नेशनल हेराल्‍ड केसः राज्यपाल ने सीबीआइ को दी हुड्डा पर अभियोग चलाने की मंजूरी

हरियाणा के राज्यपाल ने पूर्व मुख्‍यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ पंचकूला के नेशनल हेराल्‍ड जमीन मामले में सीबीआइ को अभियोग चलाने की स्वीकृति दे दी है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Thu, 15 Nov 2018 01:29 PM (IST) Updated:Thu, 15 Nov 2018 07:40 PM (IST)
नेशनल हेराल्‍ड केसः राज्यपाल ने सीबीआइ को दी हुड्डा पर अभियोग चलाने की मंजूरी
नेशनल हेराल्‍ड केसः राज्यपाल ने सीबीआइ को दी हुड्डा पर अभियोग चलाने की मंजूरी

चंडीगढ़, जेएनएन। कांग्रेस के मुखपत्र नेशनल हेराल्ड अखबार की सहयोगी कंपनी एसोसिएट जनरल लिमिटेड (एजेएल) को पंचकूला में प्लाट आवंटन के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर अभियोग चलेगा। राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य ने इसके लिए सीबीआइ को स्वीकृति प्रदान कर दी है। लोकसभा द्वारा बदले गए नियमों के तहत पूर्व सीएम के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने से पहले सीबीआइ ने राज्यपाल की मंजूरी मांगी थी।

हरियाणा सरकार ने इस बारे में पहले कानूनी राय लेने के लिए केस को एडवोकेट जनरल के पास भेजा। एडवोकेट जनरल की सलाह पर फाइल मंजूरी के लिए राजभवन भेजी गई। उल्लेखनीय है कि सीबीआइ ने अप्रैल-2016 में पंचकूला में प्लाट आवंटन मामले में केस दर्ज किया था। 2014 के लोकसभा एवं विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा ने इसे चुनावी मुद्दा भी बनाया था। सीबीआइ इस मामले की जांच कर चुकी है।

अब सीबीआइ की ओर से चार्जशीट दाखिल की जानी है। सीबीआइ ने इस मामले में वरिष्ठ कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा को भी प्रतिवादी बनाया हुआ है। सीबीआई ने उन अधिकारियों को दोषी नहीं माना है, जिनके नाम इस केस में जुड़े थे। अधिकारियों ने तो प्लाट अलॉटमेंट से मना कर दिया था।

नेशनल हेराल्ड के लिए तत्कालीन भजनलाल सरकार ने पंचकूला के सेक्टर-6 में एजेएल को 3360 वर्ग मीटर का प्लाट अलाट किया था। तय समय सीमा में प्लाट पर निर्माण नहीं हुआ तो अलाटमेंट को रद कर दिया गया। वर्ष 2005 में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने एजेएल को यह प्लाट रि-अलाट कर दिया था। आरोप लगे कि प्लाट पुरानी दरों पर ही अलाट किया गया।

नहीं किया कोई गलत काम : हुड्डा

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है, ''मैंने कोई गलत काम नहीं किया है। पूरा मामला राजनीति से प्रेरित है। जब से प्रदेश में भाजपा की सरकार आई है, राजनीतिक द्वेष और बदले की भावना से झूठे केस दर्ज कराए जा रहे हैं। यही वजह है कि ज्यादातर मामलों में सरकार आरोपपत्र तक दाखिल नहीं करा पाई। ऐसे फर्जी मुकदमों से सरकार हमारी आवाज दबा नहीं सकती। अपनी विफलताओं को छिपाने और लोगों का ध्यान भटकाने के लिए यह सब किया जा रहा है।''

आकाओं को खुश करने के लिए नियम तोड़े : जैन

सीएम के मीडिया एडवाइजर राजीव जैन का कहना है, ''पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा ने अपने कांग्रेसी आकाओं को खुश करने के लिए सभी नियमों को ताक पर रख दिया। 10 वर्षों के कार्यकाल में जिस तरह से प्रदेश की सरकारी और किसानों की जमीनों को हथियाया गया, वह जनता के सामने है। अब सीबीआइ जांच आगे बढ़ रही है तो हुड्डा को सलाखें नजर आ रही हैं। हुड्डा विधानसभा में छाती ठोककर कहते थे कि मैं जांच के लिए तैयार हूं। फिर अब डर कैसा।''

यह है पूरा मामला

एसोसिएटड जर्नल लिमिटेड (एजेएल) के अखबार नेशनल हेराल्ड के लिए पंचकूला में नियमों के खिलाफ जमीन आवंटन का आरोप है। इस मामले में सतर्कता विभाग ने मई 2016 में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर केस दर्ज किया गया है। यह मामला हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) की शिकायत पर दर्ज हुआ है। चूंकि मुख्यमंत्री हुडा के पदेन अध्यक्ष होते हैं। यह गड़बड़ी हुड्डा के कार्यकाल में हुई, इसलिए उनके खिलाफ यह मामला दर्ज हुआ है।

