हरियाणा में फसल का पैसा अब जाएगा सीधे बैंक खाते में, किसानों को होंगे ये तीन बड़े फायदे
हरियाणा में किसान अब अपनी मर्जी से अपनी मेहनत की कमाई खर्च कर सकेगा। राज्य में फसल खरीद का पैसा अब सीधे किसान के खाते में जाएगा। पिछले कई सालों से आढ़तियों के दबाव में आ रही सरकार ने इस बार कड़ा रुख अपनाया है।
चंडीगढ़ [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा में गेहूं की फसल के दाम सीधे किसानों के खाते में जाने से बरसों पुरानी साहूकारी व्यवस्था में बड़ा बदलाव आएगा। किसानों को जहां अपनी फसल का पैसा हासिल करने के लिए आढ़तियों के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे, वहीं अपनी मर्जी से पैसे का इस्तेमाल कर पाएंगे। अभी तक न अपनी फसल का भुगतान हासिल करने के लिए आढ़ती की मर्जी पर निर्भर रहते थे। ऐसे भी बहुत से उदाहरण हैं, जब आढ़ती से लिए गए कर्ज को खाता-बही में कई गुणा बढ़ाकर दिखा दिया गया और किसान उस कर्ज को उतारने में ही रह गया। मगर अब सीधे भुगतान से किसानों के अच्छे दिन आएंगे।
हरियाणा के किसान अपनी फसल के दाम खुद के खातों में भेजे जाने की मांग लंबे समय से कर रहे थे, लेकिन आढ़तियों के दबाव के चलते सरकार चाहकर भी इस योजना को पिछले सालों में लागू नहीं कर पाई। जब भी सरकार ने किसानों को सीधे खातों में पेमेंट की रूपरेखा तैयार की, तभी आढ़ती एकजुट हो गए और हड़ताल की धमकी देकर सरकार पर दबाव बनाने लगे। फसल खरीद की वैकल्पिक व्यवस्थाओं की कमी के चलते सरकार इन आढ़तियों के दबाव में आई भी, लेकिन अब सरकार के पास आढ़ती द्वारा फसल की खरीद नहीं करने की स्थिति में किसी भी नए व्यक्ति या किसान समूह को ही आढ़त का अस्थाई लाइसेंस प्रदान करने का विकल्प है।
यह भी पढ़ें: हरियाणा सरकार का बड़ा फैसला, 9वीं से 12वीं कक्षा तक के बच्चों को इसी सत्र से मिलेगी मुफ्त शिक्षा
हरियाणा सरकार के पास ऐसे किसान समूहों, युवाओं और प्रगतिशील किसानों की सूची मौजूद है जो जरूरत पड़ने पर अस्थाई लाइसेंस हासिल कर गेहूं की खरीद कर सकते हैं। प्रदेश सरकार द्वारा नामित एजेंसियां इन लोगों के पास से सीधे अनाज का उठान कर गोदामों तक पहुंचा देंगी। इस काम के लिए उन्हें वही आढ़त मिलेगी, जो वास्तविक आढ़तियों को दी जाती है। इस बार सरकार ने किसानों के हित में एक बड़ा कदम और उठाया है। पहले आढ़ती को आढ़त किसान के पैसे से काटकर दी जाती थी, मगर इस बार सरकार अपने खजाने से आढ़त देगी। फसल बिक्री के बाद जे-फार्म कटने के 48 घंटे के भीतर किसान के खाते पैसा पहुंचेगा। ऐसा नहीं होने पर सरकार नौ फीसदी ब्याज भी देगी। सरकार के नए फैसले से किसानों को तिहरा फायदा होने जा रहा है।
यह भी पढ़ें: कोटकपूरा गोलीकांड मामले में पंजाब सरकार को झटका, हाई कोर्ट ने खारिज की जांच रिपोर्ट, नई SIT बनाने के आदेश
किसानों को यह होंगे तीन बड़े फायदे
पहला फायदा तो यह कि किसान को अपनी फसल का पूरा और जल्दी दाम मिलेगा। दूसरा फायदा यह कि आढ़ती मनमानी नहीं कर पाएंगे। तीसरा फायदा ये है कि किसान के पैसे से काटी जाने वाली आढ़त की राशि बचेगी। कृषि सुधारों की तरफ अग्रसर केंद्र सरकार ने इस बार राज्यों को साफ कह दिया था कि किसानों को सीधे उनके खातों में पैसा जाना चाहिए। पंजाब सरकार इसमें आनाकानी कर रही है। हरियाणा सरकार ने इस बार कड़ा स्टैंड लेते हुए आढ़तियों के विरोध को दरकिनार कर सीधे किसानों के खाते में भुगतान भेजने का जो अभूतपूर्व फैसला लिया है, उसकी किसानों में सराहना हो रही है। आढ़तियों को यह कहकर तसल्ली दी जा रही है कि सरकार उनकी आढ़त देने को तैयार है। उनका किसानों के साथ जो भी लेन-देन है, वह आढ़ती व किसान का निजी मामला है। इसमें सरकार भला अपनी योजना को पलीता क्यों लगने दे।
साहूकारी व्यवस्था के चंगुल से बाहर निकलेगा किसान
पानीपत जिले के गांव डिडवानी के किसान नरेंद्र ङ्क्षसह का कहना है कि सरकार का यह क्रांतिकारी फैसला है, जो बहुत पहले ले लिया जाना चाहिए था। लेकिन अब भी इसे अगर सख्ती से लागू किया जाए तो किसान साहूकारी व्यवस्था के चंगुल से बाहर निकल सकेंगे। अगर आढ़ती और किसान का आपस का कोई लेन देन है तो वह दोनों आपस में तय करेंगे। किसान अपने खाते में पैसा आने के बाद उसे अपनी सुविधा अनुसार खर्च कर सकेगा।
किसान अपनी मर्जी से खर्च कर सकेगा अपना पैसा
सोनीपत जिले के गांव अटेरना निवासी किसान कंवल सिंह चौहान के अनुसार अब किसान अपनी मर्जी का मालिक होगा। उसे हर समय साहूकार के मुंह की तरफ नहीं देखना पड़ेगा। खातों में हेराफेरी की आशंका भी उसे नहीं सताएगी। बेटी का ब्याह है या बेटे की शादी, खाद और बीज लाना है, नया ट्रैक्टर या पेट्रोल-डीजल खरीदना है, किसी की उधारी उसे सिस्टम के साथ चुकानी है। किसी को कम देना है तो किसी को ज्यादा देना है। यह सब तय करने का अधिकार किसान को मिल जाएगा।
यह भी पढ़ें: कोरोना वैक्सीनेशन सिर्फ 45 वर्ष से अधिक आयु के लोगों का ही क्यों, पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में उठा सवाल