हरियाणा कृषि मार्केटिंग बोर्ड की हालत खस्‍ता, 429 करोड़ रुपये का कर्ज, योजनाएं भी अधर में

हरियाणा कृषि मार्केटिंग बोर्ड की हालत खस्‍ता है। उस पर करीब 429 करोड़ रुपये का कर्ज है। ऐसे में उसकी योजनाएं भी अधर में पड़ गई हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Sun, 09 Aug 2020 08:10 PM (IST) Updated:Sun, 09 Aug 2020 08:10 PM (IST)
हरियाणा कृषि मार्केटिंग बोर्ड की हालत खस्‍ता, 429 करोड़ रुपये का कर्ज, योजनाएं भी अधर में
हरियाणा कृषि मार्केटिंग बोर्ड की हालत खस्‍ता, 429 करोड़ रुपये का कर्ज, योजनाएं भी अधर में

चंडीगढ़, जेएनएन। हरियाणा कृषि मार्केटिंग बोर्ड (Haryana Agricultural Marketing Board) की हालत खस्‍ता है। 1 अगस्त 1969 को किसानों की खुशहाली व प्रदेश में फसलों की खरीद, बिक्री व भंडारण कार्यों के लिए गठित हरियाणा कृषि विपणन बोर्ड (Haryana Agricultural Marketing Board) अब अरबों के कर्जे में डूब गया है। इसका कारण उसकी योजनाएं भी अधर में पड़ गई है।

आरटीआइ में मिली जानकारी, इसी वर्ष 24 करोड़ से ज्यादा का घाटा

आरटीआइ कार्यकर्ता विजय बंसल ने सूचना के आधार पर मार्केटिंग बोर्ड के कर्जदार होने की स्थिति को उजागर किया है। मार्केटिंग बोर्ड की आय, खर्चे व देनदारी को लेकर गोलमाल की आशंका भी जताई जा रही है। आरटीआइ से मिली जानकारी के आधार पर विजय बंसल ने सीएम मनोहर लाल को पत्र भेजकर सीबीआइ जांच की मांग भी की है।

फ्लाप प्रोजेक्ट तथा भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों के निजी स्वार्थ के चलते सबसे अमीर माने जाने वाला मार्केटिंग बोर्ड अब 429 करोड़ 89 लाख 57 हजार 668 रुपए के कर्जे में डूबा हुआ है। मार्केटिंग बोर्ड ने डायरी में कहा है कि विभिन्न मार्केट कमेटियों से वर्ष 2018-19 में सात अरब 63 करोड़ की कमाई हुई है। आरटीआइ के जवाब में बोर्ड की बैलेंस शीट के अनुसार विभिन्न मार्केट कमेटियों से केवल दो अरब 35 करोड़ 50 लाख 65 हजार 657 की ही कमाई हुई है। इस वर्ष मार्केटिंग बोर्ड 24 करोड़ 95 लाख 7 हजार 365 रुपयों के घाटे में है। बोर्ड द्वारा विभिन्न कार्यों के लिए ठेकेदारों की लगभग 300 करोड़ की देनदारी अलग से लंबित पड़ी है।

मार्केटिंग बोर्ड के अंतर्गत 113 मार्केट कमेटी, 168 सब यार्ड व 196 पर्चेज सेंटर हैं, जिनमें आढ़ती, किसान, व्यापारी और लेबर समेत लाखों लोग अपने रोजगर के माध्यम से निर्भर रहते हैं। अब केंद्र सरकार द्वारा अध्यादेश पास कर किसानों को सीधे अपनी फसल मंडी क्षेत्र से बाहर बेचने की सुविधा दी गई है।

इससे बोर्ड को और अधिक नुकसान हो सकता है। प्रदेश के 70 प्रतिशत लिंक रोड मार्केटिंग बोर्ड द्वारा बनाए गए है क्योंकि हरियाणा ग्रामीण विकास कोष के माध्यम से ग्राम पंचायतों समेत अन्य विकास कार्यो में योगदान दिया जाता है। ऐसे में अब बोर्ड की हालत नाजुक होने से इन निर्माण कार्यों में भी बाधा आ सकती है।

कौशल और सुमेधा के जिम्मेदारी संभालने पर सुधरेंगे हालात

किसान कांग्रेस के प्रांतीय उपाध्यक्ष एवं बोर्ड के पूर्व चेयरमैन विजय बंसल के अनुसार कभी मार्केटिंग बोर्ड हरियाणा सरकार की कमाई का प्रमुख स्रोत होकर अन्य विभागों को लोन देने वाला होता था। आज वही मार्केटिंग बोर्ड नाबार्ड व अन्य वित्तीय संस्थानों से ऋण लेने को मजबूर है।

उन्होंने आरोप लगाया कि एक ही सीट पर जमे बरसों से अधिकारियों ने बोर्ड का नुकसान ज्यादा और फायदा कम किया है। अब कृषि सचिव संजीव कौशल और मार्केटिंग बोर्ड की मुख्य प्रशासक सुमेधा कटारिया के कार्यभार संभालने से व्यवस्थाओं में सुधार की आस जगी है।

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