Grant की रिपोर्ट तलब, Urban bodies को बताना होगा कितना मिला अनुदान और कहां किया खर्च

निगम में वर्षों से करोड़ों की बकाया पड़ी रिकवरी से हैरान शहरी स्थानीय निकाय मंत्री अनिल विज ने सभी स्थानीय निकायों से वित्तीय रिपोर्ट मांगी है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sun, 15 Dec 2019 10:21 AM (IST) Updated:Mon, 16 Dec 2019 08:51 AM (IST)
Grant की रिपोर्ट तलब, Urban bodies को बताना होगा कितना मिला अनुदान और कहां किया खर्च
Grant की रिपोर्ट तलब, Urban bodies को बताना होगा कितना मिला अनुदान और कहां किया खर्च

जेएनएन, चंडीगढ़। करनाल नगर निगम में औचक निरीक्षण के दौरान मिली अनियमितताओं और अंबाला नगर निगम में वर्षों से करोड़ों की बकाया पड़ी रिकवरी से हैरान शहरी स्थानीय निकाय मंत्री अनिल विज ने सभी स्थानीय निकायों से वित्तीय रिपोर्ट मांगी है।

सभी दस नगर निगमों, 16 नगर परिषदों व 61 नगर पालिकाओं को एक सप्ताह के भीतर बताना है कि पिछले पांच साल में उन्हें कितना अनुदान मिला था और इसमें से कितना खर्च किया गया। विभिन्न मदों में शहरवासियों पर कितनी धनराशि अटकी है और इसकी वसूली के लिए क्या कदम उठाए गए। सभी निकायों की स्टेटस रिपोर्ट की समीक्षा के बाद ही सरकार तय करेगी कि किस निकाय को कितनी ग्रांट दी जाए और किस मद में।

विज ने करीब एक सप्ताह पहले ही सभी शहरों में विकास परियोजनाओं की स्टेटस रिपोर्ट के साथ ही स्थानीय निकायों का पूरा रिकॉर्ड 15 दिन के भीतर सौंपने के निर्देश दिए थे। शहरी निकाय मंत्री को जानकारी मिली थी कि अकेले अंबाला निगम की ही करीब 200 करोड़ रुपये लोगों में फंसे हुए हैं। पूरे प्रदेश की बात करें तो यह बकाया राशि हजारों करोड़ में पहुंच जाती है।

दूसरी तरफ संसाधनों की कमी से स्थानीय निकायों के दर्जनों प्रोजेक्ट अधर में लटके हुए हैं। वित्तीय संकट से जूझ रहे स्थानीय निकाय सब्सिडी तक जारी नहीं कर पा रहे, जिससे पात्र लोगों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत सिर पर छत के लिए इंतजार लंबा खिंचता जा रहा है। इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री मनोहर लाल फरीदाबाद पहुंचे तो वहां के निगम अधिकारियों ने वित्तीय अनुदान बढ़ाने की मांग तक कर डाली। हालांकि तब सीएम ने यह कहते हुए गेंद विज के पाले में डाल दी थी कि शहरी स्थानीय निकाय मंत्री ही इस पर फैसला करेंगे।

इसके बाद विज ने सभी शहरी निकायों की वित्तीय स्थिति की पड़ताल का निर्णय लेते हुए ग्राउंड रिपोर्ट तलब कर ली। सभी निगमों, पालिकाओं व परिषदों को लिखित में रिपोर्ट देनी है कि पांच साल में मिली धनराशि किस-किस मद में खर्च हुई और विकास परियोजनाओं की स्टेटस रिपोर्ट क्या है। समीक्षा रिपोर्ट के आधार पर ही सभी शहरों के विकास का मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा। इससे यह भी पता लग जाएगा कि कहीं ग्रांट का दुरुपयोग तो नहीं हुआ।

कर्मचारी-अफसरों की अब बायोमीट्रिक हाजिरी

सभी शहरी निकायों में अफसरों व कर्मचारियों को बायोमीट्रिक हाजिरी लगाने और मूवमेंट रजिस्टर बनाने के निर्देश दिए गए हैं। इसका फायदा यह होगा कि कोई भी कर्मचारी ड्यूटी के दौरान कामचोरी नहीं कर सकेगा। कच्चे कर्मचारियों की हाजिरी भी आधार से लिंक की गई है।

पालिकाओं का सिस्टम होगा पारदर्शी : विज

शहरी निकाय मंत्री अनिल विज का कहना हैै कि शहरी निकायों में पांच साल तक मिली वित्तीय अनुदान राशि की रिपोर्ट के अध्ययन से ही पता लगेगा कि रिकवरी क्यों नहीं हो पाई। रिपोर्ट से पालिकाओं के सिस्टम में भी पारदर्शिता आएगी और राजस्व बढ़ोतरी के लिए योजनाएं बनाने में आसानी होगी। कार्यप्रणाली में सुधार के लिए शहरी निकायों में बायोमीट्रिक हाजिरी और मूवमेंट रजिस्टर अनिवार्य कर दिया गया है। सभी निकायों में रोजाना जनता दरबार लगाने से स्थिति में सुधार जरूर आएगा। मुझे शिकायतें मिली थीं कि निकाय कार्यालयों में कई-कई महीने से फाइल लंबित हैं। अब अगर ऐसा हुआ तो दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।

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