Farmers Protest: भाकियू अध्‍यक्ष चढूनी ने बनाई हरियाणा के एक दर्जन किसान संगठनों की नई समिति

Farmers Protest भारतीय किसान यूनयिन हरियाणा के अध्‍यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने बृहस्‍पतिवार को बड़ा कदम उठाया। उन्‍होंने हरियाणा के किसान संगठनों की बैठक की। चढ़ूनी ने हरियाणा के करीब 12 किसान संगठनों की नई समिति का गठन किया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Thu, 21 Jan 2021 09:04 PM (IST) Updated:Fri, 22 Jan 2021 08:30 AM (IST)
Farmers Protest: भाकियू अध्‍यक्ष चढूनी ने बनाई हरियाणा के एक दर्जन किसान संगठनों की नई समिति
हरियाणा के किसान नेताओं के साथ बैठक करते गुरनाम सिंह चढूनी। (फोटो चढूनी के अधिकृत फेसबुक पेज से)

नई दिल्ली, [बिजेंद्र बंसल]। Farmers Protest: दिल्ली-हरियाणा की सीमा पर चल रहे किसान आंदोलन के बीच हरियाणा भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूृनी ने बड़ा कदम उठाया है। वह किसान आंदोलन में अब अलग राह चलते दिख रहे हैं। उन्‍होंने बृहस्‍पतिवार को हरियाणा के विभिन्‍न किसान संगठनों के नेताओं के साथ बैठक की। उन्‍होंने हरियाणा के करीब 12 किसान संगठनों की नई समिति बनाई। ।

आंदोलन के बीच किसान नेता कक्काजी के आरोपों में घिरे चढूनी के नए पैंतरे पर संगठन उठा रहे सवाल

करनाल के कैमला गांव में मुख्यमंत्री मनोहर लाल की जनसभा नहीं होने देने की जिम्मेदारी लेने वाले चढूनी पर कांग्रेस के हाथों पर खेलने और भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार को अस्थिर करने के प्रयास के आरोप लग चुके हैं। मध्यप्रदेश के सर्वजन राष्ट्रीय किसान महासंघ के अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा कक्काजी के आरोपों के बाद संयुक्त किसान समन्वय समिति में अब एक बार फिर दोफाड़ की संभावनाएं बन रही हैं। मोर्चा की सात सदस्यीय कमेटी के पांच सदस्यों ने हालांकि चढूनी व कक्काजी के गिले-शिकवे दूर कर दिए, लेकिन मामला पूरी तरह सुलझता नहीं दिख रहा है।

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इस कड़ी में बृहस्‍पतिववार को चढूनी ने बहादुरगढ़ के पास टीकरी बार्डर पर अपने समर्थक किसान संगठनों की बैठक रतिया के टेंट में बुलाई। इस बैठक में चढूनी ने दावा किया कि उनके साथ हरियाणा के 15 के संगठन हैं और रतिया के टेंट में एक दर्जन किसान संगठनों ने उनकी अध्यक्षता में खेती बचाओ संघर्ष समिति का गठन किया है। गुरनाम सिंह चढूनी के इस कदम को जहां राजनीतिक दृष्टिकोण से जोड़कर देखा जा रहा है।

वहीं, गुरनाम सिंह चढूनी ने स्पष्ट किया कि भले भी वे अपना अलग संगठन बना रहे लेकिन किसान आंदोलन की लड़ाई माेर्चा के साथ मिलकर लड़ेंगे। यह अलग बात है कि चढूनी के दावे पर भाकियू के एक गुट के किसान नेता अतर सिंह संधू सहित कई अन्य विश्वास नहीं कर रहे हैं। संधू कह रहे हैं कि चढूनी मनोहर लाल नेतृत्व में चल रही भाजपा-जजपा सरकार को अस्थिर कर सकेंगे या नहीं यह तो भविष्य के गर्भ में है मगर उनका यह कदम किसान आंदोलन को अवश्य अस्थिर कर देगा।

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'' आंदोलन में वे किसान माेर्चा के साथ हैं मगर यह नई समिति हरियाणा से जुड़े कृषि और किसान कल्याण के आंदोलन के लिए बनाई गई है। 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर परेड शांतिपूर्वक दिल्ली के रिंग रोड पर ही होगी। गणतंत्र दिवस पर सरकारी समाराेह को किसी भी तरह बाधित नहीं किया जाएगा।

                                                      - गुरनाम सिंह चढूनी, अध्यक्ष, खेती बचाओ संघर्ष समिति, हरियाणा।

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'' कक्काजी के आरोपों के बाद चढूनी संयुक्त किसान मोर्चा में अलग-थलग पड़ गए हैं। उनकी नई समिति बनाने का कदम किसान आंदोलन को नुकसान पहुंचाएगा। मोर्चा को अतिशीघ्र चढूनी को आंदोलन की मुख्य धारा से अलग कर देना चाहिए। कैमला के बाद चढूनी की बातों पर विश्वास नहीं किया जा सकता।

                                                                                       - अतर सिंह संधू, अध्यक्ष, भाकियू (अतर)।

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