हरियाणा में वापस नहीं होगा आरटीए और रोडवेज स्टाफ की अदला-बदली का फैसला, सरकार ने हाई कोर्ट में कहा

हरियाणा सरकार ने एकल बेंच के आदेश के खिलाफ अपील दायर की है। एकल बेंच ने आरटीए और रोडवेज स्टाफ की प्रतिनियुक्ति के आदेश रद किए थे। सरकार का कहना है कि वह अपने पहले के आदेश पर अडिग है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Fri, 09 Apr 2021 05:21 PM (IST) Updated:Fri, 09 Apr 2021 05:21 PM (IST)
हरियाणा में वापस नहीं होगा आरटीए और रोडवेज स्टाफ की अदला-बदली का फैसला, सरकार ने हाई कोर्ट में कहा
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की फाइल फोटो।

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार रीजनल ट्रांसपोर्ट अथारिटी (आरटीए) के सहायक सचिव, ट्रांसपोर्ट इंस्पेक्टर और ट्रांसपोर्ट सब इंस्पेक्टरों को हरियाणा राज्य परिवहन तथा रोडवेज स्टाफ को आरटीए कार्यालय में एक साल के लिए प्रतिनियुक्ति पर भेजने के अपने आदेश पर अडिग है। सरकार इन आदेश को वापस नहीं लेगी। इसी के चलते सरकार ने हाई कोर्ट की डिविजन बेंच में अपील दायर कर एकल बेंच के उस आदेश को चुनौती दी है, जिसमें एकल बेंच ने सरकार के प्रतिनियुक्ति के आदेश को रद कर दिया था।

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच में शुक्रवार को जैसे ही सुनवाई शुरू हुई तो सरकार ने आग्रह किया कि इस मामले में सरकार की तरफ से राज्य के एडवोकेट जनरल बहस करेंगे, इसलिए मामले की सुनवाई स्थगित की जाए। सरकार के आग्रह पर कोर्ट ने मामले की सुनवाई चार मई तक स्थगित कर दी। दूसरी तरफ कर्मचारियों की तरफ से हाई कोर्ट की बेंच के सामने अवमानना याचिका दायर कर परिवहन विभाग के प्रधान सचिव व निदेशक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है।

कर्मचारियों की दलील है कि 10 फरवरी को हाई कोर्ट की एकल बेंच ने प्रतिनियुक्ति के आदेश रद कर दिए थे, लेकिन इसके बाद भी सरकार ने कर्मचारियों के प्रतिनियुक्ति आदेश वापस नहीं लिए व एकल बेंच के आदेश की पालना नहीं की। जस्टिस संजय कुमार पर आधारित बेंच ने 10 फरवरी को अपने आदेश में कहा था कि ट्रांसपोर्ट विभाग में जब रेगुलेटरी व कामर्शियल विंग है तो बगैर कर्मचारी की रजामंदी व दूसरी विंग में समान पद की नेचर का कोई काम नहीं होने पर प्रतिनियुक्ति पर भेजना उचित नहीं है। एक विंग में काम करने वाले कर्मचारियों को दूसरे विंग में तैनात करना कानूनन खिलाफ है। इसी तर्क के साथ हाई कोर्ट ने सरकार द्वारा जारी सभी प्रतिनियुक्ति आदेश रद कर दिए थे।

मामले में प्रदीप कुमार व अन्य ने हाई कोर्ट से मांग की थी कि सरकार द्वारा 17 अक्टूबर 2020 के उस आदेश पर रोक लगाई जाए, जिसमें सहायक सचिवों, ट्रांसपोर्ट इंस्पेक्टर, ट्रांसपोर्ट सब इंस्पेक्टर को हरियाणा राज्य परिवहन विभाग में एक साल के लिए प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया है। इसके साथ ही 27 अक्टूबर के उस आदेश को भी रद करने की मांग की गई, जिसके तहत उनका रोडवेज के जीएम कार्यालय में तबादला कर दिया गया।  

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