हरियाणा कांग्रेस मे अलग-अलग मोर्चों पर ताल ठोंक रहे पिता-पुत्र भूपेंद्र सिंह हुड्डा व दीपेंद्र

हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सरकार को निशाने पर लेने के लिए विपक्ष आपके समक्ष कार्यक्रम लांच किया है। वहीं उनके सांसद बेटे दीपेंद्र हुड्डा लखीमपुर खीरी और वाराणसी में प्रियंका गांधी के साथ सक्रिय नजर आए।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Mon, 11 Oct 2021 06:34 AM (IST) Updated:Mon, 11 Oct 2021 06:34 AM (IST)
हरियाणा कांग्रेस मे अलग-अलग मोर्चों पर ताल ठोंक रहे पिता-पुत्र भूपेंद्र सिंह हुड्डा व दीपेंद्र
भूपेंद्र सिंह हुड्डा व दीपेंद्र की फाइल फोटो।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके सांसद बेटे दीपेंद्र सिंह हुड्डा दोनों ही आजकल खासी सुर्खियों में हैं। कांग्रेस संसदीय दल के उपनेता रह चुके दीपेंद्र सिंह हुड्डा लखीमपुर खीरी के बाद वाराणसी में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी का मंच साझा कर जहां राष्ट्रीय फलक पर छा गए, वहीं प्रदेश के दो बार मुख्यमंत्री रह चुके भूपेंद्र हुड्डा ने विपक्ष आपके समक्ष कार्यक्रम के जरिये हरियाणा की भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार को उनके वादे याद दिलाते हुए सीधी चुनौती दे डाली है। सीएम सिटी करनाल में दो दर्जन कांग्रेस विधायकों और इतने ही पूर्व विधायकों व पूर्व मंत्रियों को एक साथ खड़े कर हुड्डा ने अपनी मजबूत राजनीतिक पकड़ का प्रदर्शन किया है।

प्रदेश सरकारों में अभी तक सरकार आपके द्वार कार्यक्रम तो सुने जाते थे, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ, जब हुड्डा ने गठबंधन की सरकार को चुनौती देते हुए विपक्ष आपके समक्ष कार्यक्रम की शुरुआत की है। हुड्डा की योजना एक माह में कम से कम एक और अधिकतम दो कार्यक्रम करने की योजना है। फिलहाल चूंकि ऐलनाबाद उपचुनाव हैं, इसलिए हुड्डा ने सीएम सिटी करनाल से इस वजनदार राजनीतिक कार्यक्रम की शुरुआत तो कर दी, लेकिन 30 अक्टूबर को मतदान के कारण दूसरा कार्यक्रम अगले माह यानी नवंबर में होगा। इसके लिए हुड्डा ने हरियाणा की राजनीतिक राजधानी कहे जाने वाले जींद जिले को चुना है। जींद जाट बाहुल्य इलाका है और इसे ओमप्रकाश चौटाला, दुष्यंत चौटाला तथा बीरेंद्र सिंह का गढ़ माना जाता है। हुड्डा यहां से अपने राजनीतिक कार्यक्रमों को कई बार परवान चढ़ा चुके हैं।

हुड्डा ने करनाल में विपक्ष आपके समक्ष कार्यक्रम उस स्थिति में दमदार तरीके से किया है, जब हरियाणा कांग्रेस की अध्यक्ष कुमारी सैलजा ने इसका खुला विरोध कर दिया था। हुड्डा और उनके विधायकों ने सैलजा के इस विरोध की बिल्कुल भी परवाह नहीं की। सैलजा समर्थक विधायक शमशेर सिंह गोगी और पूर्व विधायक सुमिता सिंह समेत कुछ विधायक भले ही हुड्डा के इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए, लेकिन इसके बावजूद हुड्डा ने 24 विधायकों को जुटाकर साबित कर दिया कि हरियाणा में वह कांग्रेस का चेहरा हैं। विधायक कुलदीप वत्स का हरनिया का आपरेशन हुआ है, जबकि विधायक नीरज शर्मा सांसद दीपेंद्र हुड्डा के साथ वाराणसी गए हुए थे।

सांसद दीपेंद्र हुड्डा की अगर बात करें तो वह दोहरे मोर्चे पर पार्टी के लिए काम कर रहे हैं। लखीमपुर खीरी में वह अकेले ऐसे नेता हैं, जो पूरे समय प्रियंका गांधी के साथ रहे। कभी दीपेंद्र तो कभी प्रियंका एक दूसरे की ढाल बनते नजर आए। इसके वीडियो इंटरनेट मीडिया पर खूब वायरल हुए हैं। धारा 144 का हवाला देते हुए लखीमपुर में जिन चार लोगों को जाने की अनुमति उत्तर प्रदेश शासन ने दी थी, उनमें प्रियंका के साथ दीपेंद्र, प्रियंका के निजी सचिव और ड्राइवर ही शामिल थे। वाराणसी में भी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री की मौजूदगी में प्रियंका गांधी ने दीपेंद्र सिंह हुड्डा को पूरा महत्व दिया। वहां के राष्ट्रीय व प्रदेश स्तरीय नेताओं की बजाय दीपेंद्र को अपनी बात कहने का सबसे अधिक मौका मिला। मतलब साफ है कि कांग्रेस हाईकमान हुड्डा पिता-पुत्रों के बारे में भले ही समय-समय पर अपनी जो भी धारणाएं बनाए, लेकिन दोनों अलग-अलग मोर्चे पर अपनी जिम्मेदारी का बखूबी निर्वाह कर रहे हैं।

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