बच्चों की मौत का सच दिल्ली प्रयोगशाला में अटका

इस प्रक्रिया में थोड़ा वक्त लगता है जिसका अध्ययन कर जिले स्तर पर गठित आइआरडी कमेटी फाइल रिपोर्ट देगी।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 07 Oct 2021 07:25 PM (IST) Updated:Thu, 07 Oct 2021 07:25 PM (IST)
बच्चों की मौत का सच दिल्ली प्रयोगशाला में अटका
बच्चों की मौत का सच दिल्ली प्रयोगशाला में अटका

मोहम्मद हारून, हथीन:

जिले में बुखार से हुई बच्चों की मौतों के मामले में स्पष्ट कारण अभी सामने नहीं आ पाया है। प्रारंभिक जांच में कुछ मौतों का कारण स्वास्थ्य विभाग जरूर अलग-अलग बीमारियों को मान रहा है, लेकिन नल्हड़ में इलाज के दौरान मरने वाले गांव चिल्ली व छांयसा के दस बच्चों की रिपोर्ट जांच के लिए दिल्ली की लैब में भेजी गई है। मौत के कारणों की जांच अभी भी दिल्ली की प्रयोगशाला में ही अटकी हुई है।

इस प्रक्रिया में थोड़ा वक्त लगता है, जिसका अध्ययन कर जिले स्तर पर गठित आइआरडी कमेटी फाइल रिपोर्ट देगी। उसके बाद ही यह पता चलेगा कि ये मौतें डेंगू या किसी अन्य बीमारी से हुई है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने डेंगू से एक भी मौत की पुष्टि नहीं की। छांयसा में एक बच्चे की मौत को डेंगू से संदिग्ध जरूर मान रहा है।

बता दें कि जिले में फैले बुखार के चलते अब तक बच्चों समेत 39 लोग काल के गाल में समा चुके हैं। इनमें सबसे ज्यादा मौतें (11) हथीन खंड के चिल्ली गांव में हुई हैं। इसके बाद छांयसा गांव में बुखार के कारण आठ बच्चों की मौत हुई। इसके अलावा सौंदहद, हथीन, खिल्लूका, मलाई, भीमसीका, मितरोल गांवों में भी एक-एक दो-दो मौतें हुई हैं। बच्चों के स्वजन इन मौतों को डेंगू से जोड़ते हैं। स्वजनों का तर्क यह है कि उन्होंने किट से जांच कराई, जिसमें प्राईवेट डाक्टरों ने डेंगू होने की बात कही थी। स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी इन बातों को नहीं मानते। विभाग के एक आलाधिकारी की मानें तो डेंगू के लिए एलाइजा टेस्ट जरूरी है, जो किसी बच्चे का प्राईवेट स्तर पर नहीं हुआ। रही बात प्लेटलेट्स कम होने की तो बताया गया है कि 70 किस्म की ऐसी बीमारी हैं, जिनमें प्लेटलेट्स कम हो जाती है।

जिला स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी के मुताबिक जिन बच्चों की नल्हड़ में इलाज के दौरान मौतें हुई हैं। उनमें चिल्ली व छांयसा के पांच-पांच बच्चों की ली गई स्लाइड की जांच दिल्ली की विशेष लैब में टेस्ट के लिए भेजी हुई हैं। इनमें सात तरह के टेस्ट होने हैं, जिसमें वक्त लगता है। चिल्ली गांव के बच्चों की रिपोर्ट जल्द आने वाली है। विभाग के अनुसार कई बच्चे कुपोषण के शिकार थे। कुछ केस ऐसे थे कि बच्चे में निमोनिया था। निमोनिया के दौरान बुखार होना आम बात है। इस दौरान यह सवाल लगातार उठता रहा है कि कहीं स्वास्थ्य विभाग मौत के कारणों को छुपा तो नहीं रहा। अभी तक डेंगू से जिले में कोई मौत नहीं हुई हैं। जहां पर बुखार के ज्यादा केस निकल रहे हैं, वहां विभाग की तरफ से टीमें लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर रही हैं। लैब की जांच मेडिकल हिस्ट्री का मिलान करने पर सही तथ्य जल्द सामने होंगे।

-डा. ब्रह्मंदीप सिंह, सीएमओ पलवल

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