आरोप है कि हुड्डा ने 28 अगस्त 2005 को पद का दुरुपयोग करते हुए एजेएल को पंचकूला में जमीन का आवंटन बहाल कर दी। दरअसल यह जमीन एजेएल को 30 अगस्त 1982 में आवंटित की गई थी। शर्त यह थी कि कंपनी छह महीने में उक्त जमीन पर निर्माण करेगी । लेकिन ऐसा नहीं हुआ, जिसकी वजह से 30 अक्टूबर 1992 को संपदा अधिकारी पंचकूला ने जमीन वापस ले ली। साथ ही 10 फीसदी राशि में कटौती कर शेष राशि 10 नवंबर 1995 को लौटा दी। हालांकि, एजेएल ने संपदा अधिकारी के आदेश के खिलाफ अपील वित्तायुक्त एवं सचिव हरियाणा सरकार के समक्ष की। लेकिन उन्होंने 10 अक्टूबर 1996 को संपदा अधिकारी के आदेश को बरकरार रखा।

इस पूरे मामले में नया मोड़ तब आया जब 14 मई 2005 को तत्कालीन हुडा प्रमुख भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एजेएल को दोबारा वह जमीन आवंटित करने की संभावना तलाशने को कहा। लेकिन तत्कालीन मुख्य प्रशासक ने स्पष्ट कर दिया कि पुराने रेट पर जमीन आवंटित करना संभव नहीं है। इसके बावजूद हुडा प्रमुख ने 28 अगस्त 2005 को पंचकूला की जमीन 1982 की दर पर ही एजेएल को आवंटित कर दी।

सीबीआइ को भी सौंपा गया मामला

बाद में मनोहर सरकार की सिफारिश पर सीबीआइ ने एजेएल को प्लाट आवंटित करने के मामले में हुड्डा के खिलाफ एफआइआर दर्ज किया। पंचकूला में इस प्लाट का रि-अलाटमेंट हुआ था। स्टेट विजिलेंस ब्यूरो ने प्लाट का एक बार आवंटन रद होने के बाद दोबारा आवंटन को नियमों के खिलाफ बताते हुए उच्च स्तरीय जांच की संस्तुति की थी, जिसके आधार पर मनोहर सरकार ने प्लाट आवंटन की सीबीआइ जांच कराने का फैसला किया था।

स्टेट विजिलेंस ब्यूरो ने अपनी जांच रिपोर्ट में प्लाट रि-अलाटमेंट में बड़े घोटालों की आशंका जताई थी। संबंधित प्लाट नंबर 17 पंचकूला के सेक्टर छह की प्राइम लोकेशन पर है, जिसका आवंटन एक बार रद होने के बाद हुड्डा ने हुडा चेयरमैन के नाते इसे एजेएल को दोबारा से अलाट कराने की अनुमति प्रदान की। सीबीआइ की चंडीगढ़ शाखा में विजिलेंस के डीएसपी मदन लाल की शिकायत के आधार पर हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) के चेयरमैन के नाते पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा, तत्कालीन मुख्य प्रशासक, तत्कालीन हुडा प्रशासक तथा टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डिपार्टमेंट के वित्त सचिव और एसोसिएट जनरल लिमिटेड (एजेएल) के संचालकों के खिलाफ चार अलग-अलग धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ।

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हुड्डा के विरुद्ध चल रही विभिन्न जांच


1. पंचकूला में इंडस्ट्रीयल प्लॉट आवंटन - 2013 में 14 लोगों को प्लॉट आवंटित - हुड्डा, एक आइएएस, एक रिटायर्ड अफसर और प्लॉटधारकों समेत 17 लोगों पर एफआइआर। विजिलेंस जांच में दोषी। हुड्डा और उनके समर्थकों पर एक साथ 20 स्थानों पर सीबीआई की छापेमारी।

2. गुरुग्राम के मानेसर में जमीन अधिग्रहण मामला - भूमि अधिग्रहण कानून के तहत मानेसर, नौरंगपुर और लखनौला में टाउनशिप के लिए 912 एकड़ भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई - वर्ष 2004 से 2007 के बीच 400 एकड़ भूमि खरीद में धांधली का आरोप। दिल्ली और हरियाणा में हुड्डा और उनके साथियों के दो दर्जन ठिकानों पर छापेमारी। किसानों और भू-मालिकों का करीब 1500 करोड़ के नुकसान का दावा। इस मामले में ईडी ने भी केस दर्ज किया।

 3. पंचकूला का एजेएल प्लॉट आवंटन मामला - नेशनल हेराल्ड अखबार के स्वामित्व वाली कंपनी को प्लॉट का रि-अलॉटमेंट - 2016 में स्टेट विजिलेंस ब्यूरो की जांच में दोषी ठहराए जाने के बाद सीबीआई जांच की सिफारिश। अब ईडी को मिली केस चलाने की इजाजत।

4. गेहूं में करनाल बंट नामक बीमारी की रोकथाम के लिए रैक्सील दवा घोटाला - आइएएस अधिकारी अशोक खेमका ने उठाया था मामला - केंद्रीय सतर्कता ब्यूरो से जांच कराने का निर्णय। हाईकोर्ट में भी चल रही कार्रवाई।

5. वाड्रा व डीएलएफ कंपनियों को गुरुग्राम में जमीनों के लाइसेंस का मामला - जस्टिस एसएन ढींगरा आयोग का गठन - 2016 से हाईकोर्ट में चल रहा केस।

 

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