हरियाणा कांग्रेस में हुड्डा-सैलजा का नेतृत्व स्वीकारने के बजाय अलग लाइन खींचकर चल रहे कुलदीप बिश्नोई

हरियाणा में कुलदीप बिश्नोई पार्टी के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा व प्रदेश अध्यक्षा कुमारी सैलजा से अलग लाइन खींचकर आगे बढ़ रहे हैं। छह अक्टूबर को भजनलाल के समाधि स्थल पर स्थापित होने वाली प्रतिमा के मौके पर वह शक्ति प्रदर्शन करेंगे।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sun, 26 Sep 2021 06:38 PM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 06:38 PM (IST)
हरियाणा कांग्रेस में हुड्डा-सैलजा का नेतृत्व स्वीकारने के बजाय अलग लाइन खींचकर चल रहे कुलदीप बिश्नोई
हरियाणा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कुलदीप बिश्नोई की फाइल फोटो।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रदेश अध्यक्षा कुमारी सैलजा का नेतृत्व स्वीकार करने के बजाय कुलदीप बिश्नोई अपनी अलग लाइन खींचकर आगे बढ़ रहे हैं। प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके अपने पिता भजनलाल की प्रदेश में स्थापित होने वाली पहली आदमकद प्रतिमा के लिए वह व्यापक तैयारी में जुटे हैं। यह प्रतिमा करीब 700 किलो (सात क्विंटल) की होगी।

हिसार संसदीय क्षेत्र के मंडी आदमपुर में स्व. भजनलाल के समाधि स्थल पर छह अक्टूबर को यह प्रतिमा लगाई जाएगी। पूरे प्रदेश में स्व. भजनलाल की अभी तक कोई प्रतिमा नहीं है, जबकि वह प्रदेश के लोकप्रिय मुख्यमंत्रियों में शामिल रहे हैं। कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य एवं अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के संरक्षक कुलदीप बिश्नोई प्रदेश में अपने पिता की 14 आदमकद प्रतिमाएं लगवाने की तैयारी में हैं, जिनका निर्माण पुणे में हो रहा है।

स्व. भजनलाल अक्सर मंडी आदमपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ते और जीतते रहे हैं। आदमपुर से उनकी धर्मपत्नी जसमा देवी भी चुनाव जीती हैं। बेटे कुलदीप बिश्नोई आदमपुर से ही चुनाव लड़ते हैं। फिलहाल कुलदीप विधानसभा में आदमपुर का ही प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। उनकी धर्मपत्नी रेणुका बिश्नोई हांसी से विधायक रही, जबकि बेटे भव्य बिश्नोई ने हिसार से पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था। हिसार और भिवानी लोकसभा सीटों से जीत हासिल कर कुलदीप बिश्नोई दो बार सांसद रह चुके हैं। अपने पिता की तरह वह गैर जाटों की राजनीति कर रहे हैं।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में जब कुलदीप बिश्नोई के नेतृत्व वाली हरियाणा जनहित कांग्रेस (हजकां) के पांच विधायक चुनाव जीतकर आए थे, तब उन्होंने हुड्डा का नेतृत्व अस्वीकार करते हुए उप मुख्यमंत्री का पद ठुकरा दिया था। कुलदीप के इस फैसले के बाद हजकां के बाकी विधायक सत्ता सुख की लालसा से हुड्डा के साथ चले गए थे। एक समय ऐसा भी आया, जब हजकां का कांग्रेस में विलय हो गया।

सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को अपना नेता मानने वाले कुलदीप ने कभी न तो हुड्डा का नेतृत्व स्वीकार किया और न ही कुमारी सैलजा के नेतृत्व को मान्यता दी। वह खुद को गैर जाट कांग्रेस नेता के रूप में पेश करते रहे हैं। कई मौके ऐसे आए, जब कुलदीप ने हुड्डा या सैलजा के नेतृत्व में काम करने के बजाय खुद की पहचान को सामने रखा। कुलदीप बिश्नोई छह अक्टूबर को अब अपने पिता स्व. भजनलाल के मंडी आदमपुर स्थित सवा चार एकड़ में बने समाधि स्थल में उनकी करीब छह फीट की मैटल की प्रतिमा लगवा रहे हैं। इस दिन उन्होंने अपने समर्थकों को राज्य भर से वहां बुलाया है।

कुलदीब यह आयोजन अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा के संरक्षण में करने वाले हैं, लेकिन माना जा रहा है कि प्रतिमा अनावरण के बहाने कुलदीप कांग्रेस हाईकमान व अपने प्रतिद्वंद्वी नेताओं को ताकत का अहसास कराने की रणनीति पर आगे बढ़ रही हैं। इसके लिए वह कांग्रेस प्रभारी विवेक बंसल को भी कार्यक्रम का न्योता दे सकते हैं। 

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