पराली जलाने में बदनाम हरियाणा के 199 गांव रेड जोन में, अब सरकार का रहेगा पहरा, होगी सेटेलाइट मैपिंग भी

Stubble Burning हरियाणा में पराली दहन को रोकने के लिए राज्‍य सरकार गंभीर हो गई है। राज्‍य में इसके लिए कदम उठाए जा रहे हैं। राज्‍य सरकार ने पराली जलाने के लिए बदनाम 199 गांवों को रेड जाेन में रखा गया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Wed, 15 Sep 2021 04:34 PM (IST) Updated:Wed, 15 Sep 2021 04:34 PM (IST)
पराली जलाने में बदनाम हरियाणा के 199 गांव रेड जोन में, अब सरकार का रहेगा पहरा, होगी सेटेलाइट मैपिंग भी
हरियाणा में पराली पराली दहन के लिए रेड जोन बनाए जा रहे हैं। (फाइल फोटो)

सुधीर तंवर, चंडीगढ़। Stubble Burning: पराली (धान के फसल अवशेष) जलाने पर हर साल पड़ोसी प्रदेश दिल्ली और पंजाब से होने वाली तकरार से सबक लेते हुए प्रदेश सरकार धान की कटाई से पहले ही पराली निस्तारण की कवायद में जुट गई है। प्रदेश में 13 जिलों में 199 गांव रेड जोन में चुने गए हैं, जहां सर्वाधिक पराली जलाई जाती है। इसी तरह 723 गांव येलो और आरेंज जोन में हैं।

गांवों में चौकीदार, ग्राम सचिव व पटवारी करेंगे खेतों में निगरानी, पराली जलाते ही देंगे सूचना

प्रदेश में धान की सरकारी खरीद 25 सितंबर से है, लेकिन कई स्थानों पर फसल तैयार हो गई है। ऐसे में कृषि विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव डा. सुमिता मिश्रा ने सभी जिला उपायुक्तों को निर्देश दिए हैं कि चिन्हित किए गए धान उत्पादक क्षेत्रों में पराली जलाने पर पूरी तरह अंकुश लगाएं। खासकर रेड जोन में शामिल गांवों में पहरा लगाया जाए। गांव के चौकीदार, ग्राम सचिव व पटवारी को पहरे की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। सभी धान उत्पादक जिलों में सेटेलाइट मैपिंग कराई जाएगी ताकि कहीं पर भी पराली को जलाने की घटना पर तुरंत एक्शन लिया जा सके।

723 गांव येलो और आरेंज जोन में, धान उत्पादक 13 जिलों में होगी सेटेलाइट मैपिंग

प्रदेश के 13 धान उत्पादक जिलों को चिह्नित किया गया है, जहां पराली जलाने के सर्वाधिक मामले सामने आते हैं। इनमें पंचकूला, अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, कैथल, सिरसा, फतेहाबाद, यमुनानगर, पलवल, पानीपत, जींद, सोनीपत जिला शामिल है। किसानों को जागरूक करने के साथ उन्हें कृषि संयंत्र मुहैया कराने के भी निर्देश दिए गए हैं ताकि वे पराली का निस्तारण सही तरीके से कर सकें।

गांठ बनाने के लिए सरकार देगी प्रति एकड़ एक हजार रुपये

स्ट्रा बेलर द्वारा पराली की गांठ या बेल बनवाकर इसे उद्योगों में देने वाले किसानों को सरकार प्रति एकड़ एक हजार रुपये देगी। इसके लिए 230 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है. योजना का लाभ उठाने के लिए किसान विभाग के पोर्टल https://agriharyana.gov.in पर रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। इस पोर्टल पर किसान और उद्योग पराली को खरीद या बेच सकते हैं। पिछले साल 24 हजार 409 किसानों ने इस पोर्टल पर पंजीकरण कराया था। पोर्टल पर 147 उद्योगों ने आठ लाख 96 हजार 963 टन पराली की खरीद के लिए पंजीकरण कराया था।

केंद्र की मदद से खोले 4224 कस्टम हायरिंग केंद्र

केंद्र सरकार ने पराली की समस्या से निपटने के लिए हाल ही में हरियाणा को 141 करोड़ रुपये जारी किए हैं। पिछले चार साल में पराली की समस्या से केंद्र सरकार प्रदेश को 641 करोड़ रुपये दे चुकी है। फसल अवशेषों के प्रबंधन के लिए कृषि-मशीनीकरण को बढ़ावा देने के लिए यह फंड दिया गया। इससे प्रदेश में 4224 कस्टम हायरिंग केंद्र खोलने में मदद मिली। फसल अवशेषों के बेहतर प्रबंधन के लिए ग्रामीणों को मशीनें किराये पर उपलब्ध कराई जाएंगी।

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