हरियाणा में बेरोजगारी दर के मुद्दे पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा व मनोहर लाल आमने-सामने, एक-दूसरे को घेरा

हरियाणा में बेरोजगारी दर को लेकर पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा व सीएम मनोहर लाल आमने सामने हैं। हुड्डा का कहना है कि सीएमआइर्ई के मुताबिक हरियाणा में बेरोजगारी दर सबसे ज्यादा है। वहीं मनोहर लाल का कहना है कि यह संस्था कांग्रेस के कठपुतली है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 01:09 PM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 01:09 PM (IST)
हरियाणा में बेरोजगारी दर के मुद्दे पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा व मनोहर लाल आमने-सामने, एक-दूसरे को घेरा
मनोहर लाल व भूपेंद्र सिंह हुड्डा की फाइल फोटो।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा में बेरोजगारी के आंकड़ों पर एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और मुख्यमंत्री मनोहर लाल आमने-सामने हैं। हुड्डा ने सेंटर फार मानीटरिंग इंडियन इकोनामी (सीएमआइर्ई) की रिपोर्ट के आधार पर कहा कि हरियाणा में राष्ट्रीय औसत से तीन गुणा ज्यादा बेरोजगारी है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सीएमआइई की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए उसकी रिपोर्ट को संदिग्ध मानकर खारिज कर दिया है।

हुड्डा ने कहा कि यदि सरकार को इस रिपोर्ट पर भरोसा नहीं है तो वह इसे चुनौती दे, जबकि मनोहर लाल ने कहा कि यह रिपोर्ट नहीं बल्कि झूठ का पुलिंदा है। इस तरह की रिपोर्ट कर्मचारियों के रिटायरमेंट के बाद, छोटी उम्र के बच्चों और बुजुर्ग लोगों को शामिल कर तैयार की जाती है, जिसका कोई आधार नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि प्रदेश में बेरोजगारी के साथ-साथ अपराध भी बढ़ रहा है।

हुड्डा ने कहा कि सीएमआइई के मुताबिक देश में बेरोजगारी की दर 9.17 फीसद है। हरियाणा में यह दर 27.9 फीसद तक पहुंच गई, जो राष्ट्रीय औसत से तीन गुणा ज्यादा है। वक्त-वक्त पर सीएमआइई जैसी संस्थाएं अपने सर्वे और रिपोर्ट के जरिये प्रदेश सरकार को आइना दिखाती रही हैं, लेकिन भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार इन संस्थाओं पर ही सवालिया निशान लगाकर सच्चाई से मुंह फेर लेती है। हुड्डा ने कहा कि अन्य किसी राज्य ने भी इस रिपोर्ट पर कोई आपत्ति नहीं जताई। अगर हरियाणा सरकार को यह आंकड़े विश्वसनीय नहीं लगते तो उसे इस रिपोर्ट को चुनौती देनी चाहिए।

हुड्डा ने कहा कि संस्थाओं पर सवाल उठाकर सरकार अपनी जिम्मेदारी से नहीं मुंह मोड़ सकती। प्रदेश में बेरोजगारी का आलम यह है कि इसी महीने महज 5500 कांस्टेबल की भर्ती के लिए करीब साढ़े आठ लाख युवाओं ने आवेदन किया है। इस साल के आर्थिक सर्वे अनुसार करीब नौ लाख युवाओं ने रजिस्ट्रेशन करवाया था, नौकरी मिली मात्र 2800 युवाओं को ही। जब सरकार ने 18 हजार चतुर्थ श्रेणी पदों के लिए भर्ती निकाली थी तो चतुर्थ श्रेणी की उस भर्ती के लिए भी 18 से 20 लाख उच्च शिक्षित युवाओं ने आवेदन किया था। छह हजार कलर्क के पदों पर भी लगभग 25 लाख युवाओं ने आवेदन किया था। जगाधरी कोर्ट में चपरासी के महज 10 पदों के लिए लगभग सात हजार और पानीपत कोर्ट में चपरासी के 13 पदों की कच्ची भर्ती के लिए लगभग 15 हजार युवाओं ने आवेदन किया है। हुड्डा ने कहा कि बढ़ती बेरोजगारी के लिए सीधे तौर पर सरकार की नीतियां जिम्मेदार हैं।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हुड्डा के इन दावों को आंकड़ों के आधार पर ही खारिज किया है। उन्होंने कहा कि सीएमआइआइ जैसी संस्थाओं की कोई वैधानिकता और विश्वसनीयता नहीं है। एक कंपनी तो बाकयदा कांग्रेस के लिए ही काम करती है। देश और प्रदेश के साथ नीति निर्धारकों को गुमराह करने की मंशा से इस तरह के सर्वे कर आंकड़े जारी किए जाते हैं। मनोहर लाल ने कहा कि हरियाणा में बेरोजगारी नाममात्र की है। जिस एजेंसी के आधार पर 27 फीसदी बेरोजगारी का दावा किया जा रहा है, वह खुद संदिग्ध है और इसके आंकड़ों पर कैसे यकीन किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि हरियाणा में बेरोजगारी मात्र साढ़े पांच से छह फीसद के बीच है। वह भी अब अधिक दिनों तक नहीं रहने वाली है, क्योंकि राज्य सरकार ने प्राइवेट और सरकारी सेक्टर में नौकरियों के तमाम अवसर पैदा किए हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा सरकार हर साल प्राइवेट सेक्टर में करीब दो लाख रोजगार प्रदान कर रही है। राज्य में औद्योगिक कंपनियों का पूंजी निवेश लगातार बढ़ रहा है। प्राइवेट सेक्टर की नौकरियों में हरियाणा के युवाओं को 75 फीसद आरक्षण का कानून बना दिया गया है। बहुत सी सरकारी नौकरियां ऐसी होती हैं, जिनमें दूसरे राज्यों के लोग भी आवेदन करते हैं, लेकिन हमारी प्राथमिकता अपने राज्य के लोगों को नौकरियां दिलाने की हैं, जबकि सरकारी नौकरियों में योग्यता के आधार पर मैरिट बनती है। यहां जितने साफ-सुथरे ढंग से नौकरियां दी जा रही हैं, उसकी हर राज्य में सराहना हो रही है। हमें राजनीतिक सराहना की नहीं बल्कि वास्तविक पात्र लोगों की सराहना की जरूरत है और वह कर रहे हैं।

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