हरियाणा में दवा व मेडिकल उपकरण खरीद में घोटालेे का आरोप, हाई कोर्ट ने ईडी व विजिलेंस को नोटिस जारी किया

हरियाणा में दवा व मेडिकल उपकरण खरीद में हुए कथित घोटाले के मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है। मामले में हाई कोर्ट ने ईडी व विजिलेंस को नोटिस जारी कर दिया है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Tue, 06 Apr 2021 05:17 PM (IST) Updated:Tue, 06 Apr 2021 05:17 PM (IST)
हरियाणा में दवा व मेडिकल उपकरण खरीद में घोटालेे का आरोप, हाई कोर्ट ने ईडी व विजिलेंस को नोटिस जारी किया
हरियाणा में दवा खरीद घोटाले में ईडी व विजिलेंस को नोटिस। सांकेतिक फोटो

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग में दवा और उपकरणों की खरीद में कथित रुप से करोड़ों रुपये के घोटाले की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से कराने की एक मांग पर सुनवाई करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रवि शंकर झा पर आधारित बेंच ने प्रवर्तन निदेशालय व हरियाणा विजिलेंस ब्यूरो को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। कोर्ट ने यह आदेश जगविंद्र सिंह कुल्हरिया द्वारा वकील प्रदीप रापडिय़ा के जरिये दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए हैं।

याचिका के मुताबिक सरकारी अस्पतालों में हुए दवा खरीद घोटाले के मामले में वर्ष 2018 में तत्कालीन सांसद और अब उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने सीबीआइ जांच और कैग से आडिट कराने की मांग की थी। आरटीआइ के अनुसार तीन वर्ष की अवधि में राज्य के सरकारी अस्पतालों में कई करोड़ रुपये की दवाएं और मेडिकल उपकरण बेहद महंगे दामों में खरीदे गए थे।

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याचिकाकर्ता ने कहा है कि अब दुष्यंत चौटाला प्रदेश के उप मुख्यमंत्री बनने के बाद मामले को भूल गए हैं और कार्रवाई की कोई मांग नहीं कर रहे। दुष्यंत ने जब यह मामला उठाया था, तब भी और अब भी स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ही हैं। याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट को बताया कि हिसार की एक दवा कंपनी, जिस एड्रेस पर दर्ज है, वहां फर्म की जगह एक धोबी बैठा है।

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हिसार और फतेहाबाद के सामान्य अस्पतालों में चिकित्सा उपकरणों की सप्लाई करने वाली फर्म का मालिक नकली सिक्के बनाने के आरोप में तिहाड़ जेल में था। उसने न केवल जेल से ही टेंडर प्रक्रिया में भाग लिया, बल्कि स्वास्थ्य विभाग के कर्मी ने उसके झूठे हस्ताक्षर किए।याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट को बताया है कि दवा और उपकरण सप्लाई करने वाली बहुत सी कंपनियों के पास लाइसेंस ही नहीं था।

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जिलों के सिविल सर्जनों ने न केवल दवाइयां और उपकरण महंगे दामों में खरीदे, बल्कि ऐसी कंपनियों से दवाओं की खरीद कर ली, जो कागजों में करियाने और घी का कारोबार करती हैं। याचिकाकर्ता ने इस पूरे मामले की जांच ईडी से कराने की मांग की है। याची पक्ष की दलील सुनने के बाद बेंच ने टिप्पणी की कि लगता है इस मामले में दोषी लोगों को आश्रय दिया जा रहा है। बेंच ने प्रतिवादी पक्ष को नोटिस जारी कर इस मामले में जवाब देने का आदेश दिया है। 

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