हरियाणा में हुड्डा सरकार में हुई एक और भर्ती पर संकट के बादल, अनुभव के आधार पर लगे शिक्षकों की रिपोर्ट मांगी

हरियाणा में पूर्व की भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार की एक और भर्ती पर संकट के बादल मंडरा गए हैं।भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समय में अनुभव के आधार पर लगे शिक्षकों की सूची तलब कर दी गई है ।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sat, 27 Nov 2021 11:00 PM (IST) Updated:Sun, 28 Nov 2021 09:34 AM (IST)
हरियाणा में हुड्डा सरकार में हुई एक और भर्ती पर संकट के बादल, अनुभव के आधार पर लगे शिक्षकों की रिपोर्ट मांगी
हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की फाइल फोटो।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा की पूर्ववर्ती हुड्डा सरकार में हुई एक और भर्ती पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में हुई शारीरिक शिक्षकाें (पीटीआइ) और कला अध्यापकों सहित सात भर्तियां रद होने के बाद अब उन पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षकों (पीजीटी) पर खतरा मंडरा रहा है जो वर्ष 2012-13 में अनुभव के आधार पर भर्ती हुए थे।

बगैर बीएड की डिग्री और बिना शिक्षक पात्रता परीक्षा पास किए नौकरी पर लगे पीजीटी शिक्षकों को लेकर शिक्षा निदेशक ने जिला शिक्षा अधिकारियों से रिपोर्ट तलब की है। इसमें पूछा गया है कि उनके जिले में संचालित सरकारी स्कूलों में कितने पीजीटी हैं जो अनुभव के आधार पर नौकरी लगे थे और अभी तक एचटेट पास करने और बीएड का प्रमाणपत्र जमा नहीं कराया है। इन शिक्षकों के नियुक्ति पत्र में यह शर्त शामिल थी कि उन्हें एचटेट पास का प्रमाणपत्र और बीएड की डिग्री जमा करानी होगी। हाई कोर्ट एक फैसले में पहले ही एचटेट और बीएड का प्रमाणपत्र जमा नहीं करने वाले शिक्षकों को बगैर नोटिस के नौकरी से निकालने का निर्देश दे चुका है। पूरे मामले में अगले महीने हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है।

दरअसल, वर्ष 2012 में शिक्षकों की नियुक्ति के दौरान हरियाणा शिक्षक भर्ती बोर्ड ने उन युवाओं को अध्यापक पात्रता परीक्षा से छूट दी थी जिनके पास शिक्षा संस्थाओं में पढ़ाने का चार साल का अनुभव था। इसी के साथ बोर्ड ने इन सभी शिक्षकों को 1 अप्रैल 2015 तक अध्यापक पात्रता परीक्षा पास करने की शर्त लगाई थी। जिन शिक्षकों ने निर्धारित अवधि में एचटेट पास नहीं किया उन्हें मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सरकार ने 2018 तक मोहलत दे दी। इसके बावजूद काफी संख्या में शिक्षक एचटेट पास नहीं कर पाए जिसके बाद सरकार ने यह समय सीमा वर्ष 2022 तक बढ़ा दी। इसी बीच मामला सुप्रीम कोर्ट में भी चला गया।

परीक्षा पास करने के लिए बार-बार समय बढ़ाने पर उठाए सवाल

याची पक्ष का आरोप है कि मामले में सरकार ने नियमों के खिलाफ पहले तो परीक्षा पास किए बगैर सरकारी टीचर नियुक्त कर दिए और अब कोर्ट व खुद के तय नियम के खिलाफ जाकर इन शिक्षकों को परीक्षा पास करने के लिए बार-बार समय दिया जा रहा है। हाई कोर्ट का साफ निर्देश है कि अगर कार्यरत टीचर तय समय में पात्रता परीक्षा पास नहीं कर पाता तो उसे अयोग्य करार देकर प्रतीक्षा सूची में शामिल उम्मीदवार को नियुक्ति दी जाए। मामले को लेकर हाई कोर्ट शिक्षा विभाग को फटकार भी लगा चुका है।

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