हरियाणा सीएम मनोहरलाल के दिल्‍ली दौरे से माहौल बना, किसान संगठनों से वार्ता जल्‍द संभव

हरियाणा के मुख्‍यमंत्री मनोहरलाल को दिल्‍ली में आरएसएस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बूस्‍टर डोज मिलर तो उनका जोश बढ़ गया। मनोहर के दिल्‍ली दौरे से आंदोलनकारी किसानों से वार्ता का भी माहौल बना है और संभव है कि यह वार्ता जल्‍द ही हो सकती है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Tue, 01 Jun 2021 04:54 PM (IST) Updated:Wed, 02 Jun 2021 07:06 AM (IST)
हरियाणा सीएम मनोहरलाल के दिल्‍ली दौरे से माहौल बना, किसान संगठनों से वार्ता जल्‍द संभव
पीएम नरेंद्र मोदी और हरियाणा सीएम मनोहरलाल की फाइल फोटो।

चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा में पिछले छह माह से चल रहे किसान संगठनों के आंदोलन के बीच मुख्यमंत्री मनोहर लाल दिल्ली दरबार से बूस्टर डोज लेकर लौटे हैं। कोरोना की दूसरी लहर पर समय से काबू पा लेने से उत्साहित मुख्यमंत्री ने दिल्ली से चंडीगढ़ पहुंचते ही जहां वैक्सीन की दूसरी डोज ली, वहीं सीएमओ के अफसरों के साथ मंत्रणा कर अगली रणनीति पर आगे बढ़ने की रणनीति तैयार की। बताया जाता है कि मुख्‍यमंत्री के इस दौरे से किसान संगठनों के साथ सरकार की वार्ता का भी माहौल बना। संकेत मिले हैं कि अगले कुछ दिनों में आंदोलनकारी किसान संगठनों से केंद्र सरकार की वार्ता हो सकती है।

आरएसएस और मोदी के आशीर्वाद की बूस्टर डोज से बढ़ा मनोहर का जोश

किसान संगठनों के हिसार में प्रदर्शन, हिंसा और तोड़फोड़ तथा उनके साथ हुई समझौता वार्ता के बाद दिल्ली पहुंचे मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने न केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मार्गदर्शन हासिल किया, बल्कि भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ सरकार व संगठन के अगले कामों पर विस्तार से चर्चा की। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुख्यमंत्री की पिछले दौरे में मुलाकात हो चुकी थी।

 अब नए तेवर-क्लेवर में नजर आएगी भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार की रफ्तार

मुख्यमंत्री मनोहर लाल के दिल्ली दौरे की सबसे अहम बात उनकी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के वरिष्ठ नेताओं के साथ मुलाकात रही। प्रधानमंत्री से मिलने से पहले और बाद में मनोहर लाल संघ के नेताओं के साथ दो दौर में मिले। आरएसएस मुख्यालय झंडावालान में आजकल निर्माण कार्य चल रहा है। इसलिए आरएसएस के तमाम वरिष्ठ नेता दिल्ली के उदासीन आश्रम में बैठ रहे हैं। मुख्यमंत्री की सबसे पहले आरएसएस के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार के साथ लंबी मंत्रणा हुई। अरुण कुमार के पास पहले अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख का दायित्व था। प्रधानमंत्री से बातचीत के बाद मुख्यमंत्री की आरएसएस के नए सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबले से मुलाकात हुई।

संघ के आधा दर्जन राष्ट्रीय नेताओं से मिले मुख्यमंत्री ने की कई मामलों पर मंत्रणा

मुख्यमंत्री मनोहरलाल दिल्ली में आरएसएस के सह सरकार्यवाह डा. कृष्ण गोपाल और सह सरकार्यवाह डा. मनमोहन वैद्य से भी मिले। आरएसएस में राष्ट्रीय स्तर पर बड़ा परिवर्तन हुआ है और नए लोगों को नए दायित्व सौंपे गए हैं। इस लिहाज से भी मुख्यमंत्री की इन नेताओं के साथ मुलाकात व मंत्रणा काफी अहम रही है।

मनोहरलाल ने आरएसएस नेताओं को हरियाणा में किसान संगठनों के आंदोलन पर चर्चा करते हुए उससे निपटने की रणनीति पर मार्गदर्शन मांगा। भाजपा की सहयोगी पार्टी जजपा की बढ़िया तरीके से चल रही साझेदारी व उनके कोटे का मंत्री बनाने का लेकर भी हलकी सी चर्चा हुई है, लेकिन यह दोनों मुद्दे बातचीत के मुख्य एजेंडे में शामिल नहीं थे।

 मंत्रिमंडल में बदलाव और कोरोना पर हुई औपचारिक चर्चा

प्रधानमंत्री मोदी व भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ-साथ आरएसएस नेताओं से मुख्यमंत्री मनोहर लाल की बातचीत के मुख्य बिंदु किसान संगठनों के आंदोलन, कोरोना की दूसरी लहर से निपटने में मिली सफलता और तीसरी लहर का सामना करने की तैयारी पर सिलसिलेवार बातचीत हुई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री प्रसन्नचित्त दिखाई पड़े। मनोहर लाल जब मोदी से मिलकर लौटे तो उनकी बाडी लैंग्वेज (शारीरिक परिभाषा) ऐसी थी, मानो वह सरकार व संगठन के कामकाज को लेकर नई बूस्टर डोज लेकर लौटे हैं। जेपी नड्डा से हुई मुलाकात के दौरान भी इन्हीं मुद्दों पर चर्चा हुई है। मुख्यमंत्री ने हालांकि बातचीत के दौरान मंत्रिमंडल में बदलाव, विस्तार और बोर्ड एवं निगमों के चेयरमैन बनाने पर कोई वार्ता नहीं होने का दावा किया है, लेकिन इसकी संभावना बहुत कम है। जजपा का दबाव अपने कोटे का एक मंत्री बनाने का है।

अगले कुछ दिनों में सरकार के कामकाज में आएगर तेजी

जजपा नेता अपनी पार्टी के कुछ विधायकों व नेताओं को बोर्ड एवं निगमों का चेयरमैन भी बनाना चाहते हैं। मुख्यमंत्री इस मसले को गठबंधन के नेताओं का आपसी मामला करार देकर पत्रकारों के सवालों का जवाब टाल जाते हैं, लेकिन माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में न केवल सरकार के कामकाज की रफ्तार में गति देखने को मिलेगी, बल्कि किसान संगठनों को भी किसी समय केंद्र सरकार की ओर से बातचीत के लिए बुलाया जा सकता है।

सूत्रों का कहना है कि इसके लिए केंद्रीय नेतृत्व की ओर से मुख्यमंत्री को इशारा मिला है। खुद किसान संगठन, भाजपा के जाट नेता और सरकार के लोग चाहते हैं कि कोरोना महामारी के बीच इतना लंबा आंदोलन नहीं चलना चाहिए, लिहाजा बातचीत का नया दौर शुरू कर कोई बीच का रास्ता निकालने पर सहमति बनाने के प्रयास चल रहे हैं। प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ के गंभीर प्रयासों को यदि छोड़ दिया जाए तो भाजपा व जजपा में कई ऐसे जाट नेता हैं, जो आंदोलन में सरकार के खास काम नहीं आ सके।

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