अगले साल खाली हो रही राज्यसभा की दो सीटों पर हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की निगाह

हरियाणा में राज्यसभा की अगले वर्ष दो सीटें खाली हो रही हैं। एक सीट पर जेजेपी मजबूत दावेदारी पेश करने की तैयारी में है। इसके अलावा जेजेपी की पंजाब व उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव भाजपा के साथ मिलकर लड़ने की तैयारी है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Mon, 22 Nov 2021 08:41 PM (IST) Updated:Tue, 23 Nov 2021 07:32 AM (IST)
अगले साल खाली हो रही राज्यसभा की दो सीटों पर हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की निगाह
हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की फाइल फोटो।

अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़। हरियाणा सरकार में साझीदार जननायक जनता पार्टी (जजपा), भाजपा के साथ लंबी दूरी के प्रगाढ़ रिश्ते बनाने की दिशा में धीरे-धीरे आगे बढ़ रही है। जजपा की निगाह न केवल अगले साल खाली होने वाली राज्यसभा की दो सीटों पर है, बल्कि पंजाब व उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव भी मिलकर लड़ने की तैयारी की जा रही है। इन दोनों राज्यों में जजपा करीब दो दर्जन ऐसी सीटों की तलाश कर रही है, जहां पर जजपा उम्मीदवार मजबूती के साथ चुनाव लड़ सकते हैं। जाट और युवा मतदाताओं को लुभाने की मंशा से भाजपा को यह सौदा नुकसान का कम और फायदे का अधिक दिखाई दे रहा है। राज्यसभा की दो सीटें अगले साल खाली हो रही हैं, जबकि पंजाब व उत्तर प्रदेश में चुनाव भी इसी अवधि में हैं।

हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व वाली जननायक जनता पार्टी ने अपने तीन साल के शैशवकाल में जिस तेजी के साथ प्रदेश की राजनीति में अपना स्थान बनाया है, उसका दायरा बढ़ाने की दिशा में पार्टी के रणनीतिकारों ने रोडमैप तैयार कर लिया है। भाजपा व जजपा प्रदेश में अपने दो साल के साथ से काफी हद तक संतुष्ट हैं और अगले तीन साल इसी मजबूती व समन्वय के साथ चलने का वादा कर रहे हैं। सब कुछ सही रहा तो जजपा विधानसभा के साथ-साथ लोकसभा चुनाव भी भाजपा के साथ मिलकर लड़ेगी। प्रदेश में बरौदा व ऐलनाबाद विधनसभा उपचुनाव दोनों दलों ने मिलकर लड़े हैं। इनके नतीजे भले ही गठबंधन के हक में नहीं रहे, लेकिन इन दोनों उपचुनाव में भाजपा व जजपा की राजनीतिक समझदारी जरूर सामने आई है।

अगले कुछ माह में पंजाब व उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हैं। जननायक जनता पार्टी ने हरियाणा के साथ-साथ उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान और पंजाब में अपने संगठन का विस्तार किया है। इस संगठन विस्तार को पार्टी के चुनाव लड़ने की रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा से सटे पंजाब के कई जिलों में कुछ सीटें ऐसी हैं, जहां पर जननायक जनता पार्टी के अध्यक्ष डा. अजय सिंह चौटाला और उनके बेटे दुष्यंत चौटाला अपने परिवार के मुखिया रहे स्व. देवीलाल के असर का राजनीतिक लाभ हासिल कर सकते हैं। ऐसी सीटों को चिन्हित किया जा रहा है, जहां जजपा गठबंधन में भाजपा के समक्ष अपनी दावेदारी ठोंकेगी। भाजपा को भी ऐसी सीटें जजपा को देने में कोई हिचक नहीं होगी। यदि किसी कारण से जजपा के पास अच्छे उम्मीदवारों की कमी हुई तो वहां भाजपा उम्मीदवारों के सहयोगी की भूमिका में पार्टी खड़ी नजर आएगी।

दुष्यंत गौतम और सुभाष चंद्रा की राज्यसभा सीटें होंगी खाली

दरअसल, जजपा की रणनीति किसी सूरत में भाजपा का साथ छोड़ने की नहीं है। इसे यूं भी कह सकते हैं कि जिस तरह कभी इनेलो का पल्ला पकड़कर भाजपा ने मजबूती की तरफ कदम बढ़ाए और आज प्रदेश में अपनी बहुमत की सरकार बनाई, उसी तरह अब भाजपा का पल्ला पकड़कर जजपा अपनी भविष्य की राजनीति की तरफ बढ़ रही है। प्रदेश में राज्यसभा की पांच सीटें हैं। भाजपा के सहयोग से निर्दलीय तौर पर राज्यसभा पहुंचे सुभाष चंद्रा और भाजपा सांसद दुष्यंत गौतम का कार्यकाल एक अगस्त 2022 को खत्म हो रहा है।

कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा और भाजपा सांसद रामचंद्र जांगड़ा का कार्यकाल नौ अप्रैल 2026 को पूरा होगा। भाजपा सांसद डा. डीपी वत्स का राज्यसभा सदस्य के रूप में कार्यकाल एक अगस्त 2024 तक है। ऐसे में दुष्यंत गौतम व सुभाष चंद्रा का कार्यकाल पूरा होने के बाद खाली होने वाली इन दोनों सीटों में से कम से कम एक पर दुष्यंत चौटाला की निगाह है। एक सीट भाजपा के खाते में रहेगी। इस सीट को हासिल करने से पहले जजपा की योजना भाजपा का राजनीतिक भरोसा पूरी तरह से जीतने की है, ताकि दोनों दल मिलकर कदमताल करते हुए आगे बढ़ सकें।

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