फरीदाबाद, गुरुग्राम सहित हरियाणा में निजी कंपनियों के लिए जमीन अधिगृहित नहीं करेगी सरकार

हरियाणा सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह किसी भी निजी प्रोजेक्ट के लिए न तो जमीन अधिगृहीत करेगी और न किसी को अधिगृहित करके देगी। कहा कि सिर्फ सार्वजनिक निजी सहभागिता वाली विकास परियोजनाओं के लिए ही जमीन का अधिग्रहण होगा।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sun, 29 Aug 2021 06:13 PM (IST) Updated:Sun, 29 Aug 2021 06:13 PM (IST)
फरीदाबाद, गुरुग्राम सहित हरियाणा में निजी कंपनियों के लिए जमीन अधिगृहित नहीं करेगी सरकार
निजी कंपनियों के लिए जमीन अधिगृहित नहीं करेगी सरकार। सांकेतिक फोटो

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। भूमि अधिग्रहण कानून में बदलाव के बाद हरियाणा सरकार ने रविवार को साफ कर दिया कि सार्वजनिक निजी सहभागिता (पीपीपी) मोड पर आरंभ होने वाली विकास परियोजनाओं के लिए ही जमीनों का अधिग्रहण होगा। प्रदेश सरकार किसी भी प्राइवेट प्रोजेक्ट के लिए न तो जमीन अधिगृहित करेगी और न ही किसी को अधिगृहित कर देगी।

सार्वजनिक निजी सहभागिता मोड की विकास परियोजनाओं के लिए जो जमीन अधिगृहित होगी, उसकी मालिक स्वयं सरकार होगी। ऐसी जमीन का पैसा 30 दिन के भीतर संबंधित किसान के खाते में ट्रांसफर कर दिया जाएगा। भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन का विरोध कर रहे कांग्रेस व इनेलो को जवाब देते हुए हरियाणा के डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने कहा कि प्रदेश में अधिकतर विकास परियोजनाओं के लिए जमीन की खरीद ई-भूमि पोर्टल के जरिये सीधे किसानों से होगी।

दुष्यंत ने कहा कि किसान को अपनी जमीन का विवरण और संभावित दाम ई-भूमि पोर्टल पर अपलोड करने होंगे। प्रदेश सरकार को यदि लगेगा कि जमीन की जरूरत है और उसके रेट भी सही हैं तो इसे खरीद लिया जाएगा। किसानों के पास कहीं भी अधिक रेट पर अपनी जमीन बेचने का विकल्प हमेशा की तरह बरकरार रहेगा। दुष्यंत चौटाला ने एक सवाल के जवाब में बताया कि मारुति या होंडा सरीखी बड़ी निजी कंपनियों को यदि अपने प्रोजेक्ट के लिए हरियाणा में जमीन की जरूरत होगी तो वह सरकार अपने लैंड बैंक से मुहैया करा सकती है।

दुष्यंत ने कहा कि पहला विकल्प तो यह होगा कि कंपनी सीधे भू-स्वामियों से जमीन खरीदे। यदि इसमें वह सफल नहीं रह पाती तो लैंड बैंक की जमीन दे दी जाएगी। दुष्यंत के अनुसार एक जनवरी 2021 से अब तक ई-भूमि पोर्टल के जरिये 49 विकास परियोजनाओं के लिए 845 एकड़ जमीन खरीदी गई है, जिसकी कीमत 360 करोड़ रुपये है।

दुष्यंत चौटाला राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री भी हैं। उन्होंने बताया कि रेवाड़ी के मनेठी में खुलने वाले एम्स के लिए 40 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से 140 एकड़ जमीन खरीदी गई है। करनाल में एयर स्ट्रिप (हवाई पट्टी) के विस्तार के लिए 52 एकड़, जींद में वाटर वर्क्स के निर्माण के लिए 46.9 एकड़ तथा सिरसा जिले के चौटाला गांव में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए 20 एकड़ जमीन की खरीद की गई। जींद के वाटर वर्क्स के लिए ही दो किसानों से 10 एकड़ जमीन खरीदने का प्रस्ताव दिया गया है। फरीदाबाद से नोएडा के लिए पुल के प्रवेश व निकासी द्वार बनाने के लिए 40 एकड़ जमीन की खरीद की गई। सिरसा की नई अनाज मंडी के लिए 56 एकड़ जमीन की खरीद की गई।

दुष्यंत चौटाला ने कहा कि जो लोग यह शोर मचा रहे हैं कि मंडियां बंद हो जाएंगी, किसानों को एमएसपी नहीं मिलेगी और उनकी फसलों के रेट कम हो जाएंगे, नई मंडियों की स्थापना के लिए जमीन की खरीद से उनकी बोलती बंद हो गई है। प्रदेश सरकार ने खरीफ की फसलों के 15 हजार 325 करोड़ रुपये सीधे किसानों के खाते में दिए। 340 करोड़ रुपये की दामी (आढ़त) आढ़तियों को प्रदान की गई। भुगतान में देरी पर किसानों के खाते में एक करोड़ 20 लाख रुपये की ब्याज की राशि प्रदान की गई है, इसलिए तीन कृषि कानूनों व भूमि अधिग्रहण कानून में कुछ भी किसान विरोधी नहीं है।

chat bot
आपका साथी