हरियाणा में पराली से कमाई, अब प्रबंधन में बढ़ी किसानों की रुचि, 45 फीसद घटे अवशेष जलाने के केस
हरियाणा में पराली से कमाई के कारण किसानों की इसके प्रबंधन में रुचि बढ़ी है। फसल अवशेष प्रबंधन कृषि यंत्र खरीदने वाले किसान अब दो नवंबर तक पोर्टल पर बिल अपलोड कर सकते हैं। सरकारी नीति से राज्य में पराली जलाने के मामले गिरे हैं।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में पराली से कमाई और प्रबंधन को लेकर किसानों में बढ़ती जागरूकता का असर दिखने लगा है। इस साल पराली जलाने के मामलों में करीब 45 फीसद की गिरावट आई है। हरियाणा के नौ जिले ऐसे हैं, जिनमें पराली जलाने का अब तक एक भी मामला सामने नहीं आया है। इसके अलावा जीटी रोड बेल्ट पर भी पराली जलाने के मामलों में गिरावट दर्ज की गई है। करनाल, कुरुक्षेत्र, अंबाला, पानीपत व सोनीपत जिलों में पिछले साल के मुकाबले इस वर्ष पराली जलाने के मामले काफी कम रह गए हैं। इससे उत्साहित प्रदेश सरकार ने फसल अवशेष प्रबंधन कृषि यंत्र खरीदने वाले किसानों के लिए खरीद बिल विभागीय पोर्टल पर अपलोड करने की अंतिम तिथि को दो नवंबर तक बढ़ा दिया है।
केंद्र सरकार की ‘इन-सीटू क्राप रेजीड्यू मैनेजमेंट स्कीम’ के तहत पहले विभागीय पोर्टल पर खरीद बिल अपलोड करने की अंतिम तिथि नौ अक्टूबर रखी गई थी। ऐलनाबाद में आदर्श आचार संहिता के कारण सिरसा जिले के किसानाें को छोड़ कर सभी जिलों के किसान लाभ लेने के पात्र होंगे जिन्होंने 25 सितंबर तक आनलाइन आवेदन जमा कराए हुए हैं। इस साल कृषि विभाग की ओर से पराली प्रबंधन के लिए करीब ढाई सौ करोड़ रुपये का बजट रखा गया है। किसानों को कृषि यंत्रों पर सब्सिडी के साथ ही पराली प्रबंधन के लिए प्रति एकड़ एक हजार रुपये अलग से दिए जा रहे हैं। किसानों में जागरूकता का परिणाम है कि पिछले साल जहां प्रदेश में चार हजार 577 स्थानों पर पराली जलाई गई थी, वहीं इस साल अब तक 2103 मामले सामने आए हैं।
वहीं, मुख्य सचिव विजय वर्धन ने उपायुक्तों के साथ वीडियो काफ्रेंसिंग के जरिये हुई बैठक में पराली के मामले में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों पर सख्ती भी दिखाई है। बैठक में पराली जलाने वाले किसानों के चालान करने के मामले में जींद, पलवल व हिसार जिले के अधिकारी स्टेटस रिपोर्ट का ब्योरा नहीं दे सके। जींद व पलवल के प्रशासनिक अधिकारियों को यह जानकारी तक नहीं थी कि उनके जिले में पराली जलाने के कितने मामले सामने आए हैं और कितने किसानाें के चालान किए गए हैं। मुख्य सचिव ने तीनों जिलों के प्रशासनिक अधिकारियों को खूब फटकार लगाई।
गौरतलब है कि प्रदेश के 13 जिले ऐसे हैं जिनमें धान का उत्पादन होता है। इनमें पंचकूला, अंबाला, कुरुक्षेत्र, करनाल, कैथल, सिरसा, फतेहाबाद, यमुनानगर, पलवल, पानीपत, जींद, सोनीपत शामिल है। पराली जलाने के सर्वाधिक मामले इन्हीं जिलों में होते हैं। इस कारण यहां के 199 गांवों को रेड और 723 गांवों को ओेरेंज व येलो जोन में शामिल किया गया है।
करनाल, कैथल और कुरुक्षेत्र में सर्वाधिक जली पराली
जिला पिछले साल जली पराली इस साल अब तक पराली जलाने के केस
करनाल 836 621
कैथल 803 585
कुरुक्षेत्र 743 373
अंबाला 605 111
फतेहाबाद 417 143
हिसार 119 8
जींद 302 102
पानीपत 36 24
पलवल 72 32
सिरसा 161 20
सोनीपत 55 8
यमुनानगर 342 74
फरीदाबाद 6 2
नौ जिलों में नहीं कोई केस
जिला पिछले साल जली पराली
पंचकूला 31
रोहतक 15
भिवानी 10
झज्जर 10
महेंद्रगढ़ 4
रेवाड़ी 4
चरखी दादरी 3
गुरुग्राम 2
नूंह 1