राकेश टिकैत ने कहा- केंद्र से बातचीत कराने के लिए हरियाणा सीएम मनोहरलाल मध्यस्थता करें , बाद में बयान से पलटे
Farmer Leader Rakeh Tikait किसान नेता और भाकियू के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने आज बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि हरियाणा के सीएम मनोहरलाल केंद्र सरकार से आंदाेलनकारियों की बातचीत कराने के लिए मध्यस्थता की पेशकश करें।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। तीन कृषि कानूनों के विरोध में डटे भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल केंद्र सरकार के साथ बातचीत कराने के लिए मध्यस्थता की पेशकश करें। हालांकि थोड़ी देर बाद ही राकेश टिकैत पलट गए और बोले कि मनोहर लाल एक राज्य के मुख्यमंत्री हैं। बहुत सी चीजें उनके हाथ में नहीं हो सकती।
पेशकश करने के थोड़ी देर बाद ही अपनी बात से पलट गए राकेश टिकैत
भाकियू नेता राकेश टिकैत से जब एक मीडियाकर्मी ने पूछा कि आप केंद्र से बात क्यों नहीं कर रहे हैं तो इसके जवाब में टिकैत ने कहा कि हमारी केंद्र सरकार से बातचीत नहीं हो रही है। केंद्र सरकार तीन कृषि कानूनों को रद करने के लिए तैयार नहीं हैं। यदि हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल रुचि लें तो केंद्र से हमारी बातचीत करवा दें। वह बातचीत के लिए मध्यस्थता की भूमिका निभाने को तैयार हो जाएं तो हम केंद्र से बात कर लेंगे।
राकेश टिकैत ने बातचीत की संभावना पैदा करने के साथ ही उसमें पेंच भी फंसा दिया। टिकैत बोले कि यदि मुख्यमंत्री मनोहर लाल केंद्र सरकार को तीनों कृषि कानून रद कराने के लिए राजी कर लें तो हम बातचीत करने को तैयार हैं। इस पर मीडियाकर्मी ने कहा कि क्या हम मुख्यमंत्री को फोन पर लाइन पर लें और आपकी बात करा दें। इस पर टिकैत ने कहा कि ऐसे आनलाइन तरीके से बातें नहीं कराई जाती। मनोहर लाल एक राज्य के मुख्यमंत्री हैं। बहुत सी ऐसी चीजें होती हैं, जो पब्लिकली नहीं होती। लेकिन, मुझे लगता है कि मनोहर लाल तीनों कृषि कानून रद नहीं करा पाएंगे। इसलिए अगर हमारी उनसे बात हो भी गई तो वह क्या जवाब देंगे।
मनोहर लाल बोले, हम बातचीत को तैयार, तीन कानून रद करने की जिद छोड़ें टिकैत
दूसरी तरफ हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि किसान संगठनों के नेताओं को अपनी जिद छोड़कर केंद्र से बातचीत की पहल करनी चाहिए। केंद्र सरकार आंदोलनकारी संगठनों से बातचीत करने को तैयार है। उन्होंने कहा कि किसान संगठनों को पहले तीन कृषि कानूनों को रद करने का राग अलापना बंद करना होगा, उसके बाद ही कोई बातचीत हो सकेगी। यदि कानून रद ही हो गए तो फिर बातचीत किस बात की। फिर तो कोई मसला ही नहीं रह गया।
मनोहर लाल ने कहा कि सरकार किसानों की हर वाजिब मांग मानने को तैयार है। यदि वह तीनों कानून में किसी तरह का सकारात्मक बदलाव का रास्ता सुझाते हैं और वह किसानों के हित में है तो केंद्र सरकार को कानून में संशोधन करने पर कोई ऐतराज नहीं है।