हरियाणा के एडीजीपी विर्क बोले- संयुक्त किसान मोर्चा ने टोहाना में सरकार को दिया भरोसा करनाल में तोड़ा

हरियाणा के एडीजीपी (कानून-व्यवस्था) नवदीप सिंह विर्क का कहना है कि किसान नेताओं ने हिंसक नहीं होने का भरोसा दिया था लेकिन करनाल में उन्होंने अपना वादा तोड़ दिया। वह हिंसक हुए जिसमें पुलिस कर्मी घायल हुए हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sun, 29 Aug 2021 11:25 AM (IST) Updated:Sun, 29 Aug 2021 11:52 AM (IST)
हरियाणा के एडीजीपी विर्क बोले- संयुक्त किसान मोर्चा ने टोहाना में सरकार को दिया भरोसा करनाल में तोड़ा
करनाल में प्रदर्शन करते किसान आंदोलनकारी ।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने टोहाना में हरियाणा सरकार से आंदोलन को हिंसक नहीं होने देने के अपने वादे को करनाल में स्वयं ही तोड़ दिया है। संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं ने सात जून को टोहाना में हुई बातचीत में पुलिस-प्रशासन को भरोसा दिलाया था कि आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चलेगा और उसमें हिंसा का कोई स्थान नहीं होगा, लेकिन करनाल में यह वादा टूट गया है।

हरियाणा के एडीजीपी (कानून-व्यवस्था) नवदीप सिंह विर्क ने शनिवार रात को बताया कि टोहाना में संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं से जो बातचीत हुई थी, उसके बाद भी कई बार किसान संगठनों ने अपने आंदोलन को हिंसक रूप दिया, लेकिन करनाल के बस्ताड़ा में हद पार हो गई थी। उन्होंने बताया कि लाठीचार्ज और पत्थरबाजी की घटना में बस्ताड़ा में चार किसान प्रतिनिधि और 10 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं।

नवदीप सिंह विर्क के अनुसार करनाल के बस्ताड़ा टोल पर शनिवार सुबह करीब 12 बजे कुछ प्रदर्शनकारी इकट्ठा हुए। उन्होंने नेशनल हाईवे को जाम किया और करनाल शहर की तरफ जाने की कोशिश की। करनाल में मुख्यमंत्री मनोहर लाल समेत तमाम मंत्री और सरकार के प्रतिनिधि मौजूद थे। जब बस्ताड़ा में मौजूद अधिकारियों व कर्मचारियों ने इन आंदोलनकारियों को समझाया कि आप वहां नहीं जा सकते तो उन्होंने उग्र रूप धारण कर लिया। कुछ प्रदर्शनकारियों ने पुलिस बल पर पत्थर फेंके। कुछ लोगों ने पुलिस कर्मियों पर कस्सी से हमला करने की कोशिश की। उसके बाद पुलिस बल ने हलका बल प्रयोग किया और आंदोलनकारियों को वहां से हटाया। इस प्रकरण में चार किसानों को चोट आई है और 10 पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं।

एडीजीपी के अनुसार संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं से इस तरह उग्र होने की उम्मीद नहीं की जा सकती थी। सात जून को टोहाना में संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं के साथ हमारी बातचीत हुई। उन्होंने तब भरोसा दिलाया था कि आगे से वह अपने प्रदर्शन का कभी उग्र रूप धारण नहीं करेंगे और शांतिपूर्वक प्रदर्शन करेंगे, लेकिन उसके बाद भी काफी घटनाएं ऐसी हुई हैं, जिनमें उन्होंने हिंसा का सहारा लिया है। जब भी कोई भी प्रदर्शन हिंसक रूप में उतर आता है तो यह पुलिस की ड्यूटी बनती है कि वह कानून व्यवस्था की स्थिति को बहाल करे।

खुद फैसला करिये कौन क्या चाहता है

मुख्यमंत्री मनोहर लाल के प्रिंसिपल मीडिया एडवाइजर विनोद मेहता का कहना है कि एक तरफ सुरक्षा बलों पर कस्सी और फावड़े से कातिलाना हमला करने वाले हुड़दंगी और दूसरी तरफ घायलों की पट्टी बांधने वाला जवान। तस्वीरें सारी कहानी खुद ही बयां कर रही है। अब फैसला खुद करिये कि कौन शांति चाहता है और कौन अशांति।

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