हरियाणा सरकार का बड़ा फैसला, अब हिंदी मीडियम में भी होगी सिविल, मैकेनिकल व इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग

हरियाणा में अब सिविल मैकेनिकल व इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी मीडियम में भी होगी। तीन विश्वविद्यालयों में हिंदी मीडियम से पढ़ाई इसी सत्र से शुरू हो जाएगी। यह जानकारी तकनीकी शिक्षा मंत्री अनिल विज ने दी है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Mon, 04 Oct 2021 06:44 PM (IST) Updated:Mon, 04 Oct 2021 06:47 PM (IST)
हरियाणा सरकार का बड़ा फैसला, अब हिंदी मीडियम में भी होगी सिविल, मैकेनिकल व इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग
हरियाणा के गृह, स्वास्थ्य एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री अनिल विज की फाइल फोटो।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में हिंदी काे प्रोत्साहित करने में लगी प्रदेश सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। अब प्रदेश में सिविल, मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग का कोर्स हिंदी में भी कराया जाएगा। तीन तकनीकी विश्वविद्यालयों दीनबंधु छोटू राम यूनिवर्सिटी आफ साइंस एंड टेक्नोलाजी (मुरथल), जेसी बोस विज्ञान और प्रौद्योगिकी वाईएमसीए, फरीदाबाद और गुरु जंभेश्वर विज्ञान प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय हिसार में इसी सत्र से हिंदी में यह कोर्स शुरू किए जाएंगे। तीनों विश्वविद्यालयों में सभी कोर्स के लिए अतिरिक्त 30-30 सीटें रखी गई हैं।

तकनीकी शिक्षा मंत्री अनिल विज ने सोमवार को बताया कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है। क्षेत्रीय भाषा में इंजीनियरिंग कोर्स को प्रोत्साहित करने के लिए तकनीकी शिक्षा विभाग निजी विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों के साथ जल्द बैठक करेगा। इसके अलावा हरियाणा व दिल्ली में हिंदी माध्यम से संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई) में शामिल हुए छात्रों की सूची प्राप्त कर उन्हें हिंदी में कोर्स की जानकारी दी जाएगी।

विज ने बताया कि प्रदेश सरकार अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) से इन इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश की अंतिम कट आफ तिथि 30 नवंबर तक रखने का अनुरोध करेगी। वर्तमान में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में प्रवेश की अंतिम कट आफ तिथि 25 अक्टूबर है। यह पाठ्यक्रम हिंदी भाषा में तभी शुरू किए जाएंगे जब प्रत्येक पाठ्यक्रम में न्यूनतम 20 विद्यार्थी हों।

केंद्र सरकार की तर्ज पर प्रदेश सरकार सेवानिवृत्त या सेवारत आइएएस अधिकारी, कुलपति या प्रसिद्ध शिक्षाविद की अध्यक्षता में एक विशेष कार्य बल (टास्क फोर्स) का गठन करेगी। इस टास्क फोर्स में दो सलाहकार और तीन शिक्षा विशेषज्ञ होंगे। यह विशेष कार्य बल क्षेत्रीय भाषा में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के प्रभावी कार्यान्वयन की निगरानी करेगा। कार्यबल सभी हितधारकों और अन्य राज्यों के साथ संपर्क करेगा और क्षेत्रीय भाषाओं में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के कार्यान्वयन के लिए अन्य राज्यों द्वारा अपनाए गए माडलों का अध्ययन भी करेगा। इसके बाद प्रदेश सरकार को अपनी सिफारिशें और सुझाव देगा।

एआइसीटीई हिंदी में उपलब्ध कराएगी पुस्तकें

एआइसीटीई ने प्रदेश सरकार के खर्चे पर चरणबद्ध तरीके से इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों के लिए हिंदी में पुस्तकें उपलब्ध कराने पर सहमति जताई है। एआइसीटीई शिक्षकों को प्रशिक्षण देगा। शिक्षकों को हिंदी में पाठ्यक्रम पढ़ाने के प्रति प्रेरित करने के लिए प्रदेश सरकार अतिरिक्त मानदेय देगी। संबंधित विश्वविद्यालय इन पाठ्यक्रमों को संचालित करने के लिए आवश्यक आधारभूत संरचना प्रदान करेंगे। नई शिक्षा नीति में क्षेत्रीय भाषाओं में शिक्षा की सिफारिश की गई है।

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