बिजली बिल कम करने संबंधी घोषणाओं पर अमल नहीं, फिक्स चार्ज लग कर आ रहे बिल

लॉकडाउन की अवधि के दौरान उद्योगों को बिजली बिलों में फिक्स चार्ज पर 25 फीसद माफ करने की घोषणा की गई थी लेकिन बिलों में यह लगकर आ रहा है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Thu, 11 Jun 2020 04:29 PM (IST) Updated:Thu, 11 Jun 2020 04:29 PM (IST)
बिजली बिल कम करने संबंधी घोषणाओं पर अमल नहीं, फिक्स चार्ज लग कर आ रहे बिल
बिजली बिल कम करने संबंधी घोषणाओं पर अमल नहीं, फिक्स चार्ज लग कर आ रहे बिल

नई दिल्ली [बिजेंद्र बंसल]। हरियाणा सरकार ने लॉकडाउन की अवधि के दौरान उद्योगों के लिए बिजली बिलों में फिक्स चार्ज पर 25 फीसद माफ करने की घोषणा की थी, मगर बावजूद इसके उद्यमियों को इस बार मिले अप्रैल माह के बिलों में कोई राहत नहीं मिली है। उद्यमियों को औसत रीडिंग के आधार पर बिजली के बिल भेजे जा रहे हैं। गलत बिल भेजने की शिकायत पर विभाग के अधिकारियों का सिर्फ इतना ही जबाव होता है कि उपभोक्ता बिल ठीक करा लें, जबकि बिजली विभाग में बिल ठीक कराना आसान काम नहीं है।

उपभोक्ता की शिकायत संबंधित बिजली अधिकारी द्वारा हिसार भेजी जाएगी, वहां से बिल ठीक होकर आएगा। इससे पहले उपभोक्ता को गलत बिल की राशि जमा करानी पड़ जाती है क्योंकि उस पर देरी से बिल जमा कराने की एवज में सरचार्ज देय हो जाता है। घरेलू, वाणिज्यिक और औद्योगिक संस्थानों में बिजली के गलत बिल भेजने का यह सिलसिला काफी पुराना है। ऐसा भी नहीं है कि बिजली विभाग या अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं है मगर विभाग की तरफ से उपभोक्ता के लिए स्थानीय स्तर पर सिर्फ यही आश्वासन होता है कि वे बिल ठीक करा लें। यदि उन्होंने गलत बिल की राशि जमा भी करा दी है तो दूसरे बिलों में उस राशि का समायोजित कर दिया जाएगा।

विभाग के अधिकारी उपभोक्ताओं के इन सवालों का जबाव भी नहीं देते कि जब बिल देरी से भरने पर विभाग सरचार्ज लेता है तो गलत बिल की एवज में उपभोक्ता द्वारा जमा की गई राशि पर ब्याज क्यों नहीं दिया जाता। इसके अलावा औसत बिल बनाने के पीछे मीटर रीडर को उसकी गलती की सजा क्यों नहीं दी जाती। यह सजा उपभोक्ता को ही क्यों भुगतनी पड़ती है। राज्य सरकार के निर्देश पर बिजली निगम ने घरेलू उपभोक्ताओं की बिजली दर भी स्लैब अनुसार तय की हुई हैं। ऐसे में औसत रीडिंग से आए बिल के कारण उपभोक्ता स्लैब दर के लाभ से भी वंचित रह जाता है।

केस स्टडी

जुनेजा ब्राइट स्टील (खाता नंबर- 5948490000) फैक्ट्री के अप्रैल माह के बिजली बिल में पुरानी और नई यूनिट का अंतर 470 है मगर 470 यूनिट का बिल भेजने के बजाय बिजली निगम ने औसत रीडिंग के हिसाब से 3760 यूनिट का बिल भेज दिया। इसी तरह जे. आयरन एलोय स्टील कंपनी के अप्रैल माह बिजली के बिल 658 की बजाए 6581 यूनिट का भेज दिया। इन कंपनियों के मालिक अजय जुनेजा का कहना है कि अप्रैल माह में तो उनकी फैक्ट्री लॉकडाउन में बंद रही। ऐसे में बंद फैक्ट्री का बिल औसल रीडिंग पर भेजने का अर्थ तो यह है कि बिजली निगम में सिस्टम नाम की चीज नहीं है। संबंधित अधिकारियों से बात की तो वे बिल ठीक कराने की बात कर रहे हैं मगर इस तरह गलत बिजली का बिल भेजने से उपभोक्ताओं की परेशानी बढ़ जाती हैं। ये गलत बिल अजय जुनेजा को 6 जून को मिले और इनके भरने की अंतिम तारीख 15 जून है।

बिजली बिल स्लैब

0-50 यूनिट तक 2.70 रुपये प्रति यूनिट

51-100 यूनिट 4.50

दूसरी श्रेणी

0-150 यूनिट 4.50 रुपये प्रति यूनिट

151-250 यूनिट 5.25 रुपये

251-500 यूनिट 6.30 रुपये

501-800 यूनिट 7.10 रुपये प्रति यूनिट

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