हरियाणा के सीएम मनोहर लाल की सुरक्षा में चूक मामले में डीजीपी से 10 दिन में वास्तविक रिपोर्ट तलब
विधानसभा परिसर में हरियाणा के सीएम मनोहर लाल की सुरक्षा में चूक के लिए जवाबदेही तय करने को विधानसभा सचिव ने डीजीपी को पत्र लिखा है। 10 दिन में वास्तविक रिपोर्ट नहीं दी तो कठोर कार्रवाई संभव है।
जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की विधानसभा परिसर में हुई सुरक्षा चूक पर स्पीकर ज्ञानचंद गुप्ता खासे नाराज हैं। हरियाणा के आइजी सिक्योरिटी सौरभ सिंह, चंडीगढ़ के एसएसपी कुलदीप चहल और 82 बटालियन पीएपी चंडीगढ़ के कमांडेंट गुरमीत सिंह चौहान की 12 पेज की रिपोर्ट को अधूरा मानते हुए स्पीकर इसे पहले ही लौटा चुके हैं। स्पीकर की ओर से विधानसभा सचिव आरके नांदल ने हरियाणा के पुलिस महानिदेशक मनोज कुमार यादव को एक पत्र लिखकर 10 दिन के भीतर वास्तविक रिपोर्ट तलब की है।
इस तरह के मामलों की पुनरावृति रोकने के लिए मुख्यमंत्री व उप मुख्यमंत्री को पंंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की तरफ से ’सेरेमोनियल गेट’ के पास स्थित आठवें सामान्य गेट से विधानसभा में एंट्री कराई जा सकती है। पंजाब व हरियाणा विधानसभा के सात गेट हैं, जो संयुक्त हैं। इन्हीं में से एक गेट पर मुख्यमंत्री की सुरक्षा में चूक हुई थी। विधानसभा स्पीकर ने डीजीपी से सात अहम बिंदुओं पर रिपोर्ट मांगी है।
तीन अधिकारियों की रिपोर्ट को अधूरा बताते हुए स्पीकर ने यह कहते हुए लौटाया था कि इसमें सुरक्षा में चूक के लिए किसी की जवाबदेही तय नहीं की गई है। 10 मार्च को पंजाब विधानसभा का बजट सत्र खत्म के बाद अकाली विधायकों ने उस समय मुख्यमंत्री मनोहर लाल का घेराव करने का प्रयास किया था, जब वह हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र की उस दिन की कार्यवाही खत्म होने के बाद मीडिया से रूबरू हो रहे थे।
इस मामले के बाद स्पीकर की ओर से चंडीगढ़ के सेक्टर तीन थाने में अकाली विधायकों के विरुद्ध एफआइआर दर्ज कराई गई थी। हरियाणा विधानसभा के पूर्व अतिरिक्त सचिव एवं पंजाब विधानसभा अध्यक्ष के सलाहकार राम नारायण यादव इस प्रकरण को हरियाणा व पंजाब विधानसभाओं के भवन एक ही परिसर में होने से जोड़कर देखते हैं। यह भवन विश्व धरोहर है, जिसमें कोई बदलाव नहीं किया जा सकता। विधायकों या कर्मचारियों की आड़ में अवांछित तत्व भवन में किसी भी अवसर का दुरूपयोग कर सकते हैं।
राम नारायण यादव का कहना है कि 10 मार्च जैसी घटना की पुनरावृति न हो, इसके लिए आवश्यक है कि सत्र के दौरान सबसे पहले क्षेत्राधिकार व विशेषाधिकार की सही पालना हो। एक विकल्प यह भी हो सकता है कि हरियाणा के मुख्यमंत्री व उप मुख्यमंत्री को हाईकोर्ट की तरफ से ’सेरेमोनियल गेट’ के पास स्थित आठवें सामान्य गेट से भीतर लाने का प्रबंध हो।