हरियाणा में सरकारी कर्मचारियों के RSS ज्वाइन करने पर प्रतिबंध अभी भी जारी, 1980 में लगी थी रोक

हरियाणा में सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस ज्वाइन करने पर दो अप्रैल 1980 को प्रतिबंध लगाया गया है। राज्य में अब भाजपा की सरकार है लेकिन अभी तक इस प्रतिबंध को हटाया नहीं गया है जबकि आरएसएस के फालोअर्स की संख्या लगातार बढ़ी है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sun, 26 Sep 2021 10:30 PM (IST) Updated:Mon, 27 Sep 2021 01:48 PM (IST)
हरियाणा में सरकारी कर्मचारियों के RSS ज्वाइन करने पर प्रतिबंध अभी भी जारी, 1980 में लगी थी रोक
हरियाणा में सरकारी कर्मचारी नही कर सकते आरएसएस ज्वाइन। सांकेतिक फोटो

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। 27 सितंबर यानी सोमवार को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) की स्थापना के 96 वर्ष पूरे हो रहे हैं। वर्ष 1925 में इसी दिन RSS की स्थापना हुई थी। उस वर्ष इस दिन हालांकि विजयदशमी (दशहरे) का पर्व था, इसलिए हर वर्ष विजयदशमी के दिन ही RSS विधिवत रूप से अपना स्थापना दिवस मनाता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सत्ता संभालने के बाद से लगातार RSS के स्वयंसेवकों में बढ़ोतरी हो रही है, लेकिन भाजपा शासित राज्य हरियाणा में सरकारी कर्मचारियों पर RSS की सदस्यता हासिल करने को लेकर प्रतिबंध लगा हुआ है।

अप्रैल 1980 में यह प्रतिबंध लगाया गया था, जो अभी तक नहीं हटाया जा सका है। हरियाणा में सात साल पहले अक्टूबर 2014 में भाजपा अपने खुद के बूते सत्ता में आई थी और मनोहर लाल प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे। मनोहर लाल RSS के कर्मठ कार्यकर्ता हैं। उनके सत्ता संभालते ही उम्मीद की जा रही थी कि कर्मचारियों द्वारा RSS की सदस्यता ग्रहण करने पर लगे प्रतिबंध को हटा लिया जाएगा, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हो पाया है।

सर्वप्रथम 11 जनवरी 1967 को तत्कालीन हरियाणा सरकार द्वारा जारी एक निर्देश में राज्य के सरकारी कर्मचारियों द्वारा RSS की गतिविधियों में भाग लेने को प्रतिबंधित किया गया था। राज्य सरकार ने तब पंजाब सरकारी कर्मचारी (आचार) नियमावली 1966 (तब हरियाणा पर भी लागू) के नियम 5 (1) के तहत RSS को एक राजनीतिक संगठन माना था एवं इसकी गतिविधियों में भाग लेने पर सरकारी कर्मचरियो के विरुद्ध नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के निर्देश जारी किए थे। हालांकि चार मार्च 1970 को एक अन्य सरकारी आदेश जारी कर तत्कालीन हरियाणा सरकार ने यह कार्रवाई करने पर रोक लगा दी थी, क्योंकि उस समय एक मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित था।

इसके बाद दो अप्रैल 1980 को जारी एक अन्य सरकारी पत्र में आदेश जारी किए गए कि सुप्रीम कोर्ट में एक मामला लंबित होने की वजह से हरियाणा में RSS की गतिविधियों में भाग लेने पर सरकारी कर्मचारियों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया अमल में लाई जाएगी। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार के अनुसार वर्ष 1980 के पश्चात भाजपा कई बार सहयोगी दल के रूप में हरियाणा की गठबंधन सरकारों में सत्ता में रही। 1987-89 में देवीलाल-चौटाला सरकार के दौरान भाजपा सहयोगी दल थी। फिर 1996-99 के दौरान बंसीलाल की सरकार में और फिर 1999 से 2004 तक चौटाला सरकार में भाजपा ने सहयोगी दल की भूमिका निभाई, लेकिन तब भी RSS की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों के भाग लेने पर लगे प्रतिबंध को हटाया नहीं जा सका।

एडवोकेट हेमंत ने ढ़ाई वर्ष पूर्व पांच मार्च 2019 को हरियाणा के मुख्य सचिव कार्यालय के सामान्य प्रशासन विभाग में एक आरटीआइ के जरिये दो बिंदुओं पर सूचना मांगी। पहले बिंदु के जवाब में RSS की गतिविधियों में शामिल होने पर लगे प्रतिबंध की बाबत उन्हें वर्ष 1967, 1970 और 1980 में जारी पत्रों की प्रतियां प्रदान की गई। साथ ही यह भी बताया गया कि दो अप्रैल 1980 को जारी सरकारी आदेश को अभी वापस नहीं लिया गया है और वह लागू है। अब इस प्रतिबंध को खत्म करने की उम्मीद मुख्यमंत्री मनोहर लाल से की जा रही है। यह अलग बात है कि भारतीय मजदूर संघ की गतिविधियों में अनाधिकृत रूप से संघ से जुड़े कर्मचारी अपनी गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं।

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