17 साल पहले भी विधानसभा में लहराए थे जूते, सीनियर विधायकों ने ही तोड़ी मर्यादा

सदन में जूते निकालने की घटना हरियाणा विधानसभा में 17 साल पहले भी हुई थी। 2001 में इनेलो के विधायक भागीराम ने कांग्रेस के कैप्‍टन अजय यादव पर जूते निकाल लिये थे।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Wed, 12 Sep 2018 10:45 AM (IST) Updated:Wed, 12 Sep 2018 10:45 AM (IST)
17 साल पहले भी विधानसभा में लहराए थे जूते, सीनियर विधायकों ने ही तोड़ी मर्यादा
17 साल पहले भी विधानसभा में लहराए थे जूते, सीनियर विधायकों ने ही तोड़ी मर्यादा

चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा विधानसभा के मानसून सत्र का आखिरी दिन सदन में विधायकों के अमर्यादित आचरण के लिए जाना जाएगा। प्रदेश के राजनीतिक इतिहास में यह पहला दूसरी बार है, जब दो सीनियर विधायकों ने एक दूसरे पर जूते तान लिए। इससे पूर्व करीब 17 साल पहले सदन में इनेलो विधायक भागी राम ने तत्कालीन विधायक कैप्टन अजय यादव पर जूता तान लिया था।

2001 में इनेलो के भागीराम ने कांग्रेस के कैप्टन अजय पर ताना था जूता, सीएम चौटाला ने मांगी थी माफी

दरअसल, विपक्ष के नेता अभय सिंह चौटाला और पांच बार विधायक रह चुके पूर्व मंत्री कर्ण सिंह दलाल के बीच 36 का आंकड़ा है। नेताओं का कहना है कि सदन में जिस तरह से मर्यादाएं तार तार हुई हैैं, वह स्वस्थ लोकतंत्र के लिए उचित नहीं ठहराई जा सकती। दलाल और अभय के बीच हुए विवाद के बाद हुड्डा ने माफी मांग ली थी। इसके बावजूद सत्ता पक्ष के मंत्रियों का गुस्सा शांत नहीं हुआ। वे दलाल द्वारा हरियाणा को कलंकित कहने का आरोप लगाते हुए मामले में कार्रवाई पर अड़ गए।

विधानसभा में कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़, वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु और स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज कांग्रेस विधायक कर्ण सिंह दलाल के विरुद्ध निलंबन प्रस्ताव लाने की जिद पर अड़े रहे। घी में आग का काम अभय चौटाला की हामी ने कर दिया।

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बता दें कि सन 2001 में ओमप्रकाश चौटाला मुख्यमंत्री हुआ करते थे। विधानसभा में इनेलो विधायक भागी राम ने कैप्टन अजय सिंह यादव को जूता दिखाते हुए गलत टिप्पणियां की थी, लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने बड़प्पन दिखाते हुए तुरंत माफी मांग ली थी और मामला शांत हो गया था।

वरिष्ठ विधायक साथियों की सलाह मान गए अभय चौटाला

कांग्रेस विधायक करण दलाल से झगड़ा होने के बाद प्रतिपक्ष नेता अभय सिंह चौटाला ने सदन से निकलते हुए दलाल को दस मिनट में फिर देख लेने की चेतावनी दी थी। इसके बाद माना जा रहा था कि यह मामला यहीं नहीं रुकेगा। मगर इनेलो के वरिष्ठ विधायक परमिंद्र सिंह ढुल सहित कुछ अन्य विधायकों ने अभय को समझाया कि सत्तापक्ष दलाल के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है, इसलिए अब उन्हें कुछ करने की जरूरत नहीं है। इनेलो विधायकों की मानें तो चौटाला करण दलाल के खिलाफ सख्त कदम उठाने की मूड में थे, मगर उन्होंने अपने वरिष्ठ साथियों की सलाह मान ली।

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धनखड़ ने एक बार मुद्दा पकड़ा तो छोड़ा नहीं

करण दलाल के कलंकित शब्द को सदन में सबसे पहले कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़ ने पकड़ा। इसके बाद उन्होंने पुरजोर तरीके से इसे सदन में जीवित रखा। धनखड़ बेशक पहले दलाल से माफी मांगवाने पर अड़े थे, लेकिन बाद में जब उन्होंने देखा कि कांग्रेस के विधायक भी दलाल का साथ नहीं दे रहे हैं तो उन्होंने दलाल के निलंबन की मांग उठा दी।

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नेता प्रतिपक्ष अभय चौटाला ने जब दलाल के खिलाफ अपने दल के समर्थन का एेलान किया तो सत्तापक्ष के लोगों की बांछे खिल गई। हालांकि चौटाला का सत्तापक्ष को समर्थन मिलने के बाद कांग्रेस विधायक भी दलाल के साथ दिखाई देने लगे, लेकिन तब तक सदन में दलाल के खिलाफ माहौल बन चुका था। अभय चौटाला जब दलाल द्वारा प्रदेश को कलंकित कहे जाने के मुद्दे पर अपनी बात कह रहे थे तो राज्यमंत्री कृष्णबेदी ने दलाल की ओर इशारा करते हुए कहा कि अब निबट लें। इसकी पुष्टि शाम को सदन में अभय चौटाला ने अपने स्पष्टीकरण में भी की।

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