हरियाणा के छातर में 150 परिवारों के सामाजिक बहिष्कार का मामला पहुंचा हाई कोर्ट

हरियाणा के जींद स्थित छातर गांव में अनुसूचित जाति के 150 परिवारों के सामाजिक बहिष्कार का मामला पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट पहुंच गया है। याचिका हाई कोर्ट की रजिस्ट्री में फाइल हुई है। इस पर जल्द सुनवाई हो सकती है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sun, 17 Oct 2021 10:04 AM (IST) Updated:Sun, 17 Oct 2021 10:04 AM (IST)
हरियाणा के छातर में 150 परिवारों के सामाजिक बहिष्कार का मामला पहुंचा हाई कोर्ट
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की फाइल फोटो।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। जींद के गांव छातर में 150 परिवारों के सामाजिक बहिष्कार का मामला पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट पहुंच गया है। अनुसूचित जाति के संबंध रखने वाले छातर निवासी गुरमीत ने अपने वकील अर्जुन श्योराण के माध्यम से हाई कोर्ट में दायर याचिका में प्रशासन को उनका सामाजिक बहिष्कार करने वाले व उनके खिलाफ माहौल बनाने वालों पर कार्रवाई के निर्देश देने की मांग की गई है।

याचिका के अनुसार याची पर 10 सितंबर को गांव के अन्य जाति के युवक ने जातीय टिप्पणी कर दी और उनके बीच में वहां पर झगड़ा हो गया। इसके बाद गुरमीत ने उचाना थाना पुलिस में गांव के युवकों के खिलाफ एससी, एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज करवा दिया। मामला दर्ज होते ही यह मामला जातीय रंग लेने लगा और आरोपितों के पक्ष में गांव के कुछ लोग आए गए और उन्होंने पंचायत करके याचिकाकर्ता के समर्थन में आए अनुसूचित जाति के 150 परिवारों का सामाजिक बहिष्कार कर दिया।

गांव के सवर्ण लोग लगातार अनुसूचित जाति के परिवार पर गुरमीत को अकेला छोड़ने का दबाव बना रहे थे। याचिका में गुरमीत ने बताया कि जब अनुसूचित जाति के लोग नहीं माने तो उनकों गांव में दुकानों से राशन देने से मना कर दिया और पशुओं के लिए खेतों से चारा भी नहीं लेने दिया जा रहा है। याचिका के अनुसार यह भी घोषणा की गई थी कि यदि गांव का कोई निवासी इस बहिष्कार की अवज्ञा करता है, तो ऐसे व्यक्ति को 11,000 रुपये का जुर्माना देना होगा।

याचिका के अनुसार चल रहे बहिष्कार के परिणामस्वरूप ग्राम छातर के अनुसूचित जाति समुदाय के परिवारों का जीवन, आजीविका और शिक्षा संकट में है। उसके समुदाय के सदस्यों को सामान लेने के लिए 40 किलोमीटर दूर शहर में जाना पड़ता है। अनुसूचित जाति समुदाय के बच्चों द्वारा अपने स्कूल और कालेजों तक पहुंचने के लिए निजी वाहनों ने भी उनको ले जाने से इन्कार कर दिया। यह याचिका अभी हाई कोर्ट की रजिस्ट्री में फाइल हुई है और इस पर हाई कोर्ट में जल्द ही सुनवाई हो सकती है।

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