बरोदा विधानसभा उपचुनाव के बाद अब ऐलनाबाद में राजनीति के नए रंग देखेगा हरियाणा
बरौदा उपचुनाव के बाद अब हरियाणा की ऐलनाबाद विधानसभा सीट पर उपचुनाव होगा। यह सीट इनेलो के अभय चौटाला के विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के कारण खाली हुई है। यह सीट इनेलो की पारंपरिक सीट मानी जाती है।
चंडीगढ़ [अनुराग अग्रवाल]। सोनीपत जिले की बरोदा सीट के बाद अब हरियाणा सिरसा जिले की ऐलनाबाद सीट पर दूसरे उपचुनाव के लिए तैयार है। जिस तरह बरोदा सीट पर भाजपा कभी कमल नहीं खिला सकी, ठीक उसी तरह ऐलनाबाद सीट पर भाजपा ने कभी जीत का परचम नहीं लहराया। 1982 के बाद लोकदल-इनेलो के टिकट पर लड़े गए नौ चुनाव में ऐलनाबाद सीट पर आठ बार इनेलो का कब्जा रहा है।
इनेलो के दोफाड़ होने के बाद विकट परिस्थितियों के बावजूद ऐलनाबाद से ताऊ देवीलाल के पोते एवं ओमप्रकाश चौटाला के बेटे अभय सिंह ने पिछला विधानसभा चुनाव जीता, लेकिन कृषि कानूनों के खिलाफ उनके इस्तीफा देने के साथ ही अब ऐलानाबाद सीट पर दोबारा से उपचुनाव की सरगर्मियां आरंभ होने वाली हैं।
देवीलाल देश के उप प्रधानमंत्री और हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे हैं। उनके बेटे यानी अभय चौटाला के पिता ओमप्रकाश चौटाला हरियाणा के पांच बार मुख्यमंत्री रहे। किसानों के हक में पूरे प्रदेश में ट्रैक्टर यात्रा निकालने के बाद अभय चौटाला ने अपना इस्तीफा देने का जो दांव खेला है, उससे सत्तारूढ़ भाजपा, कांग्रेस, जजपा और निर्दलीय विधायकों की चिंता बढ़ गई है।
बड़ा सवाल यह खड़ा हो रहा है कि अभय चौटाला ने बिना किसानों के मांगे विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया। यदि अब अपने आंदोलन के समर्थन में किसानों ने विधायकों से इस्तीफे मांगने शुरू कर दिए तो उनकी क्या स्थिति रहने वाली है। विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद अभय चौटाला ने कहा भी है कि इनेलो चौधरी देवीलाल की नीतियों पर चलती है। तीनों कृषि कानून किसानों के खिलाफ हैं, इसलिए उन्होंने विधायक पद से इस्तीफा दिया है। अब वह पूरे प्रदेश के किसानों के बीच जाएंगे। चौधरी देवीलाल हमेशा किसानों के साथ थे।
अपने परिवार के अन्य विधायक सदस्यों पर प्रहार करते हुए अभय ने कहा कि देवीलाल की नीतियों पर चलने का कुछ लोग ढोंग करते हैं। यदि उन्हें देवीलाल की नीतियों से वास्ता है तो ऐसे लोगों को तुरंत मेरी तरह विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे देना चाहिए। अभय ने पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा को भाजपा का एजेंट बताया है। दलील दी कि राज्यसभा के चुनाव में हुड्डा भाजपा की मदद कर चुके हैं।
ऐलनाबाद पर जीतता रहा ताऊ देवीलाल का परिवार
सिरसा जिले की ऐलनाबाद विधानसभा सीट पर इनेलो का जबरदस्त कब्जा रहा है। 1968 व 1991 को छोड़कर सभी चुनावों में यहां से उसी पार्टी का विधायक बना है, जिससे देवीलाल या उनका परिवार जुड़ा। राजनीतिक रूप से यह सीट 2009 से ज्यादा चर्चाओं में आ गई, जब यहां ओम प्रकाश चौटाला और अभय चौटाला ने चुनाव लडऩा शुरू किया। 1977 से 2005 तक आरक्षित रही इस सीट पर उस दौरान लोक दल के भागीराम पांच बार विधायक बने। उन्हें सिर्फ 1991 में कांग्रेस के मनीराम गोदारा से हार मिली थी।
इनेलो की तरफ से डा. सुशील इंदौरा भी 2005 में यहां से विधायक बने, जो पहले सिरसा से सांसद थे। 2008 में सामान्य सीट बन जाने के बाद से यहां चौटाला परिवार से ही विधायक बन रहे हैं। इससे पहले 1967 में चौधरी देवीलाल के बेटे प्रताप सिंह यहां से विधायक बने थे और 1970 में हुए उपचुनाव में ओम प्रकाश चौटाला चुनाव जीतकर पहली बार विधानसभा पहुंचे। भाजपा यहां से अभय चौटाला के मुकाबले दो बार पवन बैनीवाल को चुनाव लड़वा चुकी है।
चुनाव में संभाली देवीलाल और ओमप्रकाश चौटाला की विरासत अभय चौटाला ने 2000 में रोड़ी विधानसभा से पहली जीत दर्ज की थी। तब ओमप्रकाश चौटाला रोड़ी व नरवाना से चुनाव जीते थे। रोड़ी सीट छोड़ दी थी। अभय 2010 में ऐलनाबाद से उपचुनाव जीते। ओमप्रकाश चौटाला के इस्तीफा देने पर खाली हुई थी सीट। चौटाला ऐलनाबाद व उचाना दोनों जगह से चुनाव जीते थे। 2014 में ऐलनाबाद से तीसरी जीत दर्ज कराई। 2019 में फिर ऐलनाबाद विधानसभा सीट से चौथी बार चुनाव जीते। अभय ने 2004 में कुरुक्षेत्र से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था, लेकिन कांग्रेस के नवीन जिंदल से हार गए थे।