फसलों की कटाई के बाद अवशेषों को जलाने पर प्रतिबंध
जिलाधीश कृष्ण कुमार ने दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा-144 के अंतर्गत जिले में धान व अन्य फसलों की कटाई के बाद खेतों में बचे फसल अवशेषों व पराली के जलाने पर प्रतिबंध लगाने के आदेश पारित किए हैं।
जागरण संवाददाता, पलवल: जिलाधीश कृष्ण कुमार ने दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा-144 के अंतर्गत जिले में धान व अन्य फसलों की कटाई के बाद खेतों में बचे फसल अवशेषों व पराली के जलाने पर प्रतिबंध लगाने के आदेश पारित किए हैं। जिलाधीश ने स्पष्ट किया है कि जिला में धान व अन्य फसलों की कटाई शुरू हो चुकी है और कई किसान धान या अन्य फसलों की कटाई के बाद खेतों में बचे फसल अवशेष, पराली को जला देते हैं, जिससे उत्पन्न धुआं आसमान में चारों ओर फैल जाता है जो आमजन के स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है।
आगजनी की घटनाओं से संपत्ति तथा मानव जीवन को हानि की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता। फसल की कटाई के बाद फसल अवशेषों को जलाने से पशुओं के बारे पशुओं के चारे की कमी होने की संभावना भी बनी रहती है। अवशेषों को जलाने से भूमि के मित्र कीट मर जाते हैं, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति कम होने से फसल की पैदावार पर भी प्रभाव पड़ता है। जिलाधीश ने बताया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल नई दिल्ली की ओर से फसलों के अवशेषों को जलाने पर प्रतिबंध लगाने वाले निर्देश जारी किए गए हैं। हरियाणा सरकार द्वारा भी समय-समय पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल नई दिल्ली द्वारा जारी आदेशों की कड़ाई से पालना हेतु निर्देश दिए गए हैं। इन आदेशों की अवहेलना में यदि कोई व्यक्ति दोषी पाया जाता है तो आइपीसी की धारा-188 वायु बचाव एवं प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम 1981 के तहत दंड का भागी होगा। क्षेत्रीय अधिकारी हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड पलवल व उप निदेशक कृषि एवं किसान कल्याण विभाग पलवल इन आदेशों की पालना करवाना सुनिश्चित करेंगे।