त्रिपुरा सरकार ने कहा- IAS सोनल की हरियाणा में प्रतिनियुक्ति पूरी हुई, नियम के अनुरूप बुलाया

त्रिपुरा सरकार ने हरियाणा में कार्यरत आइएएस अफसर सोनल गाेयल के बारे में बड़ा बयान दिया है। सरकार ने कहा है कि सोनल की प्रतिनियुक्ति पूरी हो गई है। उनको नियम के अनुरूप बुलाया गया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Sat, 19 Sep 2020 09:49 PM (IST) Updated:Sun, 20 Sep 2020 07:33 AM (IST)
त्रिपुरा सरकार ने कहा- IAS सोनल की हरियाणा में प्रतिनियुक्ति पूरी हुई, नियम के अनुरूप बुलाया
त्रिपुरा सरकार ने कहा- IAS सोनल की हरियाणा में प्रतिनियुक्ति पूरी हुई, नियम के अनुरूप बुलाया

चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा में कार्यरत सोनल गोयल को त्रिपुरा सरकार द्वारा वापस बुलाए जाने के मामले में नया मोड़ आ गया है। अब त्रिपुरा सरकार ने कहा है कि सोनल गोयल पर कोई दबाव नहीं डाला जा रहा है, बल्कि मूल कॉडर में लौटना नियमों के अनुसार है। त्रिपुरा में अधिकारियों के अभाव को देखते हुए राज्य के मुख्यमंत्री बिप्लब देब ने प्रतिनियुक्ति पर दूसरे राज्यों में गए राज्य काॅडर के अधिकारियों को वापस बुलाने के लिए संबंधित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा था। सोनल चार साल से हरियाणा में प्रतिनियुक्ति पर हैं। वह मूल रूप से हरियाणा के पानीपत की रहनेवाली हैं और उनके पति आइआरएस अधिकारी हैं और दिल्‍ली में कस्‍टम विभाग में कार्यरत हैं।

कहा- त्रिपुरा में काबिल अफसरों की कमी ह‍ै, इसलिए राज्‍य कॉडर के अधिकारियों को वापस बुलाया

बता दें कि सोनल गोयल 2008 बैच की त्रिपुरा काॅडर की आइएएस अधिकारी हैं। त्रिपुरा सरकार के अनुसार, वर्ष 2009 में उन्होंने प्रोबेसनरी तौर पर त्रिपुरा में ज्वाइन किया और 2010 में ट्रेनिंग पूरी की। ट्रेनिंग के बाद राज्य में उन्होंने करीब छह साल सेवाएं प्रदान की। 2016 में वह हरियाणा में प्रतिनियुक्ति पर चली गईं। त्रिपुरा सरकार के अनुसार, हरियाणा में उनकी प्रतिनियुक्ति पर गए हुए उनको चार वर्ष से ज्यादा हो गए हैं, इसलिए उनके मूल काॅडर में लौटना का निर्णय नियम सम्मत है। वह लगातार नौ वर्ष तक मूल काॅडर से बाहर नहीं रह सकती हैं।

त्रिपुरा सरकार क‍े सूत्रों के अनुसार, प्रशासनिक सेवा अधिकारियों के लिए कार्य शर्तें भारत सरकार के कार्मिक विभाग द्वारा तय की जाती हैं। इनके अनुरूप ही प्रशासनिक सेवा के अधिकारी कार्य करते हैं। सेवा शर्तों के अनुसार, कोई भी अधिकारी अपने पूरे सेवाकाल में नौ वर्ष तक प्रतिनियुक्ति के आधार पर अपने मूल काॅडर से बाहर तो रह सकता है, लेकिन वह लगातार नौ साल तक मूल काॅडर से बाहर कार्य नहीं कर सकता है। ऐसे अधिकारियों के क्रमशः 5, 4 और एक वर्ष मूल काॅडर से बाहर प्रतिनियुक्ति पर जाने की व्यवस्था है, बशर्ते उक्त अधिकारी शर्तों का पालन करे।

