कच्ची उम्र में बाबुल के घर से विदाई नहीं चाहती बेटियां, लाडो पंचायत में उठी मांग, बोलीं- 21 वर्ष हो शादी की उम्र

आनलाइन हुई लाडो पंचायत में परियों की पीड़ा छलकी। पंचायत में लड़कियों की शादी की उम्र 18 से बढ़ाकर 21 साल करने की मांग उठी। कहा कि कम उम्र में शादियों से अर्थव्यवस्था सामाजिक बदलाव और लड़कियों की शिक्षा पर विपरीत असर पड़ी रहा है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Mon, 19 Jul 2021 11:15 AM (IST) Updated:Mon, 19 Jul 2021 02:36 PM (IST)
कच्ची उम्र में बाबुल के घर से विदाई नहीं चाहती बेटियां, लाडो पंचायत में उठी मांग, बोलीं- 21 वर्ष हो शादी की उम्र
लाडो पंचायत में बेटियां बोली शादी की उम्र हो 21 वर्ष। सांकेतिक फोटो

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। लड़कियों के विवाह की आयु 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने की मांग जोर पकड़ रही है। हर साल करीब 15 लाख बाल विवाह होने से चिंतित लड़कियों ने शादी की उम्र बढ़वाने के लिए आवाज उठाई है। मौका था लाडो पंचायत का, जिसमें हरियाणा, पंजाब, गुजरात, राजस्थान, दिल्ली और उत्तर प्रदेश की लड़कियों ने भागीदारी करते हुए कानून में संशोधन कर लड़कियों को हर तरह की आजादी की पुरजोर वकालत की।

वेबीनार के जरिये हुई लाडो पंचायत में लड़कियों ने दलील दी कि शादी की उम्र 21 किए जाने का देश की अर्थव्यवस्था, सामाजिक बदलाव और लड़कियों की शिक्षा पर सकारात्मक असर पड़ेगा। देश की पहली लाडो पंचायत कराने के सूत्रधार बने सेल्फी विद डाटर फाउंडेशन के संयोजक सुनील जागलान, जिन्होंने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ मुहिम का सूत्रपात किया। बाद में यह मिशन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट बन गया, जो अब तक चल रहा है। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान की शुरुआत भी हरियाणा के पानीपत में हुई थी।

सुनील जागलान की सेल्फी विद डाटर मुहिम दुनिया के कई देशों तक पहुंची। लाडो पंचायत में अधिकतर लड़कियों ने कहा कि शादी की उम्र 21 साल करने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोच सकारात्मक है। पिछले साल 15 अगस्त को 74वें स्वतंत्रता दिवस पर लड़कियों के लिए शादी की न्यूनतम आयु सीमा पर पुनर्विचार करने के उद्देश्य से उन्होंने एक उच्चस्तरीय समिति भी गठित करने की घोषणा की थी, लेकिन अभी तक समिति की कोई रिपोर्ट सामने नहीं आ सकी।

आनलाइन लाडो पंचायत से जुड़ी बेटियां व सुनील जागलान। 

प्रधानमंत्री को इस बारे में समिति को अपनी रिपोर्ट तत्परता के साथ पेश करने के निर्देश देने चाहिये। वेबीनार में लड़कियों ने कहा कि 18 साल की उम्र में शादियां हो जाने से वह न तो अपनी पढ़ाई पूरी कर पाती हैं और न ही आत्मनिर्भर बन सकती हैं। माता-पिता लड़की को सिलाई-कढ़ाई सिखाकर और खाना बनाना व कपड़े धोना सिखाकर उन्हें आत्मनिर्भर मान लेते हैं, जबकि हकीकत यह है कि लाखों बच्चियों को इस कानून की आड़ में 18 साल से पहले ही पराये घर भेज दिया जाता है। यहां से शुरू होता है उनका शारीरिक, मानसिक और सामाजिक शोषण। खेलने, खाने, सीखने, पढ़ने और आत्मनिर्भर बनने की उम्र में ऐसी बच्चियां शारीरिक व मानसिक तकलीफ झेल रही होती हैं।

18 साल की उम्र तक तो कोई लड़की स्नातक की पढ़ाई भी पूरी नहीं कर पाती। शादी के बाद उसके पढ़ने, लिखने और आत्मनिर्भर बनकर पति पर निर्भर नहीं रहने के विकल्प भी खुले नहीं होते। लाडो पंचायत में रिषिद्धा कटना, प्रियंका वर्मा, अंजू, निशाथ रून, रीना, पारुल पंघेल, रेणु शर्मा, बाला, नीतू पंवार, तमन्ना, अनवी, आशू, रीता पंवार, रितिका, प्रियांशी जाखड़, संजना और कविता सहरावत ने स्पष्ट तौर पर कहा कि लड़कियों की शादी की उम्र 21 साल करने के बारे में केंद्र को विचार करना चाहिए।

महाराष्ट्र से जुड़ी कृष्णा वानखेड़े ने इस बारे में इस वेबीनार की पूरी प्रोसे¨डग प्रधानमंत्री कार्यालय में भेजने का सुझाव दिया। सरला यादव ने इसका समर्थन किया।सोहना के एक स्कूल में आठवीं की 18 लड़कियों के विवाह तय लाडो पंचायत के संयोजक सुनील जागलान ने एक अनुभव साझा करते हुए बताया कि गुरुग्राम के सोहना ब्लाक में वह लड़कियों के एक स्कूल में गए। कोरोना से पहले वहां कक्षा आठ की 28 लड़कियों से उनकी मुलाकात हुई।

कुछ दिनों के बाद जब लड़कियां घुल-मिल गई तो पता चला कि इनमें से 18 लड़कियों की शादियां तय हो चुकी हैं। इस बारे में जब उनसे पूछा तो इन लड़कियों को शादी के बारे में कुछ भी पता नहीं था। मेकअप, गाजा-बाजा और गहने-आभूषणों को ही वह शादी मानते हुए अपने सपनों का संसार बुन रही थी। लाडो पंचायत ऐसी मानसिकता के खिलाफ बड़ा प्रहार करने की तैयारी में है।

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