हरियाणा के चर्चित IAS खेमका का ट्वीट- सरसों व सूरजमुखी के मिले बेहतर दाम, फिर कृषि कानून काले कैसे

अपने बेबाक ट्वीट और टिप्‍पणियों के लिए चर्चित हरियाणा के वरिष्‍ठ आइएएस अफसर अशोक खेमका ने केंद्रीय कृषि कानूनों का समर्थन किया है। उन्‍होंने सरसों व सूरजमुखी को मंडी के बाहर बेहतर दाम मिलने का हवाला देते हुए पूछा क्‍या कानून सचमुच में काले हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Fri, 04 Jun 2021 12:42 AM (IST) Updated:Sat, 05 Jun 2021 07:08 AM (IST)
हरियाणा के चर्चित IAS खेमका का ट्वीट- सरसों व सूरजमुखी के मिले बेहतर दाम, फिर कृषि कानून काले कैसे
हरियाणा के चर्चित आइएएस अफसर अशोक खेमका की फाइल फोटो।

चंडीगढ़, जेएनएन। अक्सर विवादों में रहने वाले व ट्वीट कर बेबाक राय रखने वाले हरियाणा के चर्चित आइएएस अधिकारी डा. अशोक खेमका ने फिर ट्वीट किया है। खेमका ने इस बार केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों का समर्थन किया है और इन कानूनों के विरोध पर सवाल उठाए हैंं। उन्‍होंने इस बार किसानों को सरसों और सूरजमुखी के अधिक दाम मिलने का हवाला देकर पूछा है क्‍या कृषि कानून सचमुच काले हैं?

चर्चित आइएएस अशोक खेमका ने केंद्र के तीन कृषि कानूनों के समर्थन में एक के बाद एक कई ट्वीट किए

खेमका ने ट्वीट में इस बार किसानों को खुले बाजार में सरसों और सूरजमुखी के अच्छे दाम मिलने की बात कहते हुए इन कानूनों का विरोध करने वालों से पूछा है कि आखिरकार इन कानूनों में क्या काला है? उन्‍होंने ट्वीट में लिखा है-किसानों को इस बार सरसों और सूरजमुखी का बेहतर मूल्‍य मंडी के बार मिला। क्‍या कानून सचमुच काले हैं?

बता दें कि हरियाणा और पंजाब समेत आसपास के राज्यों के लोग तीन कृषि कानूनों के विरोध में पिछले छह माह से आंदोलन कर रहे हैं। किसान संगठनों में हालांकि धड़ेबंदी है, लेकिन फिर भी राजनीतिक हस्तक्षेप से ही सही, मगर आंदोलन जारी है। इस बार किसानों की सरसों सात से साढ़े सात हजार रुपये क्विंटल में बिकी है, जबकि सूरजमुखी 6500 रुपये क्विंटल तक में बिक रही है।

अशोक खेमका ने एक ट्वीट के जरिये कहा कि इस साल किसानों को सरसों का बेहतर मूल्य सरकारी मंडी के बाहर मिला है। हरियाणा राज्य में किसानों ने इस बार सिर्फ 25 लाख क्विंटल सरसों सरकारी मंडियों में बेची। लगभग दोगुणा यानी 50 लाख क्विंटल किसानों ने मंडी से बाहर खुले बाजार में बेची है। खेमका ने सवाल किया कि ऐसा होने के बावजूद क्या नए कृषि कानून सचमुच में काले हैं?

खेमका के इस ट्वीट के बाद इसके पक्ष और विरोध में तमाम तरह की प्रतिक्रियाएं आई। कृषि विशेषज्ञ देवेंद्र शर्मा ने ट्वीट के जवाब में कहा कि किसानों ने सरसों व सूरजमुखी की फसलों के अधिक दाम तीन कृषि कानूनों की वजह से नहीं हासिल किए। यह अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की बढ़ी कीमतों का असर है।

देवेंद्र शर्मा की इस राय से अशोक खेमका सहमत नहीं हुए। उन्होंने देवेंद्र शर्मा को ट्वीट कर जवाब दिया कि मंडी के बाहर बेहतर मूल्य मिला होगा, तभी तो किसानों ने इस बार सरसों और सूरजमुखी मंडी के बाहर बेची है। बात सिर्फ यह हो रही कि किसान खुले बाजार में सरकारी मंडी से अधिक रेट हासिल कर सकता है या नहीं। खेमका ने फिर सवाल पूछा कि बताइये, कोई और कारण है तो जवाब दें।

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