति तैयार करने को एक माह का समय
हरियाणा सरकार के प्रशासनिक सचिवों और विभागाध्यक्षों के इस रवैये से मुख्यमंत्री मनोहर लाल नाराज हैैं। उन्होंने मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा से सरकारी विभागों में आनलाइन तबादला नीति तैयार करने संबंधी आदेशों की प्रगति जानी तो पता चला कि अभी तक इस दिशा में कोई खास काम नहीं हुआ है। मुख्यमंत्री को जब यह पता चला तो उन्होंने प्रशासनिक सचिवों व विभागाध्यक्षों को अपने विभागों में आनलाइन तबादला नीति तैयार करने के लिए एक माह का समय दिया है।
इस समय अवधि के बाद किसी भी प्रशासनिक सचिव का कोई बहाना नहीं सुना जाएगा। मुख्यमंत्री की नाराजगी की बड़ी वजह यह है कि शिक्षा विभाग में जिस तबादला नीति की वजह से हरियाणा को राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति मिली है, उसे राज्य सरकार के बाकी विभाग अपने यहां लागू करने को तैयार नहीं हैैं।
हरियाणा में मुख्यमंत्री ने आनलाइन तबादलों के जरिये शिक्षा विभाग का बड़ा भ्रष्टाचार बंद कर दिया है। पहले शिक्षकों व कर्मचारियों को अपने तबादलों के लिए मंत्रियों, सांसदों और विधायकों के पास चक्कर काटने पड़ते थे। शिक्षा विभाग में तबादलों के रेट तय थे। आनलाइन तबादला नीति के जरिये शिक्षा विभाग का बड़ा भ्रष्टाचार खत्म हुआ है।
मुख्यमंत्री ने इसी तर्ज पर ऐसे तमाम सरकारी विभागों को आनलाइन तबादला नीति तैयार करने के निर्देश दिए थे, जिनमें कर्मचारियों के 500 या इससे अधिक पद हैैं। इन कर्मचारियों का सर्विस रिकार्ड भी अपडेट नहीं है, जिस कारण सरकार को पदोन्नति समय तबादलों में काफी दिक्कत आती है।
मुख्य सचिव ने पिछले साल चार जून और इस साल 26 जुलाई को दो अलग-अलग पत्र जारी कर प्रशासनिक सचिवों से आनलाइन तबादला नीति तैयार करने का आग्रह किया था, मगर अभी तक इसमें कोई सफलता नहीं मिल पाई है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल के निर्देश पर मुख्य सचिव केशनी आनंद अरोड़ा ने हाल ही में नए सिरे से प्रशासनिक सचिवों व विभागाध्यक्षों को एक पत्र भेजा है।
सख्त लहजे में लिखे गए इस पत्र में सभी विभागाध्यक्षों को आनलाइन तबादला नीति तैयार करने व कर्मचारियों का पूरा सर्विस रिकार्ड अपडेट करने के लिए एक माह यानी 18 दिसंबर तक का समय दिया गया है। मुख्य सचिव ने कहा है कि तबादला नीति तैयार करने के बाद इसकी जानकारी उन्हें लिखित में मेल के जरिये भेजी जाए, ताकि मुख्यमंत्री को इसकी सूचना दी जा सके।
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25 नवंबर से 10 दिसंबर तक कर सकेंगे मंत्री तबादले
दूसरी ओर, मंत्रियों को एक पखवाड़े के लिए अधिकारियों व कर्मचारियों के तबादले की शक्ति दी गई है। इस अवधि में मंत्री किसी भी द्वितीय श्रेणी, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के अधिकारियों व कर्मचारियों के तबादले कर सकेंगे। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने मंत्रियों को यह पावर प्रदान की है। मंत्री 25 नवंबर से 10 दिसंबर तक 15 दिन में अपने-अपने विभागों से जुड़े अधिकारियों व कर्मचारियों के तबादले कर सकेंगे। पहले यह पावर एक माह के लिए मिलती थी।
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मंत्रियों को तबादलों की पावर मिलने में उनके निजी सचिवों की चांदी हो जाती है। जिन विभागों में आनलाइन तबादला नीति नहीं है, उनमें काम करने वाले कर्मचारियों को इसका फायदा सबसे ज्यादा होता है। प्रथम श्रेणी के अधिकारियों के तबादलों का अधिकार मुख्यमंत्री का होता है। डीसी और एसपी समेत अन्य उच्च अधिकारियों के तबादलों में हालांकि मंत्रियों की सलाह और सिफारिश का ध्यान रखा जाता है, मगर पावर सीएम की ही है।
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