हरियाणा के किसानों की बल्‍ले-बल्‍ले, अब बाजरे की खेती छोड़ने पर मिलेंगे प्रति एकड़ चार हजार रुपये

हरियाणा सरकार ने किसानों के लिए बड़ी घोषणा की है। अब राज्‍य में बाजरे की खेती छोड़ने वाले‍ किसानों को प्रति एकड़ चार हजार रुपये के हिसाब से मुआवजा मिलेगा। इससे पहले धान की खेती नहीं करने वालों को भी मुआवजा दिया जा रहा था।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 05:28 PM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 06:02 AM (IST)
हरियाणा के किसानों की बल्‍ले-बल्‍ले, अब बाजरे की खेती छोड़ने पर मिलेंगे प्रति एकड़ चार हजार रुपये
हरियाणा में किसानों को बाजरे की खेती छोड़ने पर मुआवजा मिलेगा। (सांकेतिक फोटो)

चंडीगढ, जेएनएन। हरियाणा के किसानों की बल्‍ले-बल्‍ले हो गई है। राज्‍य में धान के बाद अब बाजरे की खेती छोड़ने वाले किसानाें को मुआवजा मिलेगा। बाजरे की खेती छोड़ने पर किसानों को प्रति एकड़ 4000 रुपये मिलेंगे। अभी धान की फसल छोड़ने वाले किसानों को भी मुआवजा मिल रहा है।

 मुख्‍यमंत्री मनोहरलाल ने आज एलान किया कि हरियाणा सरकार अब इसी बार से बाजरे की खेती नहीं करने वाले किसानों को चार हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि देगी। ऐसे किसानों से बाजरे के स्थान पर दलहन और कपास उगाने का आग्रह मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने किया है। धान की खेती छोड़ने वाले किसानों को सात हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि सरकार पहले से दे रही है। इस बार प्रति एकड़ चार सौ पेड़ लगाने वाले किसानों के लिए अगले तीन साल तक 10 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि भी देने का निर्णय लिया गया है।

दरअसल, हरियाणा के लिए धान के साथ-साथ अब बाजरे की खेती भी घाटे का सौदा बनती जा रही है। धान में पानी की खपत अधिक होती है, जिस कारण राज्य का जल संकट लगातार बढ़ता जा रहा है। प्रदेश में बाजरे की खपत बहुत कम है, लेकिन पैदावार सात गुणा अधिक है। हरियाणा में बाजरे का रेट अधिक होने के कारण आसपास के राज्यों के लोग और किसान यहां आकर अपना बाजरा बेच जाते हैं। ऐसे आढ़ती और व्यापारी भी हैं, जिन्होंने सस्ते दामों का बाजरा स्टाक कर रखा हुआ है। एमएसपी घोषित होने के बाद वह इस बाजरे को मंडियों में बिक्री के लिए निकाल देंगे।

हरियाणा में एमएसपी अधिक होने के कारण पंजाब व राजस्थान के लोग यहां बेच जाते हैं अपना बाजरा

दूसरे राज्यों के व्यापारियों, आढ़तियों व किसानों द्वारा हरियाणा में बाजरा बेचे जाने की वजह से राज्य सरकार को 700 से 800 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ है। प्रदेश सरकार ने बिना हिचक हर किसी का बाजरा खरीदा, जिस कारण यह नुकसान ज्यादा हुआ है। इस बार राज्य सरकार ने बाजरे की खरीद भावांतर भऱपाई योजना के तहत करने का निर्णय लिया है। साथ ही बाजरे की खेती को कम करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने की योजना लांच की है।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने अपनी कैबिनेट के साथ 600 दिन के कामकाज का लेखा-जोखा पेश करते हुए कहा कि हरियाणा सरकार ने 2250 रुपये प्रति क्विंटल की दर से एमएसपी पर बाजरा खरीदा। राज्य में बाजरे की खपत मात्र डेढ़ से दो लाख मीट्रिक टन तक है, लेकिन इस बार सात से आठ लाख मीट्रिक टन बाजरा मार्केट में आया। पंजाब और राजस्थान के लोग यहां आकर बाजरा बेच गए। बहुत से ऐसे केस भी सरकार की जानकारी में आए हैं, जिन्होंने सस्ते रेट पर किसानों से बाजरा खरीद लिया और उसे महंगे रेट यानी एमएसपी पर सरकार को बेच दिया।

मुख्यमंत्री ने बताया कि सरकार के बाजरा नहीं उगाने के अनुरोध के बावजूद यदि किसान बाजरे की फसल लगाते हैं तो ऐसे वास्तविक किसानों का बाजरा भावांतर भरपाई योजना के तहत खरीदा जाएगा, जिसमें सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित कर देगी। यानी सरकार द्वारा निर्धारित रेट से कम यदि किसी किसान को मार्केट में मिलते हैं तो सरकार अपने द्वारा घोषित रेट और मार्केट में मिले रेट के अंतर की भऱपाई संबंधित किसान को कर देगी। इससे किसानों को नुकसान नहीं होगा।

दो सौ ड्रोन खरीदेगी हरियाणा सरकार, कारपोरेशन बनेगी

हरियाणा सरकार ने करीब एक दर्जन विभागों के ड्रोन से होने वाले कामकाज को आसान बनाने के लिए ड्रोन कारपोरेशन आफ हरियाणा बनाने का निर्णय लिया है। इसके तहत करीब 200 ड्रोन खरीदे जाएंगे। पहले चरण में 100 और दूसरे चरण में फिर 100 ड्रोन की खरीद होगी। अभी तक करीब 40 ड्रोन सरकार के पास हैं, जो जरूरत पूरी नहीं कर पाते।

ड्रोन से मैपिंग का काम आसान होने के बाद वास्तविक डाटा और तस्वीर सरकार के पास होगी। राज्य सरकार हर खेत की फसल का डाटा भी तैयार कराने में जुटी है। राजस्व, आपदा प्रबंधन, वित्त विभाग और शहरी निकाय समेत विभिन्न विभागों के काम ड्रोन मैपिंग के जरिये आगे बढ़ाए जाएंगे।

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