त्रिपुरा सरकार के अनुसार, मूल काॅडर से प्रतिनियुक्ति पर जाने के लिए पहली बार तीन वर्ष की अनुमति होती है। उसके बाद राज्य सरकार की सहमति से एक-एक वर्ष का एक्सटेंशन मिल सकता है। सोनल गोयल वर्ष 2019 में अपने तीन वर्ष की प्रतिनियुक्ति हरियाणा में प्रदान कर चुकी हैं। इसके बाद अपने परिवारिक कारणों का हवाला देकर उन्होंने राज्य सरकार से एक वर्ष का प्रतिनियुक्ति विस्तार मांगा था। त्रिपुरा सरकार ने बच्चे छोटे होने के कारण उनके अनुरोध को स्वीकार करते हुए एक वर्ष का प्रतिनियुक्ति विस्तार प्रदान कर दिया था।

त्रिपुरा सरकार का कहना है कि अब सोनल गोयल दोबारा प्रतिनियुक्ति चाहती हैं। राज्य सरकार के समक्ष संकट यह है कि त्रिपुरा में काबिल अफसरों की संख्या कम है। प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री दिन-रात सूबे के विकास के कार्यों में जुटे हुए हैं। उन्हें भी काबिल और होशियार अफसरों की आवश्यकता है, ताकि अगले चुनाव से पहले वह जनता में किए वायदों को पूरा कर सकें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पूर्वोत्तर को हीरा बनाने की बात कर चुके हैं और पूर्वोत्तर के राज्यों पर उनका पूरा फोकस है।

त्रिपुरा सरकार का कहना है कि विकास के मामले में पूर्वोत्तर के राज्य देश के अन्‍य प्रदेशों से पीछे रह गए हैं। लेकिन, सबसे बड़ी समस्या यह है कि राष्ट्र सेवा की दुहाई देने वाले नौकरशाह पूर्वोत्तर के राज्यों में रहना ही नहीं चाहते हैं। कूलिंग ऑफ पीरियड को वे मजबूरी में काटकर पुनः से मुख्य भूभाग के राज्यों में जुगाड़ लगाकर प्रतिनियुक्ति पर जाने की कोशिश में रहते हैं।

त्रिपुरा सरकार का कहना है कि 2008 की सिविल सर्विस परीक्षा में 13वां स्थान आने के बाद सोनल गोयल को त्रिपुरा काॅडर अलाट करने के मामले मेें केंद्र सरकार के कर्मिक विभाग का बिल्कुल पारदर्शी नियम है। काॅडर वितरण पर सवाल न के बराबर उठे हैं। काॅडर का वितरण पारदर्शी तरीके से होता है और साथ ही इसमें यह ध्यान रखा जाता है कि हर तरह का टैलेंट देश के हर राज्य में पहुुंचे। जहां तक सवाल हरियाणा सरकार द्वारा सोनल को त्रिपुरा न भेजे जाने का है, तो इसके लिए मूल काॅडर के राज्य की मंजूरी जरूरी है।

त्रिपुरा सरकार का कहना है कि एक प्रतिनियुक्ति के बाद अधिकारी के लिए वापस अपने मूल काॅडर में दो वर्ष की सेवाएं देना अनिवार्य है, जिसे कूलिंग पीर‍ियड कहा जाता है। इसलिए सोनल गोयल को भी सेवा शर्तों के अनुसार अपने मूल काॅडर के राज्य त्रिपुरा लौटना पडेगा। इसमें त्रिपुरा सरकार की कोई जिद नहीं बल्कि सरकार के बनाए नियम हैं। सोनल गोयल केंद्र में भी प्रतिनियुक्ति पर तभी जा सकती हैं, जब वह अपने मूल काॅडर में दो वर्ष का कूलिंग पीरियड पूरा करें।   

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