New Reservation Policy: पहले दो श्रेणियों में आरक्षण देना चाहती थी हरियाणा सरकार, सुप्रीम कोर्ट ने लगा दी थी रोक
New Reservation Policy हरियाणा सरकार की आरक्षण का पहला लाभ तीन लाख रुपये तक और शेष बचे आरक्षण का लाभ सालाना तीन से छह लाख रुपये की आय वालों को देने की योजना थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे रद कर दिया था।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में पिछड़ा वर्ग के उत्थान के लिए जुटी प्रदेश सरकार क्रीमीलेयर को दो श्रेणियों में बांटकर आरक्षण देना चाहती थी। इसके लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल के पहले कार्यकाल में अधिसूचना भी जारी कर दी गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में पेंच फंस गया। 24 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने पिछड़ा वर्ग कल्याण महासभा बनाम हरियाणा सरकार केस में सुनवाई करते हुए 17 अगस्त 2016 को जारी नोटिफिकेशन को खारिज कर दिया गया था। इस कारण उसके विस्तार और स्पष्टीकरण के लिए 28 अगस्त 2018 को जारी दूसरी अधिसूचना भी रद हो गई।
इस अधिसूचना में हरियाणा में पिछड़ा वर्ग में आरक्षण का पहला लाभ तीन लाख रुपये की आय वालों को देने और उसके बाद शेष बचे आरक्षण का लाभ सालाना तीन से छह लाख रुपये की आय वालों को देने का उल्लेख था। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के अधिवक्ता हेमंत कुमार ने बताया कि सर्वप्रथम केंद्र में तत्कालीन नरसिम्हा राव सरकार द्वारा सितंबर 1993 में एक लाख रुपये और इससे कम वार्षिक आय वाले पिछड़े वर्ग के परिवारों को क्रीमीलेयर घोषित किया गया था। बाद में, वाजपेयी सरकार द्वारा मार्च 2004 में बढ़ाकर सालाना ढ़ाई लाख कर दिया गया। फिर मनमोहन सिंह की सरकार में अक्टूबर 2008 में वार्षिक आय सीमा को बढ़ाकर साढ़े चार लाख रुपये और मई 2013 में छह लाख रुपये कर दिया गया था।
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मौजूदा मोदी सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में सितंबर, 2017 में उपरोक्त सीमा को आठ लाख रुपये सालाना कर दिया। अब केंद्र सरकार इस सीमा को फिर बढ़ाने की तैयारी में है। इस संबंध में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता एवं गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय मंत्रियों नितिन गडकरी और थावर चंद गहलोत की सदस्यता वाले मंत्रियों के समूह ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी हुई है।
निचले तबके के लोगों के लिए बढ़ेंगे अवसर : सीएम
हरियाणा के सीएम मनोहर लाल का कहना है कि आरक्षण का सही मायनों में लाभ तभी होगा जब पात्र लोगों को इसका फायदा मिले। हमारी कोशिश अंत्योदय के उत्थान की है। क्रीमी लेयर में बदलाव से निचले तबके के लोगों के लिए सरकारी नौकरियों और शिक्षा में अवसर बढ़ेंगे। पात्र लोगों को सरकारी सेवाओं का लाभ और उन्हें उनका हक दिलाना हमारी प्राथमिकता है।