मृत्यु के बाद अगर सेवा नियमित होती है तब भी कर्मचारी की पत्नी फेमिली पेंशन की हकदार

यदि किसी कर्मचारी की मौत हो जाती है और उसके नियमित होने के आदेश बाद में जारी होते हैं तो भी उसकी पत्नी फेमिली पेंशन की हकदार होगी।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Tue, 26 May 2020 08:52 AM (IST) Updated:Tue, 26 May 2020 08:52 AM (IST)
मृत्यु के बाद अगर सेवा नियमित होती है तब भी कर्मचारी की पत्नी फेमिली पेंशन की हकदार
मृत्यु के बाद अगर सेवा नियमित होती है तब भी कर्मचारी की पत्नी फेमिली पेंशन की हकदार

जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक याचिका का निपटारा करते हुए साफ कर दिया है कि अगर किसी कर्मचारी की मृत्यु के बाद उसकी सेवा नियमित होने के आदेश जारी होते हैं तो भी कर्मचारी की पत्नी फेमिली पेंशन की हकदार है। इस मामले में पलवल निवासी इमरती देवी ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर उसके पति की मौत के बाद से उसे फैमली पेंशन व एक्सग्रेशिया लाभ देने की मांग की थी।

महिला की तरफ से उसके वकील डीएस रावत ने बेंच को बताया कि याचिकाकर्ता महिला का पति पीडब्लूडी (वाटर सप्लाई व सेनिटेशन) विभाग में माली के पद पर कार्यरत था। उसके पति ने माली के पद पर 1989 से डेली वेज/वर्कचार्ज के तहत काम किया। फरवरी 1996 विभाग ने एक नीति के तहत उसकी सेवा नियमित करने का निर्णय लिया, लेकिन महिला के पति की 24 मई 1996 को मौत हो गई।

उसकी मौत के कुछ दिन बाद सरकार ने सेवा नियमित करने के लिखित आदेश जारी किए, जिसके तहत उसे एक फरवरी 1996 उसकी सेवा नियमित कर दी गई थी। इसी आधार पर उसकी पत्नी ने फैमली पेंशन व एक्सग्रेशिया की विभाग से मांग की थी। विभाग ने उसकी मांग इस आधार पर खारिज कर दी कि मृत्यु के समय तक नियमित सेवा का आदेश जारी नहीं हुआ था। नियमित सेवा के लिए उसका मेडिकल टेस्ट भी नहीं हुआ व एक साल की उसकी नियमित सेवा पूरी नहीं हुई थी, इसलिए उसको किसी भी तरह का लाभ नहीं दिया जा सकता।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने बेंच को बताया कि मृतक नियमित सेवा करने के निर्णय से सात साल पूर्व से विभाग में काम कर रहा था, ऐसे में पेंशन न देने के पीछे एक साल की सेवा व मेडिकल न होने की शर्त लगाना उचित नहीं है। इससे पहले भी कई हाई कोर्ट ने ऐसे कई मामलों में पेंशन जारी करने के आदेश जारी किए हैं।

सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने कहा कि मृतक सात साल से विभाग की सेवा कर रहा था। इस लिए उसकी सात साल की जो सेवा उसने डेलीवेज/ वर्कचार्ज के तहत की है उसे अनदेखा नहीं किया जा सकता, सरकार ने उसकी सेवा नियमित करने का निर्णय पहले ले लिया था, चाहे आदेश बाद में ही जारी क्यों न हुआ हो, जब वह कार्यरत था तो मेडिकल का क्या आधार बनता है।

हाई कोर्ट की जस्टिस रितु बाहरी ने याचिका का निपटारा करते हुए सरकार को आदेश दिया कि वह याची को फैमली पेंशन व एक्सग्रेशिया के सभी लाभ जारी करे। कोर्ट ने सभी लाभ हाई कोर्ट में याचिका दायर करने की तिथि 24 अक्टूबर 2008 से नौ प्रतिशत ब्याज के साथ जारी करने को कहा है।

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